उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में पौड़ी गढ़वाल जिले के मकानों के सामने आपको महिलाओं के नाम की प्लेट देखने को मिलेगी। लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं होता। घर के आगे लगी नाम की प्लेट से घर के मुखिया के बारे में पता चलता है। और देखा जाए तो समाज में घर के मुखिया के रूप में और घर के सामने लगी नाम की प्लेट पर सिर्फ पुरुष का ही नाम सामने आता है। ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं के नाम की प्लेट को घर के दरवाजों पर लगाना, समाज को नया रूप दिखाने जैसा है।
इस योजना के तहत नेमप्लेट‘ लगाने की हुई शुरूआत
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत ‘घुर की पछयान, नौनी कु नौ (घर की पहचान, बेटी के नाम पर)’ नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा महिलाओं और महिलाओं के लिए लैंगिक अधिकारों और संपत्ति के स्वामित्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, यह शुरू की गयी एक पहल है।
‘आरती निवास‘ के नाम का तख़्त, कुछ अलग–सा है पढ़ने में
पौड़ी गढ़वाल जिले के मथाना गांव में एक मंजिला घर के सामने की दीवार पर ‘आरती निवास‘ नाम की नेमप्लेट ( नाम की तख़्ती) लगाई गई है। आरती अपने नाम की प्लेट को पढ़ते हुए कहती हैं कि “यह रोमांचक है जब लोग आपके दरवाजे पर दस्तक देते हैं और पूछते हैं, ‘ये आरती जी का घर है?’ डाकिया, कूरियर आदमी और अन्य लोग पूछते हैं, ‘आरती जी घर पर हैं?’ यह मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगता है?”
आरती की मां शोभा बताती हैं कि जब जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उन्हें कार्यक्रम के तहत लगने वाले नेमप्लेट के बारे में बताया तो उन्हें काफी खुशी हुई। वह कहती हैं कि उन्हें अपने तीन बच्चों में दूसरे बच्चे के नाम का प्रस्ताव रखने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई। उनका कहना था कि, “जब प्रशासन ने हमें नेमप्लेट दी, तो आरती इतनी खुश थी कि उसने दीवार पर एक कील गाड़ दी और खुद के नाम को लटका दिया।“
जिले में लड़कियों का अनुपात है कम
2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 1,000 पुरुषों पर 1,103 महिलाएं हैं। हालांकि, इसमें 0-6 साल के बच्चों के लिंग अनुपात में लिंग भेदभाव
भी देखने को मिलता है। आंकड़ें बताते हैं कि यहां 904 लड़कियों पर 963 लड़के हैं।
9 सितंबर को खिर्सू ब्लॉक में बांटी गईं थी नेमप्लेट
खिर्सू ब्लॉक के बुदेशु गांव में 9 सितंबर को उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने बेटियों को उनके नाम की नेम प्लेट वितरित की थीं। बुदेशु गांव को बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ योजना के तहत गोद भी लिया गया है।
वन स्टॉप सेंटर के रमन रावत पोली बताती हैं कि योजना के तहत अभी तक दो गांवों में बेटियों के नाम की नेम प्लेट लगाई जा चुकी हैं। बुदेशु गांव के 70 और मल्ली गांव के 45 घरों में अभी तक नेमप्लेट लगाई जा चुकी हैं। प्रभारी जिलाधिकारी आशीष भटगाईं का कहना है कि इस योजना से न केवल बेटियों के प्रति समाज की सोच में बदलाव आएगा, बल्कि बेटियों को भी अपनी अहमियत का अहसास होगा।
अभी तक इतने घरों में लगीं हैं नेमप्लेट
कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक खिर्सू, पौड़ी और यमकेश्वर ब्लॉक के तीन गांवों में तकरीबन 150 से अधिक घरों में नेम प्लेट लगाए जा चुके हैं।
जिला अधिकारी आशीष भटगाईं का कहना है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत बेटियों के नाम की नेमप्लेट लगाने का कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा। हम इसे सरकार द्वारा शुरू की गई एक सकारात्मक पहल कह सकते हैं। इससे शायद महिलाओं को यह भी एहसास हो कि जिस तरह से उनके नाम की नेमप्लेट घर के सामने लगाई जा सकती है तो उसी तरह से वह भी खुद को आगे लेकर आ सकती हैं।