यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि ग्रामीण पत्रकारिता और सच्चाई पर हमला है। लेकिन क्या यह पहली बार हुआ है? क्या सच बोलने और सवाल उठाने वालों पर हमले का यह सिलसिला नया है? अगर हम गहराई से देखें, तो ऐसे कई उदाहरण सामने आते हैं, जहां पत्रकारों को अपनी जान या इज्जत दांव पर लगानी पड़ी है और वे लगाते भी आये हैं।
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