एमपी के कफ सिरप कांड में 21 बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु की स्रसेन फार्मा द्वारा बनाई गई इस दवा में ज़हरीली मिलावट की पुष्टि हुई। फिलहाल कंपनी का मालिक रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कातिल कफ सिरप से मौत का सिलसिला जारी है। ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पीकर अब तक 21 बच्चे काल की गाल में समा चुके हैं। मध्य प्रदेश में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप से हुई 21 बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिला दिया है। अब इस मामले में बड़ा एक्शन हुआ है।‘कोल्ड्रिफ’ बनाने वाली कंपनी के मालिक को अरेस्ट कर लिया गया है। आरोप है कि इस जहरीली दवा के पीछे तमिलनाडु की कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स है। उसके मालिक का नाम जी. रंगनाथन है। उन्हें आज यानी 9 अक्टूबर 2025 को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया गया।
रंगनाथन का परिचय
डॉ. जी. रंगनाथन का पूरा नाम गोविंदराजन रंगनाथन हैं। वह एक अनुभवी फार्मासिस्ट हैं। उनके पास बी.फार्म, एम.डी. (ए.एम.) और पीएच.डी. की डिग्री है। वे एक तकनीकी विशेषज्ञ हैं जो फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरिंग में दशकों का अनुभव रखते हैं। उनके भाई जी. बालासुब्रमण्यम कंपनी के मार्केटिंग में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। रंगनाथन ने 1982 में श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की नींव रखी। यह शुरुआत में एक छोटी इकाई थी। 1990 में इसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड किया गया। कंपनी के निदेशकों में रंगनाथन गोविंदराजन, रंगनाथन रानी, गोविंदन बालासुब्रमणियन और रंगनाथन गोविंदन शामिल हैं।
इस विवाद का मामला कैसे शुरू हुआ
2 अक्टूबर को तमिलनाडु की औषधि नियंत्रण प्राधिकरणों ने घोषणा की कि “कोल्ड्रिफ” नामक कफ सिरप का एक परीक्षण नमूना मिलावटी पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार उसमें डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) की मात्रा लगभग 48.6 % (w/v) पाई गई जबकि वैध सीमा मात्र 0.1 % है। DEG एक जहरीला रसायन है जो गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है। सीडीएससीओ के निरीक्षण में श्रीसन फार्मा की फैक्टरी में DEG‑बिना बिल वाले कंटेनर पाए गए। कंपनी कथित तौर पर कफ सिरप में 46‑48 % DEG मिला रही थी। इस बीच स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) डॉ. सुनीता शर्मा ने सभी राज्यों को एक सलाह जारी की है कि बाल चिकित्सा आबादी में कफ सिरप का उपयोग अनावश्यक रूप से न करें।
यह मामला मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से शुरू हुआ। दरअसल मध्य प्रदेश के परासिया ब्लॉक में 7 सितंबर 2025 से एक-एक कर कई बच्चों की मौत हो रही थी। छह बच्चों की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया और 23 सितंबर को इस तरह हो रही बच्चों की मौत पर अधिकारियों ने जांच शुरू की। जांच में पता चला कि बच्चों की मौत कफ़ सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से हो रही है। ये सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम ज़िले में श्रीसन फ़ार्मास्युटिकल्स कंपनी बनाती थी। यह सिरप छिंदवाड़ा और आसपास के कस्बों में बिक्री के लिए उपलब्ध था। तमिलनाडु की दवाइयां नियंत्रण विभाग (Drugs Control Department, Tamil Nadu) ने सिरप के नमूनों की जांच कराई जिसमें 48.6 % DEG की दुर्भाग्यपूर्ण मात्रा पाई गई। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने इस रिपोर्ट के बाद मध्य प्रदेश ड्रग कंट्रोल विभाग ने 4 अक्तूबर को कफ़ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोल्ड्रिफ सिरप को प्रतिबंधित कर दिया और श्रीसन फार्मा के अन्य उत्पादों की भी बिक्री बंद कर दी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बयान
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर लिखा “छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ़ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है।”
छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है।
सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में…
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 4, 2025
इस विवाद का बाकी राज्यों में असर
इस विवाद से अभी कई परिवार सहम सा गया है। इस खबर का असर और भी राज्यों में देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, राजस्थान और नागपुर जैसे राज्यों में हड़कंप मचा हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी का सिरप देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। अधिकारियों ने बीते 7 अक्टूबर को बताया कि केंद्र ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि दो साल से कम ऊम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी की सिरप या सर्दी ज़ख़ाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए। यही नहीं छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के लिए दवाओं का इस्तेमाल को लेकर एडवाइजरी का कड़ाई से पालन करने के लिए अधिकारियों और डॉक्टरों को हाई अलर्ट पर रखा है। हालाकि अब तक छत्तीसगढ़ से बच्चों की मौत खबर नहीं आई है।
अगर बात करें राजस्थान की तो राजस्थान में भी कथित तौर पर सरकारी अस्पताल से मिली कफ़ सिरप पीने के बाद भरतपुर और झुंझुनू ज़िलों में दो बच्चों की मौत हुई है। चुरू ज़िले से भी एक बच्चे की मौत की ख़बर सामने आई। यह आरोप मृत बच्चों के परिजनों ने लगाया। बीबीसी के रिपोर्टिंग अनुसार चुरू के छह साल के बच्चे की जयपुर के जेके लोन अस्पताल में मौत हुई। परिजनों का कहना है कि बच्चे को चार दिन पहले कफ़ सिरप दी गई थी जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे जयपुर रेफ़र किया गया था। भरतपुर के दो साल के बच्चे को जयपुर रेफ़र किया गया था यहां उसकी तीन दिन बाद मौत हो गई। जबकि झुंझुनू के रहने वाले पांच साल के बच्चे को इलाज के लिए सीकर रेफ़र किया गया था। यहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के रिपोर्टिंग अनुसार सरफराज अहमद और अमरजीत सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, गुर्दे की बीमारी से पीड़ित दो साल के जयाशु यदुवंशी और वेदांश पवार ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। दोनों की मौत डाइएथिलीन ग्लाइकॉल से मस्तिष्क को गंभीर क्षति पहुँचने के बाद हुई। डॉ. आशीष लोथे, जीएमसीएच ने बताया कि डीईजी मस्तिष्क के ऊतकों से चिपक जाता है और उसे छानना असंभव है। नागपुर में भर्ती बच्चों के परिजन अस्पतालों में दिन-रात डटे हुए हैं।
नवभारत टाइम्स के अनुसार अब तक लगभग 15 बच्चे किडनी फेल होने के बाद महाराष्ट्र के नागपुर में भर्ती हैं। कोल्ड्रिफ कफ सिरप में जहरीला पदार्थ मिलने के बाद इसे देश के लगभग सभी राज्यों में बैन कर दिया गया है।
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