मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव तीन सालों की देरी से कराये जा रहें हैं। ऐसे में लोगों के बीच यह सवाल है कि जो काम सरपंच इतने सालों में नहीं करवा पाए वह चुनाव के बाद क्या ही करवाएंगे।
मध्यप्रदेश में 8 सालों के बाद चुनाव हो रहें हैं। यूँ तो हर 5 सालों में नियम के अनुसार और व्यवस्था बनाये रखने के लिए चुनाव हो जाने चाहिए लेकिन इसके बावजूद ही एमपी चुनाव इस बार पूरे तीन साल की देरी से हो रहें हैं। देरी से चुनाव होने का मतलब है व्यवस्था का चौपट हो जाना। लोगों के कामों में अड़चन आना और नया कार्यकाल व नए कामों को सही समय पर न कर पाना। यह सारी चीज़ें एक क्षेत्र, गाँव या राज्य के विकास में बाधा डालने का काम करती हैं।
चुनाव के दौरान खबर लहरिया ने एमपी के गाँवों का दौरा किया और देखा कि इस बीच गाँवों की क्या हालत थी। लोगों में चुनाव को लेकर क्या सोच-विचार चल रहे थे।
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विकास नहीं तो वोट बहिष्कार
छतरपुर जिले के ग्राम पंचायत कदवा में बीते 8 सालों में किसी भी तरह का विकास नहीं हुआ है, यह यहां के रहने वाले लोगों का कहना है। इस गाँव के लोग आवास, शौचालय, सड़क, नाली, पानी आदि की समास्या से सालों से परेशान हैं। ग्रामीण कहते हैं, ” जब सरपंच 8 सालों में नहीं सुन पाएं तो इस बार चुनाव में क्या सुनेंगे इसलिए इस गाँव के लोग चुनाव बहिष्कार कर रहें हैं।”
आगे कहा, “जब तक हमारे गाँव में सुविधाएँ नहीं होंगी तब तक हम किसी को वोट नहीं करेंगे। चाहें हमारे गांव का सरपंच हो या कोई और।”
ग्रामीण बताते हैं, लोग जीत कर अपने घर में बैठ जाते हैं। कोई भी सुविधा नहीं करवाते। पानी की व्यवस्था नहीं है। उसके लिए 2 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। शौचालय नहीं है तो आज भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। खुले में शौच जाने से महिलाओं में हमेशा डर बना रहता है।
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ग्रामीण ने सरपंच पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
ग्रामीण आरोप लगाते हुए कहते हैं कि सरपंच भ्रष्टाचार कर बिना कोई काम कराये पुराने कामों को दिखा कर लाखों की राशि निकालते हैं। गाँव के अनंतराम पाठक कहते हैं, आवास के लिए उन्होंने कई बार सरपंच को कहा लेकिन उन्हें आवास नहीं मिला।
वृद्ध महिला कपूरी अहिरवार बताती हैं क्यूंकि उन्होंने सरपंचको पैसे नहीं दिए थे इसलिए उन्हें आवास नहीं मिला। यह आरोप गाँव के अन्य व्यक्ति बलदेव का भी है। बलदेव के अनुसार, सरपंच द्वारा उससे आवास के लिए 40 हज़ार रूपये मांगे गए थे। जो वह दे नहीं सका और फिर आवास की लिस्ट से उसका नाम काट दिया गया।
गाँव के जग्गू का कहना है कि गांव में पानी की भी बहुत समस्या है। गांव में 5 हैंडपंप है जिसमें से 4 हैंडपंप तो खराब ही है।
कन्हैया का कहना है क्यूंकि गाँव में निकासी के लिए नाली नहीं है तो सारा गंदा पानी या तो सड़क पर इकठ्ठा हो जाता है और घर के सामने। उनका आरोप है कि गांव के सरपंच ने नाली का निर्माण कराये बिना ही पैसे निकाल लिए।
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इस बार नहीं डलेगा वोट – ग्रामीण
आपको बता दें, सभी प्रत्याशी चुनाव के लिए घर-घर जाकर प्रचार कर रहें। फिर से वही आवास, पानी, सड़क के वादें किये जा रहें हैं। लोगों का यही कहना है कि अगर उनके गांव में सुविधाएं नहीं होंगी तो उनके गाँव से एक भी व्यक्ति वोट डालने नहीं जाएगा।
यह भी कहा कि, “क्या फायदा गाँव में सरपंच बनवाने का। इससे अच्छा तो हम लोग मेहनत कर लेंगे लेकिन इस बार वोट नहीं डालेंगे।”
देरी से चुनाव और बढ़े भ्रष्टाचार के बीच अब लोगों का ज़िम्मेदार अधिकारियों और चुनाव से विश्वास उठ चुका है। ग्रामीणों का यह कहना कि जो काम सालों से नहीं हुआ वह इस चुनाव कैसे होगा, चयनित अधिकारीयों और चुनाव की आधारशीला पर सवाल खड़ा करता है। साथ ही यह सवाल भी रहेगा क्यूंकि राज्य में देरी से चुनाव हो रहें हैं तो ऐसे में चयनित या जीते हुए उम्मीदवार पिछड़े या बाकी कामों को किस तरह व कितने समय में पूरा करवाते हैं?
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।
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