खबर लहरिया Blog MP News: फार्मा फैक्ट्री में क्लोरीन गैस का रिसाव, फिर से सहमा भोपाल

MP News: फार्मा फैक्ट्री में क्लोरीन गैस का रिसाव, फिर से सहमा भोपाल

भोपाल के गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री से क्लोरीन गैस रिसाव होने की खबर आई है। इस हादसे के बाद से आस-पास के इलाके में अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। 

picture after the gas leak

गैस रिसाव के बाद की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

साल 1984 की भयानक गैस त्रासदी को याद करते ही भोपाल के लोगों के दिल में आज भी डर बैठा है। उस हादसे ने हजारों लोगों की जान ली थी और शहर की पहचान को हमेशा के लिए बदल दिया था। लोगों को वही पुरानी दहशत फिर से महसूस हुई। दरअसल 13 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश भोपाल के जेके रोड स्थित गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के हिंद फार्मा फैक्ट्री में क्लोरीन गैस के रिसाव (जहरीली गैस का फैलना) का मामला सामने आया। गैस रिसाव के बाद शहर में हड़कंप गई। फैक्ट्री के केमिकल स्टोर से लीक हुई गैस आसपास के इलाके में फैलने लगी जिससे कई लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी होने की खबर भी सामने आई है।

कैसे हुई गैस लीक 

इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट अंकुर मेश्राम ने बताया कि फैक्ट्री के बेसमेंट में रखी पुरानी बोरियों के कारण यह गैस लीक हुई। अंकुर मेश्राम ने कहा है कि स्थानीय मज़दूरों ने आग लगने की आशंका से धुआं निकलने की सूचना दी। क्रोमाइट ऑक्सीजन के कारण यह घटना हुई। गैस को बाहर निकालने के लिए इग्ज़ॉस्ट सिस्टम का इस्तेमाल किया गया और बोरियों को हटाने के लिए सुरक्षा उपकरण लगाए गए। अधिकारियों के अनुसार शुरुआती राहत प्रयासों के दौरान दमकल गाड़ियों (एक ऐसा वाहन है जिसका उपयोग आग बुझाने और आपातकालीन स्थितियों में बचाव कार्यों के लिए किया जाता है) द्वारा पानी का छिड़काव करने से गैस और फैल गई। अंकुर शर्मा ने बताया कि “रसायन भंडार में पानी घुसने के कारण गैस फैल गई। हालांकि क्लोरीन की मात्रा ज़्यादा नहीं थी। फिर भी आग लगने के खतरे को देखते हुए दमकल गाड़ियों ने पानी का छिड़काव किया।” 

आंखों में जलन सांस लेने में तकलीफ

प्रशासनिक सूत्रों के मुतबिक गैस रिसाव के बाद आसपास के लोग दहशत में आ गए। गैस रिसाव के बाद लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन की शिकायत हुई। हालांकि अब तक किसी के गंभीर रूप से बीमार होने की खबर नहीं है। 

घटना की जांच के निर्देश दिए गए हैं और जिम्मेदारी तय की जाएगी

मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने दो दिन के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सीएमएचओ, नगर निगम और उद्योग विभाग की संयुक्त टीम को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह जांच करे और जिस किसी की लापरवाही हो उसके खिलाफ कार्रवाई करे। एसडीएम रवीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि शुरुआती तौर पर गैस पर काबू पा लिया गया लेकिन अगर आगे की जांच में कोई लापरवाही मिलती है तो सख्त कदम उठाए जाएंगे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। मौके पर मौजूद टीमों ने बताया कि कास्टिक सोडा डालकर गैस को बेअसर किया गया और सभी एजेंसियों ने मिलकर तय समय में काम पूरा कर लिया जिससे किसी की जान नहीं गई।

क्या है क्लोरीन गैस 

क्लोरीन गैस एक पीले-हरे रंग की तेज़ गंध वाली जहरीली गैस होती है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर सफाई, पानी को साफ करने (जैसे– स्विमिंग पूल या बड़ी पानी की टंकी में) और कुछ औद्योगिक कामों में किया जाता है। अगर यह गैस ज़्यादा मात्रा में सांस के जरिए शरीर में चली जाए तो इससे सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन, गले में खराश और खांसी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। बहुत ज्यादा मात्रा में हो तो यह गैस जिंदगी के लिए खतरा भी बन सकती है। 

इसका स्वास्थ पर प्रभाव 

क्लोरीन गैस एक तेज़ गंध वाली जहरीली गैस होती है, जो सांस के जरिए शरीर में पहुंचने पर स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। इससे आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और कभी-कभी मतली या उल्टी जैसी परेशानियां हो सकती हैं। अस्थमा या सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को इससे ज़्यादा खतरा होता है। बहुत अधिक मात्रा में क्लोरीन गैस का संपर्क जानलेवा भी हो सकता है। अगर कोई लंबे समय तक क्लोरीन गैस के संपर्क में रहा तो उसके फेफड़ों को नुकसान हो सकता है जिससे आगे चलकर सांस की बीमारियाँ हो सकती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि गैस के संपर्क में आने पर तुरंत ताज़ी हवा में जाएं और जरूरत हो तो डॉक्टर से इलाज करवाएं। 

भोपाल में पहले भी हुआ है बड़ा गैस कांड 

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 3 दिसंबर 1984 को एक बड़ा गैस कांड हुआ था जिसे भोपाल गैस त्रासदी भी कहा जाता है। 3 दिसंबर को हुई गैस त्रासदी को दुनिया की सबसे ख़तरनाक औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है। यह हादसा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ था। यह कंपनी उस समय की अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के तहत चल रही थी। दरअसल 3 दिसंबर की रात फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) की बेहद ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जो देखते ही देखते आसपास के इलाक़ों में फैल गई। लोग  सोते-सोते दम घुटने से मरने लगे। हज़ारों लोग अपनी जान बचाने के लिए भागते नजर आए थे लेकिन ज़हरीली गैस चारों तरफ तबाही मच गई। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में लगभग पांच हजार लोगों की मौत हुई थी लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों का कहना था कि असली संख्या दस हजार से ज़्यादा थी। लाखों लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए और इसका असर यहीं खत्म नहीं हुआ। गैस के ज़हरीले प्रभाव का असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ा। हादसे के कई सालों बाद तक ऐसे बच्चे जन्म लेते रहे जो शारीरिक रूप से कमजोर, बीमार या अपाहिज थे। बहुत से लोग आज भी सांस, आंख, त्वचा और फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। यह त्रासदी न सिर्फ एक औद्योगिक लापरवाही का उदाहरण बनी, बल्कि इससे यह भी सीख मिली कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी कितनी भारी पड़ सकती है। भोपाल गैस कांड ने पूरे देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया था और आज भी यह हादसा लोगों के ज़हन में एक डरावनी याद की तरह ज़िंदा है।

यह एक बड़ा कारण है कि भोपाल में इस तरह से गैस रिसाव की खबर लोगों के मन में दहशत पैदा कर देती है। 

 

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