खबर लहरिया Blog MP Chhatarpur: ट्रांसफार्मर खुला रहने से बना खतरे का करण

MP Chhatarpur: ट्रांसफार्मर खुला रहने से बना खतरे का करण

ट्रांसफार्मर खुला रहने की वजह से वहां पर लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। इस खुले ट्रांसफार्मर के कारण बड़े-बड़े हादसे हो जाते हैं जिसकी वजह से सड़क पर भी करंट आ जाता है।

रिपोर्ट- आलीमा, लेखन – रचना 

transformer status

ट्रांसफार्मर की स्थिति (फोटो साभार: आलीमा)

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के सारणी दरवाजे पर लगा ट्रांसफार्मर कई सालों से खुला पड़ा है। ट्रांसफार्मर खुला रहने की वजह से वहां पर लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। इस खुले ट्रांसफार्मर के कारण बड़े-बड़े हादसे हो जाते हैं जिसकी वजह से सड़क पर भी करंट आ जाता है। लोग उस सड़कों पर निकल नहीं पाते हैं। बारिश जब होती है तो पूरे सड़क पर करंट रहता है। जिसकी वजह से आवागमन कम हो जाता है। जानवर भी मर जाते हैं लेकिन अभी तक कोई भी वहां देखने नहीं गया है कि उसकी वजह से लोगों को किस तरह की समस्याएं आ रहे हैं।

ट्रांसफार्मर के समस्या से लोग हैं परेशान 

छतरपुर जिले के वार्ड नंबर 7 में रहने वाली ललिता यादव बताती हैं कि वे पिछले 20 सालों से यहीं रह रही हैं। पहले यहां जो ट्रांसफार्मर लगा था वह बंद पड़ा था। एक बार वह ट्रांसफार्मर जल गया और उसे दोबारा लगाया गया लेकिन उसमें ढक्कन नहीं है इसलिए वह खुला पड़ा हुआ है। इस खुले ट्रांसफार्मर की वजह से काफी परेशानियां हो रही हैं। एक बार जब वह अपनी भैंस चराने गईं तो भैंस ट्रांसफार्मर के पास से होकर गुजर रही थी कि अचानक उसे करंट लग गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। लोगों ने शिकायत भी की लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा और न ही कोई कार्रवाई हुई। ट्रांसफार्मर पूरी तरह जल गया था और विद्युत विभाग वाले उसे ठीक करने तो आए लेकिन ढक्कन नहीं लगा पाए। यह बड़ी लापरवाही है। लोग वहां खड़े होने से भी डरते हैं क्योंकि अचानक तेज़ स्पार्किंग हो जाती है और करंट लगने का खतरा रहता है। निवासी कहते हैं कि वे चाहते हैं कि इस खतरे को देखते हुए ट्रांसफार्मर में ढक्कन लगा दिया जाए ताकि आगे किसी का नुकसान न हो। अब हमारी भैंस मर गई उसका जिम्मेदार कौन है? “हम लोगों ने अपना नुकसान खुद ही झेला, भैंस की कीमत करीब एक लाख रुपए थी और उसका दूध बेचकर ही हम अपना घर चला रहे थे। अब वह नहीं रही और हम दूसरी भैंस भी नहीं खरीद पाए।”

छतरपुर जिले के वार्ड नंबर 7 में रहने वाली पिंकी यादव का कहना है कि जिस जगह ट्रांसफार्मर लगा है वहीं से वह रोज अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती हैं। उन्हें हर वक्त यही डर सताता है कि कहीं करंट न लग जाए। वह बताती हैं कि हमेशा सूखी चप्पल पहनकर निकलती हैं लेकिन दिल में डर बना रहता है। मजबूरी ये है कि उस रास्ते के अलावा कोई और रास्ता नहीं है इसलिए ट्रांसफार्मर के बिल्कुल बगल से ही निकलना पड़ता है। कभी-कभी तो डर इतना ज्यादा होता है कि वे अपने बच्चों को स्कूल ही नहीं भेजतीं। खासकर जब बारिश होती है तब तो उस रास्ते से गुजरना नामुमकिन हो जाता है क्योंकि खतरा और बढ़ जाता है। पिंकी यादव कहती हैं कि बिजली किसी की सगी नहीं होती इसलिए सतर्क रहना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस समस्या को लेकर उन्होंने अपने वार्ड के मेंबर से शिकायत की थी जिन्होंने सिर्फ आश्वासन दिया था कि जल्दी ही ठीक करवा दिया जाएगा लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। वे बताती हैं कि एक बार तो मोहल्ले के कई लोग इकट्ठा होकर विद्युत विभाग भी गए थे, लेकिन वहां भी सिर्फ आश्वासन ही मिला कार्रवाई कुछ नहीं हुई।

वहीं वार्ड नंबर 8 में रहने वाले राकेश सिंह का कहना है कि वे भी अक्सर उसी रास्ते से गुजरते हैं। उनके पिताजी वहीं आसपास बकरियाँ चराते हैं। एक बार उनकी छह बकरियां करंट की चपेट में आ गई थीं और सभी की मौके पर ही मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि उस हादसे के बाद भी उन्होंने कई बार शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। राकेश सिंह कहते हैं कि कई बार ट्रांसफार्मर में इतना ज्यादा वोल्टेज आता है कि उसमें आग लग जाती है। तब जाकर बिजली विभाग के लोग आकर मरम्मत तो कर जाते हैं, लेकिन ढक्कन नहीं लगाते। वे कहते हैं कि ढक्कन लगवाने की मांग कई बार की जा चुकी है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। वे चाहते हैं कि ट्रांसफार्मर में ढक्कन लगाया जाए ताकि लोग हर दिन जान जोखिम में डालकर न गुजरें।

वार्ड नंबर 7 के बड़ी बगराजन मोहल्ले में रहने वाली अनीता बताती हैं कि एक बार वे उस रास्ते से गुजर रही थीं और वहीं पर कुछ अन्ना जानवर मौजूद थे। तभी अचानक उन जानवरों को करंट लग गया। गनीमत रही कि उन्होंने समय रहते यह देख लिया और लोगों को बुलाया। फिर डंडे की मदद से उन जानवरों को बचाया गया। अनीता कहती हैं कि उस जगह के पास एक स्कूल भी है और बच्चों को हर वक्त डर लगा रहता है। यह जगह बायपास रोड के पास है, जिससे रोज़ाना हजारों लोग वहाँ से गुजरते हैं, लेकिन शासन और प्रशासन को यह सब नहीं दिखता। उनका कहना है कि यदि समय रहते ट्रांसफार्मर में ढक्कन लगा दिया जाए, तो ऐसी घटनाएं रोकी जा सकती हैं और लोगों को डर के साए में जीने से राहत मिल सकती है।              

Government Office

सरकारी कार्यालय (फोटो साभार आलीमा)

वार्ड पार्षद से मिली जानकारी

वार्ड नंबर 8 के पार्षद गीता यादव से जब इस मामले में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि वह ट्रांसफार्मर एक बार खराब हो गया था जिसकी शिकायत उन्होंने विद्युत विभाग में की थी। इसके बाद ट्रांसफार्मर को बदला गया लेकिन उसमें ढक्कन नहीं था। पार्षद ने बताया कि उन्होंने कई बार इस संबंध में प्रस्ताव भी डाले हैं क्योंकि इसकी वजह से कई तरह की घटनाएं हो रही हैं लेकिन विभाग के लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि विभाग की ओर से यह कहा जा रहा है कि ढक्कन उपलब्ध नहीं है इसलिए नया ट्रांसफार्मर लगवा देंगे लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। पार्षद ने यह भी कहा कि वे फिर से प्रस्ताव डालेंगे क्योंकि यहां के लोगों को वास्तव में काफी परेशानी हो रही है। अगर भविष्य में किसी की जान जाती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे जल्द से जल्द इस मामले में नया प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे।

विद्युत विभाग से मिली जानकारी

विद्युत विभाग के अधिकारी कार्यपालन यंत्री रानू सिंह ने इस संबंध में बताया कि आपके माध्यम से उन्हें पहली बार जानकारी मिली है कि उस स्थान पर ट्रांसफार्मर का ढक्कन खुला पड़ा है। उन्होंने बताया कि एक बार वहां का ट्रांसफार्मर जल गया था जिसके बाद विभाग ने नया ट्रांसफार्मर लगवाया था और उस समय उसमें ढक्कन भी मौजूद था। अब यह पता नहीं चल पाया है कि वह ढक्कन कौन लेकर गया। अधिकारी ने कहा कि यह वाकई में एक खतरे की स्थिति है लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि या स्थानीय व्यक्ति द्वारा इस संबंध में विभाग को कोई शिकायत नहीं दी गई है। यदि शिकायत की गई होती तो अब तक उस ट्रांसफार्मर पर ढक्कन लग चुका होता। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि अब जब उन्हें इसकी जानकारी मिल गई है तो वे जल्द से जल्द प्रयास करेंगे कि वहाँ पर ढक्कन लगवा दिया जाए ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानी या खतरे का सामना न करना पड़े।

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