खबर लहरिया Blog MP Chatarpur: प्रधानमंत्री आवास योजना में अब भी हैं कई लोग वंचित, जानिए पूरी खबर 

MP Chatarpur: प्रधानमंत्री आवास योजना में अब भी हैं कई लोग वंचित, जानिए पूरी खबर 

छतरपुर जिले की कुरा बाई रैकवार और नजर बेगम जैसी महिलाएं सालों से इस योजना के लिए आवेदन कर रही हैं, पैसा भी खर्च कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें आज तक अपने सिर पर एक पक्की छत नसीब नहीं हुई।

photo of kutcha house

कच्चे घर की तस्वीर (फोटो साभार: आलीमा)

रिपोर्ट – आलीमा, लेखन – रचना 

प्रधानमंत्री आवास योजना साल 2015 में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य था कि हर जरूरतमंद गरीब परिवार को पक्का मकान मिले। पहले यह लक्ष्य साल 2022 तक पूरा होना था। फिर इसे बढ़ा कर 2024 कर दिया गया। इस योजना में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों को शामिल किया गया। लेकिन ज़मीनी हकीकत आज भी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। 

छतरपुर जिले की कुरा बाई रैकवार और नजर बेगम जैसी महिलाएं सालों से इस योजना के लिए आवेदन कर रही हैं, पैसा भी खर्च कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें आज तक अपने सिर पर एक पक्की छत नसीब नहीं हुई।

पक्के घर की शर्त पर अटकी बेटी की शादी

इस मुद्दे पर खबर लहरिया की टीम छतरपुर जिले में ने ग्राउंड रिपोर्ट की, जहां उन्होंने कुरा बाई रैकवार से बातचीत की और जमीनी हक़ीकत को समझने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि वे विकलांग हैं, उनके पति भी नहीं हैं और वे मज़दूरी करके अपना जीवन चला रही है। उनका कहना है “मैंने पांच से छह बार प्रधानमंत्री आवास योजना का फॉर्म भरा है। हज़ारों रुपए खर्च हो गए, लेकिन अब तक मुझे मकान नहीं मिला है। मेरा कच्चा मकान हाल ही में बारिश में गिर गया और हम लोग टपकती छत में बर्तन रखकर पानी रोकते हैं। बेटी की शादी नहीं हो पा रही है क्योंकि अब लड़के वाले पक्का मकान माँगते हैं।” 

उनकी बातों से यह साफ है कि यह योजना सिर्फ काग़जों पर चल रही है, जबकि ज़मीन पर हकदार महिलाएं आज भी छत के लिए तरस रही हैं। 

A dilapidated mud house awaits housing

आवास के इंतज़ार में जर्जर हुआ मिट्टी का घर (फोटो साभार: आलीमा)

“शायद हम मुसलमान हैं इसलिए सुनवाई नहीं हो रही” – नजर बेगम 

छतरपुर के नारायणपुर इलाके की 38 वर्षीय नजर बेगम से भी बात की गई। उन्होंने भी अपना दर्द और जीवन के संघर्ष को बताया। उनका कहना है कि अलग समुदाय होने के कारण उन्हें आवास योजना नहीं दी जा रही है। उन्होंने बताया कि “जब से आवास योजना शुरू हुई है तभी से उन्होंने फॉर्म भरना शुरू कर दिया है, हर बार हम फॉर्म भरते हैं। वार्ड के बाकी लोगों का पैसा मिल गया है लेकिन उन्हें अभी तक नहीं मिला है। 

वे अपना दर्द बयां करते हुए कहती हैं कि “मेरे पति कबाड़ बीनते हैं, और मैं दिन रात मज़दूरी कर बच्चों का पालन-पोषण करती हैं। दिन भर काम करने के बाद दिन का दो सौ ही कमा पाती हूँ। हम भी गरीब हैं, बीपीएल कार्ड है, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं होती। शायद इस लिए क्योंकि हम मुस्लिम हैं।”

वे आगे कहती हैं  “पार्षद से बोलो तो कहती हैं आ जाएगा। मगर अब तक कुछ नहीं हुआ। जिनके पास पहले से पक्का मकान है, उन्हीं को फिर से मकान मिल जाता है। गरीबों को तो सरकार देखती ही नहीं।” 

Nazar Begum with her kutcha house

अपने कच्चे घर के साथ नजर बेगम (फोटो साभार: आलीमा)

पार्षद ने क्या कहा? 

 इस मामले को लेकर वहां के पार्षद आस्था गोस्वामी से भी बात की गई। उनका कहना है कि आवास योजना के लिए सभी महिलाओं का खूद फॉर्म भरवाया था। लेकिन कुछ दस्तावेजों के कमी के वजह से आगे काम नहीं बढ़ पाया। उनका कहना है कि वे इस बार फिर से फॉर्म भरवाएँगी और इस बार सभी खर्चें भी खुद ही उठाएँगी। वे कहती हैं  “मैं चाहती हूँ कि सभी लोगों को योजना का लाभ मिले लेकिन सरकार ने इस मामले में कई नियम बेहद सख्त कर दिए हैं जिससे लोगों को दिक़्क़त हो रही है। हम पार्षद भी बहुत कुछ नहीं कर पाते हैं।”

नगर पालिका से क्या जवाब मिला 

इस विषय पर नगर पालिका के अधिकारियों से भी बात की गई। उनसे बात करने पर सामने आया कि सीएमओ माधुरी शर्मा का कहना है कि पहले आए आवेदनों से अधिकतर लोगों को लाभ दिया जा चुका है। अब सरकार द्वारा फिर से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस बार घर-घर जाकर जांच-पड़ताल की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर सच में पात्र है तो उन्हें योजना का लाभ जरुर मिलेगा। 

प्रधानमंत्री आवास योजना भले कागजों पर सफल दिखे लेकिन ज़मीनी हक़ीकत कुछ और ही कहती है। कई सालों से पात्र लोग जिनकी हालत बेहद खराब है अब भी पक्के मकान के इंतजार में हैं। एक तरफ उनके फॉर्म बार-बार रिजेक्ट हो रहे हैं, दूसरी तरफ उन्हीं के वार्ड में बाकी लोगों को मकान मिल गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या यह योजना सच में सभी के लिए है या फिर कुछ ही लोगों के लिए?

 

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