भारत में आज भी जातिवाद की जड़ें गहरी हैं। यह बात नवरात्रि पर्व के दौरान सामने आई घटनाओं से साफ दिख रही है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छपारा थानांतर्गत सादक सिवनी गांव में दलित समाज के लोगों को गांव के अन्य समाज के लोग और दुर्गा समिति के लोगों ने दुर्गा पूजा पंडाल में प्रवेश से रोक दिया है। यह परिवार पूजा-दर्शन के लिए आया था। दर्शन करने का प्रयास करने वालों के साथ गाली गलौच की गई।
दलित समय के लोग दुर्गा पूजा पंडाल में पूजा करने पहुंचे थे। परिवार का आरोप है कि दर्शन करने आए लोगों के साथ दुर्गा पंडाल में बैठे अन्य समाज के लोगों ने ने गाली गलौच की है। इसका वीडियो भी सामने आया है जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति लाठी लिए खड़ा दिख रहा है। परिवार ने ही इस घटना का वीडियो बनया था। साथ ही उसे डरा रहा है। वीडियो सामने आने के बाद तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। परिवार ने दुर्गा पूजा के लिए अन्य समाज के लोगों ने चंदा देने पर न लेने सहित कई बातों पर आपत्ति जताई। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस दौरान समाज के लोगों द्वारा कुछ अपशब्द भी कहे गए जिससे आहत होकर वहां के दलित समाज के लोग छपरा थाना पहुंचे और पुलिस को वीडियो दिखाते हुए उनके पास शिकायत दर्ज करवा दी। जिसके बाद पुलिस ने तीन लोगों के ऊपर एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। फ़िलहाल बताया जा रहा है कि आरोपी फरार है जिसे जल्द ही हिरासत में लिया जाएगा।
एट्रोसिटी एक्ट
भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सदस्यों के खिलाफ अत्याचारों और भेदभाव को रोकने के लिए बनाया गया एक कानून है। इसके तहत अनुसूचित जाति या जनजाति के किसी सदस्य को गलत तरीके से बेदखल करने, उसके अधिकारों में बाधा डालने या उसे अपमानित करने जैसे कई कृत्यों को अत्याचार माना गया है और ऐसे अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस एक्ट के तहत पीड़ितों को तत्काल राहत और पुनर्वास प्रदान किया जाता है और ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की जाती है।
रास्ते में रोक कर दी गई धमकी
हिंदुस्तान के खबर के अनुसार शिकायतकर्ता परिवार ने आरोप लगाते हुए बताया कि वह चौधरी समाज का है और मज़दूरी करता है। वह सुबह नौ बजे के क़रीब दुर्गा जी मंदिर पंडाल में पूजा करने गए थे इसके बाद वे खेत से घर वापस आ रहे थे। इसी दौरान रास्ते में गांव का मेहरवान सिंह ठाकुर मिला और बोला कि ‘तेरी बहुत शिकायत मिल रही है। तू दुर्गा जी मंदिर पंडाल में अंदर जा कर पूजा कर रहा है। तेरे दादा पुरखे सब बाहर से पूजा किए हैं। तेरी दुर्गा जी पंडाल के अंदर जाकर पूजा करने की हिम्मत कैसे हुई।” इस दौरान उन्हें जतिसूचक गालियां भी दी गई।
‘दलित से चंदा मत लो’
परिवार ने आरोप लगाया है कि मंदिर में चंदा देने गया तो दबंगो ने धक्का दे कर उन्हें पंडाल से नीचे उतार दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता के मां अगली बार पूजा करने मंदिर गई तो दबंगो ने गाली गलौच करते हुए डंडा लेकर जातिसूचक शब्दों के साथ मंच से उतार दिया।
छपरा पुलिस ने क्या कहा –
नवभारत टाइम्स के खबर अनुसार छपरा पुलिस के अनुसार श्यामलाल अहिरवार ने शिकायती पत्र में बताया कि बुधवार को वह दुर्गा चौक के सार्वजनिक दुर्गा पंडाल में पत्नी और बेटे के साथ पूजा करने गए थे। वहां दबंगों ने उन्हें पूजा करने से यह कहते हुए रोक दिया कि तुम यहां पूजा नहीं कर सकते। एसपी सुनील मेहता ने जानकारी देते हुए बताया कि मुक़दमा लिख लिया गया है। शीघ्र ही गिरफ्तारी की जाएगी। फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो आज भी समाज में जात-पात भेदभाव नजर आ रहा है।
इस साल नवरात्रि के पर्व में यह घटना नई नहीं है। इस तरह की जातिगत और धार्मिक चीजों से जुड़े कई खबर सामने आ चुकी है। इससे पहले मध्य प्रदेश से ही एक खबर आई थी जिसमें दुर्गा पंडाल के अंदर गरबा करने के लिए हिंदू समाज के अलावा किसी और की एंट्री बंद किए जाने के नियम बनाए गए थे। अगर एंट्री ली भी जाए तो केवल तिलक, रक्षा सूत्र का इस्तेमाल करने पर। ठीक ऐसा ही खबर महाराष्ट्र से भी देखने को मिली थी।
ऐसे घटनाएं इस बात की याद दिलाती है कि धार्मिक आयोजनों में भी सभी को शामिल होने का अधिकार नहीं मिलता। ऐसे घटनाएं यह भी बताती हैं कि भारत में लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों को ज़मीनी स्तर पर लागू करने में अभी भी लम्बा रास्ता तय करना बाकी है। भारत यदि वास्तव में धर्मनिरपेक्ष और समानता पर आधारित राष्ट्र बनना चाहता है तो जातिवाद और भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ कड़ा सामाजिक और कानूनी कदम उठाना अनिवार्य है।
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