देश के अलग-अलग राज्यों से सामने आई घटनाएं बता रही हैं कि स्कूलों में बच्चों के साथ हिंसा लगातार बढ़ रही है। ये आइसोलेटेड मामले नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गहरी खामियों का संकेत हैं।
मध्यप्रदेश के देवास से हाल ही में एक खबर सामने आई है। आरोप है कि एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाबालिग छात्र को पीटा। पीटने का कारण था कि बच्चे ने टीचर को पहाड़ा नहीं सुनाया। आरोप है कि बच्चे को लोहे के रॉड से पीटा गया जिससे वह बच्चा घायल की स्थिति में है। मामला देवास शहर के इटावा स्थित मदर्स लेब इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल का है।
नहीं सुना पाया दो का पहाड़ा
NDTV की रिपोर्ट अनुसार बच्चे के पिता रूप सिंह दरबार ने बताया कि उनका बच्चा अभी पहली कक्षा में पढ़ता है। यह मामला बीते 13 अक्टूबर 2025 की है जब कक्षा में प्रिंसिपल द्वारा बच्चों से दो का पहाड़ा पूछा गया। जब कुछ बच्चे जवाब नहीं दे पाए तो स्कूल प्रिंसिपल इस कदर ग़ुस्सा हो गई कि उन्होंने बच्चे को पीटना शुरू कर दिया। प्रिंसिपल की मारपीट के बाद मासूम के शरीर पर सूजन और चोट के निशान उभर आए। बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी लेकिन डर के कारण उसने घर पर कुछ नहीं बताया। अगली सुबह जब मां ने बच्चे को नहलाने के लिए उसके कपड़े उतारे तो मासूम के शरीर पर लोहे की रॉड की पिटाई से उभरे चोट के निशान देखकर परिजन सन्न रह गए।
प्रिंसिपल के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन में शिकायत
परिजनों ने प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग करते हुए 181 (सीएम हेल्पलाइन) पर शिकायत दर्ज कराई गई है। इस घटना के बाद आस पास के लोगों ने भी मांग की कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कठोर क़ानूनी कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं दोहराया न जाए।
स्कूल संचालक का बयान
दैनिक भास्कर की रिपोर्टिंग अनुसार इस मामले में स्कूल संचालक शशिकला ठाकुर ने बताया कि किसी टीचर द्वारा कोई मारपीट नहीं की गई है। आगे कहा कि शायद बच्चे छुट्टी के समय आपस में लड़े होंगे। संचालक का कहना है कि चांटा मारने पर भी छोटे बच्चे घर जाकर बोलते हैं कि टीचर ने मारा है। “परिजनों को ऐसा लगा कि टीचर ने मारा है। गलतफ़हमी में यह सब परेशानी आई है। यदि टीचर द्वारा मारपीट की गई है तो मैं माफी चाहती हूँ।”
हरियाणा के स्कूल में बच्चे को लटकाया उल्टा
बता दें यह खबर नई या पहली नहीं है। इससे पहले भी स्कूलों में बच्चों को गंभीर तरीके से पीटने की खबर सामने आई है। हरियाणा के पानीपत जिले में एक निजी स्कूल के कक्षा दो के छात्र को प्रिंसिपल के इशारे पर स्कूल के ड्राइवर ने कथित तौर पर खिड़की से उल्टा लटका दिया और उसकी पिटाई की। यह घटना 22 अगस्त 2025 की है। इंडियन एक्सप्रेस के खबर अनुसार स्कूल में दाखिला लेने वाले एक लड़के को कथित तौर पर प्रिंसिपल ने होमवर्क पूरा न करने पर डाँटा था। इसके बाद प्रिंसिपल ने ड्राइवर को बुलाकर लड़के को सज़ा सुनाई। ड्राइवर ने कथित तौर पर लड़के को डाँटा और उसे कक्षा की खिड़की से उल्टा लटका दिया। उसने बच्चे पर की गई इस यातना का वीडियो भी रिकॉर्ड किया और उसे ऑनलाइन अपलोड कर दिया।
इस मामले पर केस दर्ज
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुई यह क्लिप बच्चे के परिवार तक भी पहुंची, जिन्होंने बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मुखीजा कॉलोनी निवासी सात वर्षीय बच्चे की मां की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर स्कूल की प्रिंसिपल रीना और ड्राइवर अजय को गिरफ्तार कर लिया था। पानीपत के उपायुक्त वीरेंद्र दहिया ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सभी छात्रों की काउंसलिंग करने का निर्देश दिया।
उत्तराखंड में भी कुछ इसी तरह की खबरें सामने आई
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में सात वर्षीय एक लड़के के साथ उसके दो शिक्षकों ने कथित तौर पर मारपीट की। इंडियन एक्सप्रेस के खबर अनुसार झबरेड़ा थाना प्रभारी अजय शाह ने बताया कि प्रिंसिपल द्वारा शिकायत पर कोई कार्रवाई न किए जाने पर पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। अधिकारी ने कहा “वह प्रिंसिपल के पास शिकायत लेकर गया था लेकिन आरोपी शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत मिलने के बाद हमने प्रिंसिपल और शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।”
पिता का आरोप
शिकायत करते हुए पिता ने आरोप लगाया कि बच्चे को ज़मीन पर पटका गया, उसके चेहरे को जूते से दबाया गया और दूसरे इंसान ने बच्चे को छड़ी से पीटा। शिकायत में ये भी लिखा कि बच्चे के प्राइवेट पार्ट पर चोटें भी आई है और बच्चा सदमे में है। शिकायतकर्ता ने बच्चे की मेडिकल रिपोर्ट और तस्वीरें संलग्न कीं, जिनमें उसकी पीठ पर लाल निशान दिखाई दे रहे हैं।
केस दर्ज
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के तहत एक बच्चे के साथ क्रूरता करने, भारतीय न्याय संहिता की धारा 115 (2) के तहत स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और आपराधिक धमकी के लिए 351 (2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
बचपन वह उम्र होती है जब डर के नहीं समझ के बीज बोए जाते हैं लेकिन जब स्कूल ही बच्चों के लिए भय और हिंसा की जगह बन जाए तो सबसे पहले सवाल उठता है व्यवस्था पर। मध्यप्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से सामने आई ये घटनाएं आइसोलेटेड या अलग-अलग नहीं हैं ये समाज, स्कूलों की निगरानी प्रणाली और संवेदनशीलता की परीक्षा हैं जिसमें बार-बार फेल की स्थिति दिखाई नजर आती है।
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