MOTHERS DAY 2022 : माँ को कई परिभाषाओं में बाँधा गया पर माँ को न तो परिभाषित किया जा सकता है और न ही बाँधा।
माँ को स्वार्थी होना चाहिए। माँ को खुद के बारे में सोचना चाहिए। मां, मैं कोई नहीं होती बताने वाली कि तुझे कैसा होना चाहिए, तुझे क्या करना चाहिए। सारी दुनिया ने तुझे घेरे में बांध दिया है। कहती है, तू परिवार और बच्चों के लिए जीती है।
लेकिन माँ, ये जीवन तो तेरा भी है ना? तू खुद के लिए क्यों नहीं जीती?
माँ……मैं, पापा, भाई और ये पूरा समाज सबसे ज़्यादा स्वार्थी है जो हमेशा उम्मीद करता है कि तू उनके पीछे रहे या साथ रहे पर तुझे आगे रखने को नहीं सोचता। मां, तुझमें न कोई बंधन , न कोई पैबन्ध है, न तुझे कोई रोक सकता है फिर भी हम लोगों के लिए हमेशा, हमें पकड़ने के लिए खड़ी रहती है।
माँ, अगर तू परिवार और बच्चों को बाद में रखकर खुद को आगे रखती है तो मैं तुझे समझती हूं। आखिर मैं भी तेरा ही हिस्सा हूँ। तू खुद की खुशियों के बारे में सोच उस ओर कदम बढ़ाती है, तो मैं तुझे समझती हूं।
अगर कभी मैं, पापा, भाई, परिवार या फिर ये समाज तुझसे सवाल करने लगे कि तुझे खुद में और इन सब में चुनना होगा तो, मां क्या तू खुद के लिए स्वार्थी हो सकती है? मां, मैंने तुझे ज़िंदगी भर सबके लिए जीते देखा है। तू मेरी बात मत सुन लेकिन खुद को ज़रूर सुनना माँ।
मेरा तुझसे ये कहना, मेरा स्वार्थ है। माँ क्या तू भी स्वार्थी नहीं हो सकती? माँ, कई बार मुझे लगता है कि मैं यह सब कहकर तुझे अपनी सोच में बांध रही हूं, पर मां क्या तू खुद से उठकर खुद को अपने लिए, तेरे लिए लड़ने के लिए कभी कहेगी?
मां, मैं डरती हूँ कि कहीं हमारी ज़िन्दगियों को संवारने में तेरी ज़िंदगी कहीं गुम न हो जाये। कहीं तू खुद को भूल न जाये। कहीं तेरे होने की यादें धुंधली न हो जाये फिर मैं तुझे कैसे ढूंढूंगी?
माँ, ये मेरा स्वार्थ है कि मैं तुझे तेरे ममत्व से पहले, उसके बाद, उसके बिना, तेरे हर पहलू को तुझमें, तुझे तलाश करने को कह रही हूं।
माँ, तुझमें कई रिश्ते, तुझसे कई रिश्ते।
तुझमें पली मैं ज़िंदगी
मेरी ज़िंदगी तू।
मां,
तू खुद में एक पूरी ज़िंदगी है
जिसकी तलाश हर महरूम
भटक जाने के बाद करता है।
तू खुद के लिए जीये
ये मेरी खुदगर्ज़ी,
तू माँ है, तू जो चाहे वो बन
तू ज़िंदगी है,
तू खुद की बन
या किसी की भी बन,
तू खुद में
पूरी एक ज़िंदगी है।
माँ, तेरा हर रूप मंज़ूर है, तेरी हर कहानी, तेरा हर फैसला मंज़ूर। आखिर मैं भी तो तू ही हूँ।
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