उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में जोरों पर चल रहे खनन कारोबार के चलते नदी और पहाड़ नष्ट होने की कगार पर हैं। जिसके कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और पर्यावरण प्रभावित हो रहा है, लोगों की जिंदगी में भी उसका भारी असर पड़ रहा है| जब हमने इस बारे में लोगों से बात करी और जानकारी लेना शुरू करी तब हमें पता चला कि अभी कुछ ही दिन पहले ही पहाड़ों और नदियों की निगरानी के लिए कैमरे भी लगवाए गए हैं। लोगों का कहना है कि उनका प्रदूषण के कारण जीना मुश्किल हो गया है और खनन के कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है जिसे जल्द से जल्द बंद होना चाहिए।
लेकिन दूसरी तरफ उनका यह भी कहना है कि अगर यह खनन बंद हो जाएंगे तो उनके रोजगार पर भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। वो खुल कर साँसे लेना तो चाहते हैं लेकिन अपने पेट पर लात नहीं मारना चाहते। जबकि उन्हें इस बारे में अच्छे से पता है कि कि खनन में किस तरह के खतरे हैं और प्रदूषण के कारण उनको कई तरह की बीमारियों का शिकार भी होना पड़ता है।
लोगों का यह भी कहना है कि इन 2 सालों में पत्थर कारोबार में काफी गिरावट आई है जिसके चलते महोबा का जो फेमस कारोबार है पत्थर का उसमें अब बहुत ही कम लोगों को रोजगार मिल पा रहा है और वह पलायन करने लगे हैं जबकि एक समय था कि यहां इतना रोजगार था कि लोगों को पलायन नहीं करना पड़ता था। जब इस बारे में हमने किसानों से बात की तो किसानों का कहना था कि खनन के कारण उनकी जमीनें भी बंजर हो रही हैं क्योंकि बहुत सी जमीन इन नदियों और पहाड़ों के आसपास हैं जो उपजाऊ हुआ करती थी लेकिन आज अगर देखा जाए तो उन जमीनों में कुछ भी पैदावार नहीं होता और वह बंजर पड़ी हैं।