खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए किराए की कोख, हसीं के फुहारे के साथ इमोशन का तड़का है मिमी

किराए की कोख, हसीं के फुहारे के साथ इमोशन का तड़का है मिमी

किराए के कोख, हसीं के फुहारे के साथ इमोशन का तड़का है मिमी, आओ थोड़ा फ़िल्मी हो जाए. जैसा की ट्रेलर देख कर ही पता लग गया था ये फिल्म सेरोगेसी यानी किराए के कोख पर आधारित है। तो चलिए जानते हैं इसकी कहानी के बारे में.

फ़िल्म की कहानी राजस्थान की रहने वाली मिमी यानी कृति सेनन की है. जो पेशे से एक डांसर है. जिसका सपना बॉलीवुड में अभिनेत्री बनने का है. वो मुम्बई जाने के लिए पैसे जमा कर रही है. इसी बीच ड्राइवर भानु यानी पंकज त्रिपाठी मिमी को एक अमेरिकन दंपति के बच्चे की सरोगेट मां बनने का आफर देता है और ये भी बताता है कि उसे इसके लिए 20 लाख रुपए मिलेंगे.

अपने सपनों को पूरा करने के लिए मिमी तैयार हो जाती है. मिमी प्रेग्नेंट भी हो जाती है. सबकुछ ठीक चल रहा होता है कि अचानक डॉक्टर अमेरिकी दंपति को बताती है कि गर्व में पल रहा बच्चा मानसिक रूप से कमजोर पैदा होगा। अमेरिकी दंपति बच्चा लेने से इंकार कर देते हैं और बच्चे को एबॉर्शन करने को कह बिना मिमी से मिले ही अमेरिका चले जाते हैं और यही से असल कहानी शुरू होती है.

इसके बाद मिमी अपने घर में भानु को अपने बच्चे का पिता बता देती है. मिमी को एक बेटा होता है और तभी भानु की पत्नी भी वहां पहुंच जाती है और फिर सबको पूरा सच पता लगता है. मिनी, भानु और समा सब राज यानी मिमी के बेटे को खुशी से पाल रहे होते हैं. तभी चार चाल बाद वह कपल वापस आता है और राज को साथ ले जाने की बात करता है. लेकिन क्या मिमी राज को भेजती है…इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

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फिल्म सरोगेसी की कानूनी जटिलताओं और तकनीकी बहस में नहीं उलझती. न ही वह रोने-धोने और तनाव पैदा करने वाला ड्रामा दिखाती है. यहां सब कुछ फील-गुड अंदाज में आगे बढ़ता है. थोड़ा हंसाता-गुदगुदाता है और थोड़ा इमोशनल बनाता है. मिमी की कहानी ‘लोग क्या कहेंगे’ वाले चक्कर में भी नहीं पड़ती और सधे हुए ढंग से लगातार आगे बढ़ती है. फिल्म में रोमांस, ऐक्शन, थ्रिलर न होने पर भी फिल्म बोर नहीं होने देती. मिमी के रोल में कृति सैनन खरी उतरी हैं. मां बनने से पहले और मां बनने के बाद के अपने किरदारों को उन्होंने शिद्दत से जीया है.

इसी तरह टूरिस्टो को दिल्ली-राजस्थान घुमाने वाले कार ड्राइवर बने पंकज त्रिपाठी हमेशा की तरह यहां भी छाए हैं. बिना रोमांस-ड्रामा के भी वह अपने अभिनय और सहज संवाद अदायगी से केंद्र में बने रहते हैं. पंकज पूरी ईमानदारी और मेहनत से अपना काम करते हैं. फिल्म में सहायक कलाकारों ने भी अपनी भूमिका बढ़िया से निभाई है. मिमी की सहेली के रूप में सई ताम्हणकर जमी हैं जबकि मिमी के माता-पिता के रूप में सुप्रिय पाठक और मनोज पाहवा भी फिट हैं. बस फिल्म थोड़ी और छोटी हो सकती थी जिस वजह से मैं इसके 1 स्टार काटने वाली हूँ मतलब इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते है 5 मेसे 4 स्टार.

तो दोस्तों आपको ये फिल्म कैसी लगी हमें कमेंट कर के बताइयेगा जरूर. अगर हमारी वीडियो पसंद आई हो तो लाइक और दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तो मिलते हैं अगले एपिसोड में तब तक के लिए नमस्कार.

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