जिला टीकमगढ़ के ब्लॉक जमनी खेड़ा के गाँव बड़ा गाँव के लोग जिला ललितपुर के ब्लॉक महरौनी में मटर गेहूं मसूर की कटाई करने के लिए आए हुए हैं। इनका कहना है कि हमारे गांव में किसी प्रकार का काम नहीं है, इससे पहले हम लोग बाहर काम करते थे। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में चिनाई का काम किया करते थे और हमें वहां पर ₹300 प्रतिदिन मिलता था।
हमारे हर महीने की आय 8-9 हज़ार के करीब होती थी। अब हम लोगों को वहां जाने में काफी डर लग रहा है कि कहीं हमें कोरोना जैसी बीमारी हो गयी तो हम लोग तो इलाज भी नहीं करा पाएंगे। इन लोगों के पास न खेती है न ज़मीनें हैं, इनका कहना है कि हम करें भी तो क्या करें, या तो मज़दूरी करें या धान कुटाई करें। इनके बच्चे भी गरीबी होने के कारण पढ़ लिख नहीं पा रहे हैं, और क्यूंकि इन्हें एक जगह से दूसरी जगह पलायन करते रहना पड़ता है।
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इसलिए इनके बच्चों का भविष्य भी दांव पर लगा हुआ है। इन लोगों का कहना है कि ये इस गाँव में इसलिए आये हैं ताकि कटाई करके थोड़े पैसे भी जुटा लें और मसूर, गेहूं, मटर आदि की कुटाई कर थोड़ा बहुत खाने के लिए घर भी ले जा सकें। ये लोग यहाँ डेढ़ महीने कुटाई करेंगे और फिर अपने गाँव वापस चले जायेंगे। कुछ लोग शायद काम की तलाश में बड़े शहरों की तरफ भी रुख मोड़ लें उसके बाद। इनका कहना है कि हर चीज़ इतनी महंगी है, लॉकडाउन लगने के बाद से ये पैसे तक नहीं जुटा पा रहे कि अपने बच्चों का पालन पोषण कर लें। कोरोना महामारी ने सबसे ज़्यादा मुसीबत गरीबों को ही दी है।