बांदा ज़िले के बरईमानपुर गाँव के रहने वाले लाल खां किसान ने खेती से लेकर पशु- पालन तक का काम करा है। उनका मानना है कि किसी भी काम को करने की लालसा होनी चाहिए फिर इंसान एक से ज़्यादा काम एक-साथ कर सकता है। उन्होंने अपने खेत में सब्ज़ियाँ बोने से किसानी की शुरुआत करी थी, लेकिन फिर जब सब्ज़ियों के काम में उन्हें ज़्यादा सफलता नहीं मिली तो उन्होंने गेहूँ आदि की फसल बोना भी शुरू कर दिया।
लाल खां की मानें तो उन्होंने जीवन भर किसान के रूप में मेहनत तो बहुत करी लेकिन फिर भी उन्हें किसानी में ज़्यादा मुनाफ़ा नहीं हुआ। इसी को मद्देनज़र रखते हुए लाल खां ने पशु पालन करने की थानी। उन्होंने बकरी पालन से लेकर मुर्गी, मछली आदि पालन की अलग-अलग जगहों से ट्रेनिंग ली और फिर बांदा आकार इन कामों को शुरू किया।
लाल खां के जीवन में एक अजीब मोड़ तब आया जब एक सड़क दुर्घटना में उन्हें काफ़ी चोटें आ गयीं और उनके शरीर ने उनका साथ देना छोड़ दिया। अब लाल खां को ज़्यादा चलने-फिरने में दिक़्क़त होती है, इसलिए उन्होंने अपने खेत भी दूसरे किसानों के हवाले कर दिए हैं। लेकिन फिर भी उनके अंदर काम करने की लगन अभी भी कम नहीं हुई है। वो अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि कैसे भी करके वो काम करते रहें और अपने परिवार का पेट पालते रहें, लेकिन बढ़ती महंगाई हम सब की तरह उन्हें भी काफ़ी परेशान कर रही है।
लाल खां का कहना है कि आजकल के समय में न ही किसानों की अहमियत मानी जाती है और न ही उन्हें किसी भी योजना का लाभ मिलता है, परंतु सरकार को किसानों की स्थिति सुधारने की ओर ध्यान देना चाहिए देशभर के गरीब किसानों की मदद करनी चाहिए।
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