अयोध्या जिले की कवयित्री एवं शिक्षिका निरुपमा श्रीवास्तव जो अवधी भाषा जो विश्व की एक पहचान है उसे जीवित रखने का काम कर रही हैं। हाल ही में इन्हें अवधी विकास संस्थान की संयोजिका भी न्युक्त किया गया है।निरूपमा श्रीवास्तव कवयित्री एवं शिक्षिका है इनकी माँ भी श्रीमती ऊषा देवी रामकली इंटर कालेज की शिक्षिका और महान कवयित्री रह चुकी हैं। जो कि महादेवी वर्मा की शिष्या थीं | इस प्रकार यह भी अपनी माँ से प्रेरित हो कर और शिक्षित परिवेश से प्रेरित हो कर , कवितायेँ और कहानियाँ लिखने लगीं| इन्होने पहली कविता भिखारियों की दुर्दशा को देख कर लिखी कि कैसे लोग नदियों में सिक्के डालते हैं लेकिन भिखारियों को करुणा के भाव से भीख तक नही देते हैं |
इनको शुरुआत में अपनी कवितायों को लिख कर रख लेती थी लेकिन फिर बाद में पति और ससुर ने बहुत प्रोत्साहित हुई उसके बाद से उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुई|
उनके इस साहित्यिक पथ में काफी लोगों का सहयोग रहा पारिवारिक दृष्टी से देखा जाये तो उनकी माँ सास ससुर पति सभी लोगों ने सहयोग किया और बाहरी लोगों में श्री तारा चन्द्र तन्हा जमुना प्रसाद उपाध्याय और भी कई लोगो ने सहयोग किया | इन लोगों ने ही इन्हें बताया कि किस प्रकार की कवितायों का कहा प्रस्तुतीकरण करना है |
इन्हें काफी सरे पुरष्कारों से भी सम्मानित किया गया
इनकी माँ महादेवी वर्मा जी की शिष्या थी इनका बचपन सहित्य परिवेश मे बीता इनका मायका तारून ब्लाक और इलाहाबाद में इनकी शिक्षा की पढ़ाई पूरी की है। जब ये क्लास 9मे थी तभी से कहानी, कविता, रचना लिखना शुरू कर दी और आज ये उत्तर-प्रदेश की अवध विकास संस्थान के महिला प्रकोष्ठ संयोजिका बनी है। इनकी कविता रचनाएँ मैगजीन व पेपर में भी प्रकाशित हो चुके हैं। अपनी कविताओं के जरिये तो आइये जानते हैं निरूपमा श्रीवास्तव से खुद उनकीं कहानी का सफर।