खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए हर मर्द का दर्द- बाला फिल्म रिव्यू: समाज के दोहरी मानसिकता पर प्रहार

हर मर्द का दर्द- बाला फिल्म रिव्यू: समाज के दोहरी मानसिकता पर प्रहार

जब आप यग हो और आप के बाल गिरने लगे जब आईने के सामने होकर आप खुद को नहीं कंघी में निकले बालों को देखे तो दर्द होता है है न कुछ ऐसी ही कहानी है ८ नवम्बर को रिलीज़ हुई फिल्म बाला की। वैसे ये फिल्म रिलीज़ होने से पहले ही विवादों में घिरा था. कारण सनी सिंह द्वारा अभिनीत उजड़ा चमन फिल्म भी सेम मुद्दे को उठाया गया.

उसमे भी फिल्म का लीड किरदार के बाल नहीं होते और बाला में भी आयुष्मान अपने गिरते बालों से परेशान है खैर हम बात करते है फिल्म बाला की. उत्तर प्रदेश के कानपुर और लखनऊ की देसी भाषा से फिल्म शुरू होती है। फिल्म में बालमुकुंद शुक्ला यानी कि ‘बाला’ यानी के आयुष्मान खुराना बचपन में अपने लंबे बालों और जबरदस्त एटीट्यूड के लिए पहचाने जाते थे. इतना ही नहीं, स्कूल में कानपुर के नन्हे बाला लड़कियों के बीच अपने बालों की स्टाइल से मशहूर थे.फिल्म रिव्यू में देखिए मर्दानी 2 का सरप्राइज़ पैकेज आओ थोड़ा फिल्मी हो जाएं में

टीचर से लेकर दोस्तों का मजाक उड़ाने में जरा सा भी वक्त नहीं लेते, लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि खुद मजाक बनने को मजबूर हो गए. . 25 की उम्र में बाला का बाल झड़ना शुरू हो गया , हर समय बाल गिरने की वजह से 200 से ज्यादा नुस्खे अपनाए, लेकिन फिर भी कोई उपाय नहीं मिला. आखिर में नकली बालों का सहारा लेना पड़ा. काले रंग की वजह से बचपन से लोगों का ताना सुनती आईं लतिका त्रिवेदी यानी भूमि पेडनेकर अपने क्लासमेट बाला को बीच-बीच में छेड़ती रहती है . फिर बाला की लाइफ में आती हैं परी मिश्रा यानी यामी गौतम , जो सच में बाला की जिंदगी के लिए परी होती हैं और फिर शुरू होता है फिल्म का असली मजा.

अब क्लाइमेक्स ये है की परी से बाला की शादी हो जाती है लेकिन फिर क्या होता है जब परी को बाला की सच्चाई का पता लगेगा। अब ये बाते हम अभी बता देंगे तो आप फिल्म कैसे देखने जाएंगे। एक्टिंग के मामले में आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, यामी गौतम, तो कमाल करते ही है साथ में सौरभ शुक्ला, सीमा पाहवा और जावेद जाफरी से लेकर उनके छोटे भाई का किरदार निभाने वाले धीरेंद्र कुमार गौतम भी छा गए हैं। इन सभी एक्टर्स की एक्टिंग, इस फिल्म की जान है। स्त्री की बेजोड़ सफलता के बाद निर्देशक अमर कौशिक के लिए वही जादू दोहराना आसान नहीं रहा होगा।

लेकिन ‘बाला’ के साथ शत प्रतिशत उन्होंने एक बार फिर दिल जीत लिया है। गंजेपन और समाज में फैली दोहरी मानसिकताओं पर सवाल उठाती यह फिल्म खुद से प्यार करना सिखाती है ।

गंजे, मोटे, काले, नाटे होने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह कोई दोष नहीं है। समाज की मानसिकता को हम तभी बदल सकते हैं, जब हम खुद अपने आप को पूरे विश्वास के साथ अपनाते हैं। फिल्म सिर्फ गंजेपन पर ही नहीं, बल्कि रंगभेद और सोशल मीडिया एडिक्शन जैसे कई सामाजिक- मानसिक मुद्दों को छूती है फिल्म का फर्स्ट हॉफ बहुत ही मजबूत है, सेकेंड हॉफ में कहानी थोड़ी खिंची सी लगने लगती है, लेकिन शानदार क्लाईमैक्स के साथ बाला  सिर्फ अच्छी यादें छोड़ती हैं। फिल्म में भरपूर इंटरटेनमेंट हैं, लेकिन साथ ही साथ कई बातें ऐसी भी कही गई हैं जो युवाओं के लिए समझना बेहद जरूरी है। हमारी तरफ से इस फिल्म को मिलते है 5 में से 4 स्टार