द कविता शो के इस एपिशोड में आपका स्वागत है। दोस्तों यूपी और एमपी बाढ़ से घिर चुका है। नदियाँ उफान पर है। कई गांवो का सम्पर्क टूट चुका है, लोग अपने बाल बच्चों को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं।
नरैनी ब्लाक का तेरा ब गाँव बागै नदी के उस पार बसा है। नदी में बाढ़ आने के कारण एक हप्ते से गाँव के लोग कहीं आ जा नहीं पा रहे हैं। उस नदी में एक नाव चलती थी, लेकिन जब से जसपुरा में नाव पलटी है तबसे वहाँ भी नाविकों ने नाव चलाना बंद कर दिया है। कई बार प्रशासन से नदी के ऊपर पुल बनवाने की मांग कर चके हैं लेकिन पुल नहीं बना है।
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यही हाल वाराणसी का है। वहां की जनता को सर छुपाने तक की जगह नहीं है। लोग पाईपों में गुजारा करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। वाराणसी जिला के सरैया गाँव का एक परिवार घर में बाढ़ का पानी घुस जाने से पुलिया में गुजर-बसर कर रहा है। उनका आरोप है कि वह पूरे परिवार के साथ रैन बसेरा में शरण लेने गए थे लेकिन उन्हें यह कहकर भगा दिया गया कि वहाँ उनका नाम नहीं है। यह वाराणसी का मात्र एक उदाहण है ऐसे बहुत केस हमने कबर किये है जो आप चैनल में देख सकते हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के संसदीय क्षेत्र में इतने बुरे हाल हैं तो बाकी के क्षेत्रों का आंकनल आप लगा ही सकते हैं। बुन्देलखण्ड की केन यमुना और चन्द्रावल नदी के उफ़ान से जनता अपने घरो में कैद है। अभी तक लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार सुविधा नहीं करवा रही हैं। सोसल मीडिया में वायरल वीडियो सरकार की पोल खोल रही हैं।
बाढ़ हर साल आती है लेकिन प्रसासन बाढ़ से निपटने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं करता हैं। जहां पर बड़े नाले हैं जिससे गाँव के लोगों का आवागमन होता है वहां पर नाला बनवाना जरूरी क्यों नहीं समझा जाता है? जहां की नदियों में पुल बनवाना जरूरी है, वहां पर सरकार को पुल बनवाने में क्या परेशानी आती है? जिस तरह से सरकार पहले से बाकी उत्सव के लिए जोर शोर से तैयारी करती है उस तरह से बाढ़ से निपटने की तैयारी क्यों नहीं की जाती है? उसके लिए पैसे क्यों नहीं खर्च किये जाते हैं? अगर आप घर-घर झंडा लगवाने का अभियान चला सकते हैं तो बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए एक महीने पहले अभियान क्यों नहीं चलाया जाता है
अगर आपके मन है बाढ़ से जुड़े कोई सवाल तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट करके जरूर बताइए। चलती हूँ अगले शो में फिर आऊँगी किसी नए मुद्दे के साथ, नमस्कार।
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