विश्व चैंपियन के साथ-साथ एक युवा होना किसी भी खिलाडी के लिए अखाड़े में काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन मनीषा मौन के लिए नहीं। और ये उन्होंने एक बड़े पैमाने पर साबित भी करके दिखाया है। अब तक के सबसे मुश्किल टूर्नामेंट में उन्होंने, कजाकिस्तान की 20 वर्षीय विश्व चैंपियन डीना ज्होलामन को रविवार को महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतयोगिता के 54 किलोग्राम के वर्ग में हराकर, क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया है।
शंसकों को एक और ख़ुशी का मौका प्रदान करते हुए मैरी कोम ने कजाकिस्तान के एजीरिम कासेनायेवा को 48 किलोग्राम में 5-0 से जीत हासिल करी है। हालांकि, पूर्व चैंपियन सरिता देवी आयरलैंड के केली हैरिंगटन को 60 किलो के दूसरे दौर में 3-2 के अंकों से आगे नहीं बढ़ पाई हैं।
मनीषा ने हाल ही में एक और बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है जहाँ पोलैंड में सिलेसियन के ओपन टूर्नामेंट में उन्होंने ज्होलामन को भी हराया है।
पहला दौर में उन्हें काफी दिक्कत आई लेकिन मनीषा ने अगले दो दौर में काफी बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए, ज्होलामन को हरा दिया था। भारत के लोगों ने भी उनकी इस जीत और प्रदर्शन को काफी सराहा है।
मनीषा का कहना है कि “मैं अपनी प्रतिद्वंद्वी की प्रतिष्ठा को देखते हुए आखाड़े में प्रवेश नहीं करती हूं। जब मैंने पोलैंड में उन्हें पहली बार हराया, तो मुझे नहीं पता था कि वह एक विश्व चैंपियन रह चुकी हैं। जिस कारण मुझे काफी मदद मिली है”।
वहीँ कस्सेनायेवा को हराकर मैरी कोम ने क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया है। उनकी प्रतिभा की सराहना करते हुए दर्शकों ने उनकी इस जीत के बाद, तालियों से स्वागत किया था।
35 की उम्र में भी उनका जज़्बा और अखाड़े में लड़ने की क्षमता को देखकर, एक बेहतरीन खिलाडी की झलक दिखाई पड़ती है। अखाड़े में अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए नई-नई तरकीबों का इस्तेमाल करना भी दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया है।