मणिपुर गृह विभाग ने इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल (Thoubal), बिष्णुपुर (Bishnupur) और काकचिंग (Kakching) के घाटी जिलों में पांच दिनों के लिए न केवल मोबाइल इंटरनेट सेवाओं बल्कि लीज लाइनों, वीएसएटी, ब्रॉडबैंड और वीपीएन सेवाओं को भी बंद कर दिया है।
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मंगलवार, 10 सितंबर, 2024 को इंफाल पश्चिम जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए कर्फ्यू के दौरान सुरक्षाकर्मी तैनात (फोटो साभार: पीटीआई)
मणिपुर में साल भर से ज़्यादा से चल रही जातीय हिंसा के बीच हाल ही में छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प के बाद राज्य में तनावपूर्ण माहौल फैल गया है। इसे देखते हुए 3 घाटी जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके साथ ही पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है।
वहीं राज्य प्रशासन ने 11 और 12 सितंबर को दो अतिरिक्त दिनों के लिए स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने की अवधि भी बढ़ा दी है जोकि 8 सितंबर से ज़ारी है।
All government & private colleges in the state to remain closed on 11th-12th September: Government of Manipur pic.twitter.com/SRvg7zBGPC
— ANI (@ANI) September 10, 2024
यह निर्देश मंगलवार,को इंफाल में छात्रों द्वारा राजभवन की ओर मार्च करने का प्रयास करने के दौरान सुरक्षा बलों के साथ टकराव के बाद आया जिसमें लगभग 40 से 60 छात्रों के घायल होने की खबर है।
जानकारी के अनुसार, छात्रों के प्रदर्शन का उद्देश्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने के लिए दबाव डालना था।
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मणिपुर में इन जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बंद
जारी आदेश के अनुसार, मणिपुर गृह विभाग ने इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल (Thoubal), बिष्णुपुर (Bishnupur) और काकचिंग (Kakching) के घाटी जिलों में पांच दिनों के लिए न केवल मोबाइल इंटरनेट सेवाओं बल्कि लीज लाइनों, वीएसएटी, ब्रॉडबैंड और वीपीएन सेवाओं को भी बंद कर दिया है।
आदेश में बताया गया कि, “ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाओं को भड़काने वाली तस्वीरें, नफरत भरे भाषण और नफरत भरे वीडियो फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे मणिपुर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है।”
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं 3 मई 2023 से निलंबित होने के बाद पिछले साल 3 दिसंबर 2023 को बहाल की गई थीं – सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर। बताया गया कि यह एक चेतावनी के साथ आया था, जिसमें उपयोगकर्ताओं को “उन गतिविधियों से दूर रहने का निर्देश दिया गया था जो भविष्य में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की स्थिति पैदा कर सकती हैं”।
बता दें, पिछले साल जुलाई में एक सरकारी आदेश के बाद ब्रॉडबैंड सेवाएं फिर से चालू की गई थीं। पिछले साल 3 मई को इंटरनेट सेवाएं बंद करने के आदेश के बाद यह दूसरी बार है जब सेवाओं को बंद किया गया है।
राज्य में हिंसा को लेकर राज्यपाल का बयान
मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य के कार्यालय ने भी मंगलवार को एक बयान जारी किया है।
राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “राज्यपाल ने कहा है कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है… जनता की मदद से समस्या को हल करने के प्रयास में, माननीय राज्यपाल लगातार सार्वजनिक नेताओं, छात्र और लोगों से बात कर रहे हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, 11 सितंबर तक मणिपुर में अलग-अलग घटनाओं में 11 लोग मारे गए हैं, जिसके बाद छात्रों ने घाटी के इलाकों, खासकर थौबल और इंफाल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है।
मंगलवार को इम्फाल में पत्रकारों से बात करते हुए, आईजीपी (प्रशासन) के जयंत सिंह ने कहा, “संकट अब बहुत गंभीर है। यह वह समय है जब सुरक्षा बलों को सीमांत क्षेत्रों में किसी भी हमले से निपटने की आवश्यकता होती है। छात्रों के मौजूदा आंदोलन ने आंदोलनकारियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती और संसाधनों को खर्च करने के लिए मजबूर किया है।
न्यूज़18 रिपोर्ट ने लिखा,स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों को बंद करने का निर्णय इस बात को रेखांकित करता है कि मौजूदा अशांति कितनी गंभीर है। 9 सितंबर को सैकड़ों छात्रों ने मणिपुर सचिवालय और राजभवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मांगें राज्य की सुरक्षा पर केंद्रित थीं, विशेष रूप से हाल ही के ड्रोन और मिसाइल हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही के साथ-साथ मणिपुर की “क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता” की रक्षा की मांग।
राज्य में ज़ारी हिंसा को देखते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य में 2,000 सीआरपीएफ जवानों की तैनाती का भी आदेश दिया है।
बता दें, मई 2023 से मणिपुर में दो जनजातीय समुदाय मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा की लड़ाई चल रही है। मैतेई मुख्य रूप से बहुसंख्यक-हिंदू है और बड़े पैमाने पर शहरी केंद्रों में रहते हैं। वहीं मुख्य रूप से ईसाई कुकी आमतौर पर राज्य की पहाड़ी क्षेत्रों में बिखरी हुई बस्तियों में रहते हैं। दोनों समुदायों के बीच लंबे समय से तनाव भूमि, नौकरियों,आर्थिक लाभ व शिक्षा कोटा को लेकर रहा है। इसके साथ ही अधिकार कार्यकर्ताओं ने स्थानीय नेताओं पर राजनीतिक लाभ के लिए जातीय विभाजन को बढ़ाने का भी आरोप लगाया है।
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इसमें लगभग 226 लोग मारे गए हैं व कई लोग बेघर हो गए हैं। मणिपुर में चल रही इस जातीय हिंसा का न कोई अंत दिख रहा है और न ही कोई उपयुक्त समाधान।
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