खबर लहरिया Blog Manipur Violence : मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा को लेकर 10 पार्टियों ने पीएम को लिखा पत्र

Manipur Violence : मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा को लेकर 10 पार्टियों ने पीएम को लिखा पत्र

मणिपुर में चल रहे जातीय हिंसा मामले में अब तक 110 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। लाखों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

Manipur Violence, 10 parties wrote a letter to the PM regarding the ongoing violence

                                                                                      मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा की सांकेतिक तस्वीर/ सोशल मीडिया

Manipur Violence : मणिपुर पिछले कई महीनों से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच चल रही इस जातीय हिंसा के बीच कई लोग विस्थापित हुए और कई लोगों की जान ले ली गई। इन सब चीज़ों के बावजूद सत्ता में बैठी सरकार ने एक नज़र उठाकर इस राज्य की तरफ नहीं देखा। ताज़ा जानकारी के अनुसार, मणिपुर को लेकर कांग्रेस समेत कुल 10 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। पत्र में जातीय हिंसा को हल करने के लिए प्रधानमंत्री के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में अब तक 110 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। लाखों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

बता दें, पत्र पर कांग्रेस के अलावा जद (यू), सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने हस्ताक्षर किए हैं।

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एन.बीरेन सिंह को दोषी ठहराया जाए – जेडीयू प्रवक्ता

इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट कहती है, 19 जून को लिखे पत्र में विपक्षी दलों ने मणिपुर में हिंसा को रोकने में असफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की ‘बांटो और राज करो की राजनीति’ को जिम्मेदार ठहराया है।

जेडीयू मणिपुर के प्रवक्ता सैमुअल जेडाई ने कहा, “एन.बीरेन सिंह मणिपुर हिंसा के वास्तुकार हैं और उन्हें मणिपुर में किसी भी हत्या और रक्तपात के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।”

 

प्रधानमंत्री की चुप्पी पर आलोचना

बता दें, लिखे पत्र में प्रधानमंत्री मोदी के चुप रहने की भी आलोचना की गई और कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्य की यात्रा के बावजूद शांति बहाली में कोई फर्क नहीं आया है।

विपक्षी दलों ने चल रही गोलीबारी को बंद करवाने का आग्रह करने के साथ-साथ कहा कि सभी सशस्त्र समूहों को तुरंत निरस्त्र किया जाना चाहिए और पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए।

केंद्र सरकार के पैकेज पर जताई निराशा

द वायर हिंदी की रिपोर्ट कहती है, पत्र में आगे कहा गया, एसओओ के तहत कुकी उग्रवादियों द्वारा ऑपरेशन के निलंबन के जमीनी नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार द्वारा घोषित 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर अपनी निराशा दिखाते हुए पार्टियों ने राज्य सरकार से डेटा एकत्र करके प्रभावित लोगों के लिए अधिक पुनर्वास और पुनर्वास पैकेज की मांग की है।

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25 जून तक बढ़ा इंटरनेट पर प्रतिबंध

एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है, मणिपुर सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध को पांच दिनों के लिए 25 जून तक बढ़ा दिया है। राज्य में अशांति को देखते हुए डेटा सेवाओं पर 3 मई से लगातार रोक लगाई गई है। राज्य सरकार द्वारा मंगलवार को ज़ारी आदेश में कहा गया है कि राज्य में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को पांच और दिनों के लिए यानी 25 जून को दोपहर 3 बजे तक बढ़ाया जाएगा।

आदेश में कहा गया है कि, ‘मोबाइल फोन आदि पर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे वॉट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, बल्क एसएमएस आदि के ज़रिये से फर्जी सूचनाएं और झूठी अफवाहों के प्रसार को रोककर जनहित में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय करना अभी भी आवश्यक है।’

लगभग डेढ़ महीने से चली आ रही जातीय हिंसा अभी भी ज़ारी है और कोई निवारण होता नहीं दिख रहा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बीच यूएस के दौरे पर भी आलोचना की जा रही है। सरकार पर सवालों की बौछार हो रखी है पर जवाब एक भी नहीं। अगर कुछ है तो बस चुप्पी।

 

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