बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एक अधिसूचना जारी कर सोमवार को प्रस्तावित विधानसभा सत्र को “अमान्य” घोषित कर दिया। यह भी बताया गया कि राज्यपाल जल्द ही केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं, जिसके बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
![Manipur CM and BJP Leader N. Biren Singh Resigns; Possibility of President’s Rule in the State](https://khabarlahariya.org/wp-content/uploads/2025/02/bjsffj.jpg)
इंफाल के राजभवन में राजयपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफ़ा सौंपते हुए एन. बीरेन सिंह की तस्वीर (फ़ोटो साभार – सोशल मीडिया)
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच पिछले तक़रीबन 21 महीने से चल रही जनजातीय हिंसा के बीच रविवार, 9 फरवरी को सीएम एन. बीरेन सिंह ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया। भाजपा नेता एन. बीरेन सिंह ने अपना इस्तीफ़ा इंफाल में राजभवन में राजयपाल अजय कुमार भल्ला को सौंपा।
इम्फाल के राजभवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एन. बीरेन सिंह से कहा है कि जब तक “विकल्पीय व्यवस्था” नहीं हो जाती, तब तक वे पद पर बने रहें।
अपने इस्तीफ़े पत्र में बिरेन सिंह ने लिखा, “मणिपुर की जनता की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। मैं केंद्र सरकार का बेहद आभारी हूं, जिसने समय पर कदम उठाए, विकास कार्य किए और विभिन्न योजनाओं को लागू किया, जिससे हर एक मणिपुरी के हित सुरक्षित रहें। मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि केंद्र सरकार इसी तरह आगे भी काम करती रहे।”
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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने की आशंका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्तीफ़े के दौरान बिरेन सिंह ने सिफ़ारिश करते हुए कहा था कि विधानसभा को निलंबित रखा जाए ताकि विधायक उनके उत्तराधिकारी पर सहमति बना सकें। हालांकि, अभी तक ऐसा कोई भी नेता नहीं है जिसे पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त हो। इसका परिणाम यह हो सकता है कि केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है।
बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एक अधिसूचना जारी कर सोमवार को प्रस्तावित विधानसभा सत्र को “अमान्य” घोषित कर दिया। यह भी बताया गया कि राज्यपाल जल्द ही केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं, जिसके बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों के सामने दो महीने के अंदर पेश किया जाना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता, तो राष्ट्रपति शासन अपने आप खत्म हो जाएगा।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार संसद में जाने से पहले और समय लेना चाहती है, क्योंकि इस समय बजट सत्र चल रहा है। बजट सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक रखा गया है, लेकिन उस दिन रविदास जयंती की छुट्टी होने की वजह से इसे दो दिन पहले ही स्थगित किया जा सकता है।
वहीं बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। अगर राष्ट्रपति शासन संसद के अवकाश के दौरान लागू किया जाता है, तो इस पर चर्चा सिर्फ तब होगी जब संसद दोबारा बैठेगी।
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सीएम बिरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद राज्य में बड़ी सुरक्षा
मणिपुर में सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद आपातकालीन और संकट प्रबंधन योजना शुरू की गई है। सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, जिनका मुख्य कार्य घाटी की सुरक्षा पर है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि सीएम के इस्तीफे के बाद राज्य में स्थिति अब भी अनिश्चित है।
मणिपुर पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार, राज्य में पहले से ही पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं और फिलहाल अतिरिक्त केंद्रीय अर्धसैनिक बल (CAPF) की जरूरत नहीं है।
न्यूज़ 18 की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि छुपे हुए नेता और गुप्त स्थानों पर मौजूद लोग मणिपुर में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं।
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मैतेई-कुकी समुदाय के बीच जनजातीय हिंसा की शुरुआत
मई 2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से राज्य दो भागों में बंट गया है – मैतेई बहुल घाटी और कुकी बहुल पहाड़ी क्षेत्र। रिपोर्ट्स के अनुसार, कोटा और अनुदानों को लेकर हुई हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 से अधिक लोग बेघर हुए हैं।
2024 के आखिर में जब जिरीबाम में छह शव मिले, तो विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए। इसके बाद कई जिलों में कर्फ्यू लगाया गया और इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई।
हिंसा तब और बढ़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने मंत्रियों और विधायकों के घरों को निशाना बनाया, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। केंद्र सरकार ने अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए हैं और फिर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA) लागू कर दिया है।
साल 2023 में हुए ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ से हिंसा के शुरुआत होने की बात की गई, जो मैतेई समुदाय के अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा पाने की मांग को लेकर आयोजित किया गया था। इस मुद्दे पर मैतेई, कुकी और नागा समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
राज्य में बढ़ती हिंसा व उसे रोकने में असफ़लता को देखते हुए सीएम बिरेन सिंह से बार-बार इस्तीफ़े की मांग की जा रही थी। इसके साथ ही पूरे देश में व राजनेताओं द्वारा क्षेत्र में चल रही हिंसा को रोकने में असफ़ल होने को लेकर कड़ी आलोचनाएं भी सामने आ रही थी।
इस समय जब एन. बिरेन सिंह ने अपने सीएम के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा अगला मुख्यमंत्री किसे बनाती है और वह कौन होगा। इसके अलावा, जब तक सीएम के पद पर कोई नहीं है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की बात चल रही है, उस समय राज्य में शांति बनाये रखने के लिए किस तरह का इंतज़ाम किया जाएगा।
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