मकोय! नाम सुनकर ही आपको आपका बचपना याद आ गया होगा या फिर आप सोच रहे होंगे की नाम तो सुना-सुना सा लग रहा है। ख़ैर ज्यादा सोंचे इससे पहले मैं बता दूँ कि यही तो वो फल है जो हम बचपन में खाते थे। गाँव में इसे मकोइया के नाम से जाना जाता है। इसके पत्ते कच्चे हरे व फल भूरे एवं पक कर काले हो जाया करते हैं। मकोय की खेती तो नहीं होती लेकिन ये ज्यादतर झाड़ियों या खेतों में अपने आप उग आता है।
प्रकृति ने मनुष्य के जीवन को स्वस्थ रखने के लिए कई वनस्पतियां प्रदान की है। लेकिन इसकी जानकारी के अभाव में हर कोई इन औषधीय पेड़ों का उपयोग या यूँ कहें की पहचान नहीं कर पाता है। ऐसी ही एक औषधि है मकोय। मकोय का पौधा उत्तर-प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में पाया जाता है अगर हम बात करें बुन्देलखंड या अवध क्षेत्र की तो यहाँ मकोइया खेतों में आपको दिख जायेंगे जिसे काटकर किसान जानवरों को खिलाते हैं।
सर्दियों के मौसम में मकोय का फल लगता है इसके नन्हे-नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं। ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी। मकोय के फलों का स्वाद खट्टा -मीठा होता है। इन फलों में बारीक बीज भरे होते हैं। मकोय लिवर की बीमारियों के लिए बहुत उपयोगी है। लिवर की बीमारी के कारण हाथ पैर में सूजन आ जाती है, मकोय इस सूजन को समाप्त कर देती है। इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं । गाँव में लोग इसे रसभरी नाम से भी जानते हैं।
अगर हम मकोय के फायदे की बात करें तो ये बहुत ही फायदेमंद है ग्रामीण स्तर पर अक्सर अंग्रेजी दवाओं से पहले औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है जो काफी असरकारी साबित होता है ऐसे ही मकोइया के भी कई गुण हैं जो रोगों को दूर भगाता है। हमने अक्सर देखा है अगर मुंह में छाले हो जाते हैं तो इसके चार पत्ते लेकर और उन्हें मुंह में चबाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
चर्म रोग यानी दाद होने पर भी मकोय के रस को निकालकर दाद की जगह मालिश करने पर दाद ठीक हो जाता है।
ऐसे तो आपने मकोय आपने खेतों या पहाड़ी जगहों पर देखा होगा पर आपको मकोय वाराणसी जिले में बिकती हुई दिख जाएगी मकोय ही वह फल है जो वाराणसी में सबसे ज्यादा दाम में बिक रहा है 150 रूपये पाव मतलब 600 रुपया किलो। मकोय को खाने से पेट को काफी राहत मिलती है।
यहाँ के रमेश और अनीता ने बताया कि पहले तो इसे पूछता नहीं था बस खेतों में ही देखने को मिलती थी। हम लोग बचपन में इसे बहुत खाये हैं लेकिन आज जब हमारे बच्चे खाने लायक हुए और हम इसके बारे में बता पाए तो जल्दी मिलता ही नहीं। और यहाँ मिल भी रहा तो इतना महंगा की खरीद ही ना पाओ। लेकिन हम तो कहेंगे लोगों को इसके फायदे समझने चाहिए।