खबर लहरिया खेती महुआ के फूल, हमारी ज़िंदगी: चित्रकूट की आदिवासी महिलाओं की कहानी

महुआ के फूल, हमारी ज़िंदगी: चित्रकूट की आदिवासी महिलाओं की कहानी

चित्रकूट जिले के जंगलों में इन दिनों माहौल किसी उत्सव से कम नहीं है, क्योंकि यहां के बड़े क्षेत्रफल में फैले आदिवासी समुदाय के लोग महुआ के फूल इकट्ठा करने में जुटे हैं। इन फूलों की सुगंध जंगलों में तो फैल ही रही है, साथ ही यह समुदाय के लिए खुशहाली भी लेकर आई है। आदिवासी महिलाएं और पुरुष टोकरियां लेकर खेतों और जंगलों की ओर निकल पड़ते हैं, क्योंकि इस मौसम में उनकी आजीविका का प्रमुख साधन महुआ के फूल ही होते हैं।

भोर होने से पहले ही डोडिया गांव की महिलाएं महुआ के बाग में पहुंच जाती हैं। वे अकेली नहीं होतीं, उनके साथ अन्य महिलाएं और बच्चे भी होते हैं, जो पेड़ों के नीचे पीले कालीन की तरह बिछे फूलों को चुनते हैं। चारों तरफ महुआ की भीनी खुशबू फैली रहती है। फूल चुन रही महिलाएं कहती हैं कि यह समय हमारे लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता। हमारा जीवन महुआ के फूलों पर टिका है। सच कहें तो महुआ यहां के आदिवासियों के लिए प्रकृति का एक अनमोल तोहफ़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *