बुंदेली गायकी
जिला महोबा, ब्लाक जैतपुर, गांव बघवा की रहने वाली 10 वर्षीय प्रतीक्षा और 8 वर्षीय दीक्षा आल्हा गायन कर अपने जिले का मान बढ़ा रही है. प्रतीक्षा ने बता या कि हम लगभग 2 साल से अलग-अलग मंचों पर जाकर आल्हा गायन करते हैं. बच्चियों का कहना है कि पिता को शौक था फिर हमें शौक हुई क्योंकि बच्ची लड़कियां आल्हा गायन नहीं करती हैं. हमारे पापा शौकीन थे वो पहले गाते भी थे लेकिन मंच में नहीं, ऐसे घरों में गाते थे हम सुनते थे सुन सुन के हमारा भी मन किया और हमने भी मंच पर गाने का तब सोचा जब हमारे पापा हमें एक बार पापा हमें मेला दिखाने गए थे मेले में आल्हा गायन चल रहा था|
उनके जोश और वीर गाथा को सुनकर हमें भी लगा कि हम क्यों ना मंच में जाकर गाया करें। हमारे पापा ने भी हमें सपोर्ट किया और आज हम हर जगह आल्हा गायन के लिए जा रहे हैं. हमें गाना बहुत अच्छा लगता है जब लोग तालियां बजाते हैं और सम्मानित करते हैं पैसों से तो और भी अच्छा लगता है. इस क्षेत्र में आने का हमारा उद्देश्य यही है के आज आल्हा गायक विलुप्त होते जा रहे हैं और हमारे बुंदेलखंड की धरोहर के रूप में मानी जाने वाली आल्हा गायन से हमारी युवा पीढ़ी दूर हो चुकी है.
लेकिन हम इस गायन के क्षेत्र में आए है हमें लगा कि हम ऐसा काम क्यों ना करें कि हमारे मां बाप का नाम हो. राम सिंह बच्चियों के पिता का कहना है की मुझे नहीं उम्मीद था कि हमारी बेटी ऐसा नाम करेंगी, लेकिन जैसे ही उन्हें गवाया गया वैसे तालियों की बारिश होने लगी और अब लगता है कि हमारा नाम रोशन करेगी।अगर इन्होने इस क्षेत्र को अपना लक्ष्य बनाया तो ये बुंदेलखंड की पहली महिला आल्हा क्योकि इस शैली का गायन अक्सर पुरुष ही करते हैं लेकिन मेरी बेटियाँ एक नया रिकॉड बनाएगी।