गाँव टिकरिया के रहने वाले अमर सिंह ने बताया कि 6 महीना पहले ग्रामीणों को घर में लगाने के लिए मीटर दिया गया था और यह आश्वासन दिलाया गया था कि मीटर लगते ही बिजली आ जाएगी लेकिन महीने गुज़र गए और आजतक गाँव के ज़्यादातर घर अँधेरे में ही हैं।
जहाँ एक तरफ हमारा देश उन्नति की नयी ऊंचाइयां छू रहा है, और टेक्नोलॉजी के बल से दूसरे ग्रहों तक में भारत अपना झंडा फहरा रहा है। वहीँ आज भी यहाँ कुछ ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ महीनों से लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं। कुछ ऐसा ही एक मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले में। शहर के जैतपुर ब्लॉक के गाँव टिकरिया में पिछले 6 महीने से बिजली का नामोनिशान नहीं है। यह लोग बिना बिजली के अनेक प्रकार की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।
खंभे से खींचे थे तार, पर बिजली विभाग ने वो भी काट दिए
गाँव टिकरिया के रहने वाले अमर सिंह ने बताया कि 6 महीना पहले ग्रामीणों को घर में लगाने के लिए मीटर दिया गया था और यह आश्वासन दिलाया गया था कि मीटर लगते ही बिजली आ जाएगी लेकिन महीने गुज़र गए और आजतक गाँव के ज़्यादातर घर अँधेरे में ही हैं।
इसी गाँव के राम प्रकाश तिवारी ने बताया है कि साल भर पहले गाँव में बिजली लाने के लिए केबल के तार डाले गए थे लेकिन ग्रामीणों ने यह तार गाँव के बाहर लगे लाइट के खंभे से खींचे थे। जब बिजली विभाग को इसकी सूचना मिली तो कर्मचारियों ने आकर सारे तार निकाल दिए। राम प्रकाश का कहना है कि तब से गाँव के लोगों को बिजली नहीं मिल पा रही है और अब तो विभाग से कोई देखने भी नहीं आता कि ग्रामीणों को बिना बिजली कितनी कठिनाई हो रही है। लोगों ने कई बार बिजली विभाग में बत्ती न आने की शिकायत करी और बताया कि गर्मियों के मौसम में लोगों को बहुत परेशानी हो रही है लेकिन आजतक किसी ने सुनवाई नहीं की है। ग्रामीणों ने कुलपहाड़ तहसील में भी कई बार बिजली न आने की शिकायत की लेकिन वहां से भी निराशा ही हांथ लगी।
बच्चों को पढ़ाई करने में हो रही परेशानी-
मोहिनी राजपूत का कहना है कि गाँव के कई लोग रोज़गार के चलते शहरों की ओर पलायन कर चुके थे लेकिन कोरोना महामारी के चलती सभी लोगों को लौटकर गाँव वापस आना पड़ा। मोहिनी की मानें तो पूरे देश में विकास हो गया, लोगों ने उन्नति कर ली लेकिन उनका गाँव अभी भी सालों पीछे है। न यहाँ बिजली की सुविधा है और न ही ग्रामीणों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल पाता है। शहरों से लौटे प्रवासियों को बिजली न होने के कारण बहुत समस्या आ रही है और घर के अंदर गर्मी से घुटन महसूस होती है परन्तु ये लोग कोरोना संक्रमण के चलते ज़्यादा घरों से बाहर भी नहीं निकल पाते।
मोहिनी ने बताया कि गाँव के बच्चों की पढ़ाई भी बिजली न आने के कारण ध्वस्त हो रखी है। बच्चे रात के अँधेरे में लालटेन या मोमबत्तियां जलाकर पढ़ते हैं लेकिन मिट्टी के तेल की किल्लत के चलते जिनके घरों में तेल ख़तम हो जाता है उन्हें महीनों अँधेरे में ही गुज़ारना पड़ता है। गाँव के कई लोगों ने बताया कि गाँव में करीब 300 घरों में मीटर लगाए गए थे लेकिन मीटर लगने के बाद कुछ भी नहीं हुआ। जब शुरू में मीटर लगा तो कुछ ग्रामीण बिजली आने की ख़ुशी में पंखा और कूलर भी ले आए थे परन्तु वो सारा सामान अब बस साज-सज्जा की तरह घर में रखा हुआ है। यह लोग बिजली के खंबे से अपने मोबाइल फ़ोन चार्ज कर लेते हैं और कई बार रात में तार खींच कर एक बल्ब या एक पंखा चला लेते हैं लेकिन इस तपती गर्मी में अब इनका गुज़ारा नहीं हो पा रहा है और यह लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द गाँव में लाइट आए।
बिल जमा न करने के कारण काटी गई बिजली- विभाग
जब हमने इस मामले को लेकर जैतपुर ब्लॉक के बिजली विभाग में जूनियर इंजीनियर अजनर जयवीर सिंह से बात करी तो उन्होंने ग्रामीणों की सारी शिकायतों को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि कुछ महीनों पहले गाँव में बिजली के तार ख़राब हुए थे जिसके कारण ग्रामीणों को समस्या हो रही थी लेकिन इस बात को तुरंत ही संज्ञान में लिया गया था और तारें बदलवाई गई थीं। उन्होंने यह भी बताया कि जिन घरों में मीटर लगे हैं उन घरों में बिजली आपूर्ति की सुविधा है लेकिन जिन लोगों ने अपने पुराने बिजली के बिल जमा नहीं किये हैं उनकी बिजली काट दी गई है।
जहाँ एक तरफ बिजली की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण हर कोशिश कर गाँव में वापस से रौशनी करना चाहते हैं वहीँ दूसरी तरफ बिजली विभाग भी गाँव वालों की शिकायतों को संज्ञान में लेने से इंकार कर रहा है। लेकिन ऐसे में ध्यान देने वाली बात तो यह है कि बिजली जैसी महत्वपूर्ण चीज़ के लिए आज भी हमारे देश में कितनी मारामारी है। प्रशासन को हर गाँव में बिजली आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अवश्य काम करना चाहिए।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए श्यामकली द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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