महोबा जिले में इस साल 23 तारीख से 31 तारीख तक लगने वाला कजली मेला नहीं लगेगा। महोबा जिले में इस मेले को आल्हा ऊदल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह बहुत पुराना महोत्सव है। हर साल बहुत दूर-दूर से लोग मेला देखने आते थे।
लोगों का कहना है कि जब यह मेला लगता था तो यहां पर दुकानों का अंबार लगा रहता था। 15 दिन पहले आकर व्यवस्थाएं की जाती थीं।
सरस्वती नाम की महिला ने बताया कि यह मेला दो सालों से नहीं लग रही है l जब लगती थी तो बहुत भीड़ होती थी यहाँ तक की बैठने को जगह तक नहीं रहती थी लेकिन इस बार की मेला फीकी रहेगी l
कुछ लोगों ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर की वजह से मेला नहीं लग रहा है। मेला ज़रूरी नहीं है अपनी जान जरूरी है।
आल्हा परिषद के अध्यक्ष शरद तिवारी उर्फ दाऊ ने बताया है कि, ‘ मैंने तो मांग किया था अपने यहां के डीएम से और लिखित भी दिया था कि मेला महोत्सव होना चाहिए। उसके लिए विचार भी रखा गया था कि किस तरह से ठीक रहेगा। जिस तरह से अधिकारी कहेंगे उसी तरह से हम लोग करेंगे। लेकिन एक दिन ऐसा मन में आया कि अरे ऐसा नहीं होना चाहिए मेला जरूरी नहीं है। यह तीसरी लहर आने वाली है।’ पहले मेले में झांकियां निकलती थी। आल्हा गायन और हवन पूजन होता था। इस लिए सोचा की कम लोगों के साथ कुछ नियम जो चली आ रही है उसे पुरे करना चाहिए l
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