जिला महोबा ब्लॉक जैतपुर गांव मोहारी के 82 साल के बुर्जुग चार से सालों लकड़ी के छोटे-छोटे ट्रैक्टर बनाने का काम कर रहे हैं। उनका नाम केवल प्रसाद है। वह कहते हैं कि वह बचपन से ही लकड़ी का काम कर रहे हैं। पहले वह चारपाई, बैलगाड़ी, हल, बखर आदि चीज़ें बनाते थे। लेकिन अब उनसे बड़ी चीज़ें नहीं बनती क्यूंकि वह उठाने में भारी होती है। इसलिए उन्होंने छोटे-छोटे ट्रैक्टर बनाने का सोचा ताकि इससे उनका खर्चा भी निकल जाए और उन्हें दिक्कत भी न हो। छोटे-छोटे बच्चे ट्रैक्टर से खेलते हैं।
वह कहते हैं कि एक ट्रैक्टर बनाने में पूरा एक दिन लग जाता है। उसमें ट्राली, ड्राइवर के बैठने वाली सीट सब बनानी होती है। भले ही ट्रैक्टर छोटा होता है। लेकिन काम बहुत होता है। वह कहते हैं कि भले ही उनका बेटा है। लेकिन कोई उनकी बात क्यों सुनेगा। इसलिए वह खुद अपना खर्च पूरा करते हैं। रविवार को लाडपुर में बाज़ार लगता है। जिसमें वह डेढ़ सौ रूपये में एक ट्रैक्टर बेच देते हैं। जो की तीन-चार दिन के खर्च के लिए काफी होता है। उनका कहना है कि ट्रैक्टर बनाना उन्हें किसी ने नहीं सिखाया। बस जैसे आया वह वैसे बनाते गए। वह कहते हैं कि बुढ़ापे में उन्हें यही काम करना अच्छा लगता है।