अंग्रेजी भाषा बदलते युग के साथ आधुनिक ज़माने में एक बेहद ही ज़रूरी भाषा हो गयी है। हर रोज़गार क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा की मांग की जाती है। शहरों में तो लोगों के पाठ्यक्रम में अंग्रेज़ी की किताबें व उसे सिखाने वाले अध्यापक मिल जाते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की तरह सुविधा नहीं होती।
ये भी देखें – दलित महिलाओं व लड़कियों के लिए काम कर रहा सहजनी शिक्षा केंद्र
अगर ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी भाषा को सिखाने की सुविधा हो भी तो हर कोई ज़्यादा फीस की वजह से अंग्रेजी नहीं सीख पाता। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चें भी अंग्रेज़ी भाषा सीख पाए, इसके लिए महोबा जिले के 72 साल के रफ़ीक नीस रसखान बच्चों को मुफ्त में अंग्रेज़ी की शिक्षा व अंग्रेज़ी बोलना सिखा रहें हैं।
रफ़ीक बताते हैं, साल 2010 में वह हेड मास्टर पद से रिटायर हुए थे। वह बच्चों के लिए, उनके जीवन के लिए कुछ करना चाहते थे। फिर उनके मन में ख्याल आया कि बच्चे इंग्लिश पढ़ते तो हैं पर इंग्लिश बोलते नहीं है। वह साल 2010 से ही 3 से 4 घंटे अपना समय बच्चों को पढ़ाने में देते हैं। वह पहली से लेकर हाई स्कूल, इंटर के बच्चों को इंग्लिश सिखातें हैं।
ये भी देखें – शिक्षा तोड़ सकती है गरीबी की ज़ंजीर – मैं भी पत्रकार सीरीज़
वह आगे कहते हैं कि आज उनके द्वारा पढ़ाये हुए बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर बन चुके हैं। जब कोई रास्ते में मिलते हैं तो उनका सम्मान करते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है। वह बच्चों से बस यही कहना चाहते हैं कि. ‘आप जितना मुझसे शिक्षा लेना चाहते हो मैं उतनी शिक्षा देने के लिए तैयार हूँ।’
रफ़ीक संगीत प्रेमी है और बच्चों को पढ़ाने के बाद वह अपना बाकी का समय संगीत में ही देते हैं। इसके अलावा उन्हें अलग-अलग जगह पर सम्मानित भी किया जा चुका है। उनका कहना है कि, “मैं जब तक रहूँगा, बच्चों को पढ़ाऊंगा।”
ये भी देखें – चित्रकूट: शिक्षा के मंदिर में बच्चों के साथ छुआछूत का आरोप
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’