महोबा- लॉकडाउन और पलायन और बेरोजगारी की :सरकार हमेशा से पलायन और बेरोजगारी के आकड़े छुपाती आ रही है। पर आज कैरोना ने सबकी पोल खोल कर सबके सामने रख दी है। चारो तरफ आज मजदूर ही मजदूर नजर आ रहे है। पर अगर हम जिले के मजदूरों के आकड़ो की बात करे तो न के बराबर आपको मजदूर मिलेंगे। अब देखना यह है कि सरकार इनकी कैसे मदद करती है। क्या इस गरीब लाचार मजदूर को भी कोई लाभ मिलेगा। भगवान दास ने बताया कि उनके परिवार में 3 बच्चे है। दिल्ली में काम करते थे। लॉकडाउन और पलायन के वहज से सारा काम चौपट पड़ा है। शकुंतला का कहना है कि उसके बच्चे बाहर ईटा पाथने गए हुए है। वह बेलदारी का काम करती थी। बीमार रहती है, और लॉक डाउन की वहज से बच्चे नही आ पाए है। पेट पालने के लिए तो पैसा की जरूरत है। निरपत का कहना है कि उनकी उम्र निकल रही है, चुनाई का काम करते करते। कभी ऐसे नही हुआ है। अब तो लोग भुखमरी को कगार पर आ गए है। श्रम परिवर्तन अधिकारी महेंद्र सिंह ने बताया कि श्रम विभाग में इक्कीस हजार दो सौ दो मजदूर पंजीकृत है। इन मजदूरों को सरकार की तरफ से एक एक हजार रुपये खाता में भेजा जा रहा है। जिसमे से चार हजार नौ सौ चौबीस मजदूरों के खाते में रुपये भेज दिए गए है। बाकी के मजदूरों के खाते में भेजा जा रहा है। जो रजिस्टर्ड नही है। जैसे ट्रक चालक या सब्जी बेचने वाले उनको नगर पालिका द्वारा दिया जाएगा।