महोबा जिले के गाँव बोरा में ससुराल वालों द्वारा दहेज़ की मांग को लेकर गर्भवती महिला से मारपीट करने का मामला।
जिला महोबा ब्लॉक कबरई गांव बोरा की रहने वाली 21 साल की गर्भवती महिला जामुन का आरोप है कि उसे उसके ससुराल वालों द्वारा आये दिन पीटा जाता है। एक साल पहले 27 जून 2020 को उसकी शादी हुई थी। महिला ने बताया कि शादी के पहले के छह महीने तो ससुराल वालों ने उसे बहुत ही अच्छे से रखा। उसके बाद हर दिन वह उससे दहेज़ न देने को लेकर मारपीट और गाली-गलौच करते रहें।
महिला का कहना है कि जब उससे सहा नहीं गया तो वह 3 जून 2021 को कुलपहाड़ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज़ कराने गयी। वह कहती है कि वह छह माह से गर्भवती है और ऐसे में वह मारपीट सहन नहीं कर सकती।
महिला ने कुलपहाड़ कोतवाली में लिखित रूप में तहरीर भी दी। लेकिन किसी भी तरह की कोई सुनवाई नहीं हुई। उसका कहना है कि वह उच्च अधिकारी के पास जाएगी और न्याय की मांग करेगी।
दहेज़ न मिलने पर निकाला घर से
महिला का कहना है कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसके परिवार से किसी भी तरह की मांग नहीं की गयी थी। लेकिन जैसे ही उसकी शादी हुई। ससुराल वाले उसके परिवार से दहेज़ की मांग करने लगें। महिला के अनुसार, ससुराल वालों का कहना था कि अगर वह अपने माता-पिता से 50 हज़ार रूपये लेकर आएगी तभी वह उससे अच्छे से रखेंगे। जिसे लेकर महिला का कहना था कि उसके माता-पिता के पास न तो 50 हज़ार हैं और न ही 5 हज़ार कि वह ससुराल वालों को दे सके। दहेज़ की मांग को लेकर ही उसके ससुराल वालों द्वारा उसे 3 जून को घर से बाहर निकाल दिया गया। उसके सारे ज़ेवर भी ससुराल वालों ने ले लिए।
बहाने से देवर भी करता है मारपीट
महिला का कहना है कि उसे उसके देवर श्यामलाल द्वारा भी पीटा जाता है। 2 जून 2021 को उसके देवर ने कम रोटी बनाने का बहाना बनाकर उसे पीटा। वह कहती है कि उस समय उसकी तबयत भी सही नहीं थी और ऊपर से वह गर्भवती भी है। इसलिए उस दिन रोटियां कम हो गयी। जिसका बहाना बनाकर उसके देवर ने उसे मारा। वह आगे कहती हैं कि देवर द्वारा बार-बार यही कहा जाता कि न तो वह दहेज़ लाती है और न ही उनकी बात सुनती हैं।
जब भी महिला का देवर शराब पीकर आता है तो वह उससे उसके शराब से भरे गंदे कपड़े धोने के लिए कहता है। जब वह मना करती है तो वह उसके साथ गाली-गलौच करता है और मारपीट करता।
जब वह अपने पति जागेश्वर से यह बात कहती है तो उसके पति द्वारा कहा जाता है कि जो भी वह कहेंगे, वह उसे करना होगा। वह उसे बैठाकर सिर्फ खिलाएंगे नहीं।
उत्पीड़न को देख ले आये मायके – लड़की के पिता
महिला के पिता गाँव किडारी के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि उनकी बेटी ने उन्हें बताया था कि उसकी बेटी को उसके ससुराल वालों द्वारा अच्छे से नहीं रखा जाता। फिर वह 3 जून को उसे लेने गए। जब वह वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उसकी बेटी के ससुराल वाले झगड़ा कर रहें थें और उसे घर से बाहर भी निकाल दिया था। उनसे कहा गया कि वह 50 हज़ार रूपये लेकर आये।
वह अपनी बेटी के ससुराल वालों से कहतें हैं कि वह उन्हें 50 हज़ार क्यों दे। जबकि उन्होंने अपनी हैसियत से बढ़कर शादी में लगभग 2 लाख का दहेज़ दिया था। जिसमें पंखा, कुर्सी, टीवी, कूलर आदि सब चीज़ें थीं।
महिला के पिता का कहना है कि वह अपनी बेटी को न तो वापस ससुराल भेजेंगे और न ही दहेज़ देंगे। वह आगे कहते हैं कि यूँ तो सरकार ने कागज़ में बिना दहेज़ की शादी करने का ऐलान कर रखा है। पर बुंदेलखंड में बिना दहेज़ की शादी बहुत ही कम देखने को मिलती है। वह कहते हैं कि लड़के वालों द्वारा हमेशा मुंह खोलकर दहेज़ माँगा जाता है। उनके अनुसार दहेज़ मांगने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए जो दहेज़ की लालसा में रहते हैं।
हमारे द्वारा नहीं मारा जाता – महिला का पति
महिला के पति जागेश्वर का कहना है कि वह अपनी पत्नी को न तो मारते हैं और न ही कुछ कहतें हैं। महिला के पति का कहना है कि महिला हमेशा उसकी माँ और उसके भाइयों से लड़ती है। अगर उसके माँ-बाप कुछ कह देते हैं तो वह उन्हें उल्टा जवाब देती है। वैसे भी शादी के बाद ससुराल में काम तो करना ही पड़ता है। उसने कभी भी अपनी पत्नी को घर से बाहर नहीं निकाला। वह खुद ही चली गयी और कुलपहाड़ कोतवाली में जाकर उसके खिलाफ शिकायत दर्ज़ कर दी।
समझौता कराने की हो रही है कोशिश – कुलपहाड़ के दरोगा
कोतवाली कुलपहाड़ बोरा गाँव के दरोगा आर सी शुक्ला का कहना है कि वह दोनों पक्षों को बुलाकर समझौता कराने की कोशिश करेंगे। वह कहते हैं कि वैसे भी यह मियां-बीवी का झगड़ा है। घरेलू विवाद है। अगर दोनों पक्ष नहीं मानते तो वह कोर्ट में मुकदमा दायर करें। इसके बाद जो भी कार्यवाही करनी होगी, वह करेंगे और मुकदमा भी लिखा जाएगा। फिलहाल के लिए मामले की तहरीर लिख दी गयी है।
पुलिस द्वारा मामले को सिर्फ घरेलू विवाद कहना मामले का किसी भी तरह से निपटारा करना प्रतीत होता है। वो भी ऐसे मामले में जहां पीड़ित महिला छह माह के गर्भ से है। ऐसे में क्या इसे घरेलू हिंसा नहीं कहा जाना चाहिए? ऐसी हालत में महिला को पीटना उसके बच्चे के लिए सबसे ज़्यादा खतरनाक है। क्या यह करना जुर्म नहीं है? फिर इस मामले में किस प्रकार का समझौता हो सकता है? क्या पुलिस को यहां जाँच पड़ताल नहीं करनी चाहिए ताकि दोनों पक्षों की बातें साफ़ हो सके?
इस खबर की रिपोर्टिंग को श्यामकली द्वारा की गयी है।
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