बुंदेलखंड में बरसात के मौसम में अलग-अलग तरह की भाजी देखने को मिलती हैं जिसे लोग अपने स्वास्थ्य को देखते हुए खूबसूरत स्वाद के साथ खाते हैं।
फेरालाल ने बताया कि उनके घर में 4 दिन में 5 दिन में कनकउआ भाजी बनती है। जुलाई अगस्त के इसी सीजन में पैदा होती है। सर दर्द, कमर दर्द और दिमाग के लिए बहुत अच्छी होती है। अगर बदल-बदल कुछ सब्जियां बने तो खाने का स्वाद और अच्छा लगता है इसलिए भाजी इस समय बहुत अच्छी लगती है।
महुआ गांव की पिंकी ने बताया है कि वह कनकउआ तोड़ कर लाती हैं जो खेतों में आसानी से मिल जाता है। लगभग दो ढाई किलोमीटर दूर खेतों में से तोड़कर लाती हैं। और जब घर में लाती हैं तो उसको अच्छी तरह से पानी में डुबोकर धुलती हैं ताकि मिटटी निकल जाए। काटने के बाद सूखा मसाला धनिया मिर्चा लहसुन पीसते हैं और नमक स्वादानुसार रख लेते हैं फिर वह भाजी को कढ़ाई में तेल डालकर लहसुन और प्याज मिर्च से छोका लगाते हैं। बिना पानी डाले इसे सूखा बनाते हैं जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है।
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राजरानी ने बताया है की इस दिन में अच्छी भाजी मिलती है और इसी मौसम में अच्छी लगती है। मौसम के हिसाब से जैसे कि केरमुआ की भाजी तालाब में तोड़ते हैं। जिसमें मेहनत बहुत होती है। दाल के साथ और मजा आता है इसे खाने में। दाल रोटी और सूखी भाजी सब बहुत शौक से खाते हैं।
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