महोबा जिले में रहने वाले रामकृपाल छिवला के पत्तल बनाने का काम करते हैं। वह पत्तल बनाने का काम बचपन से करते आ रहे हैं। पत्तल बनाना उनका पुश्तैनी काम है। कुलपहाड़ कस्बे में रहने वाले रामकृपाल के अनुसार उनके पिता व माता भी पत्तल बनाने का काम करते थीं। उनसे ही उन्होंने यह काम सीखा है। वह इस समय पत्तल बनाने के साथ-साथ बाल काटने भी काम करते हैं।
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सुनीता, रामकृपाल की पत्नी कहती हैं कि पहले छिवला के पत्तल बेचकर ही उनका परिवार चलता था। पहले तो 4 हज़ार पत्तल भी बिक जाते थे। पिछले 20 सालों से उनका काम छिन-सा गया है। पत्तल बनाना उनकी परंपरा और धरोहर का हिस्सा है।
इन सब चीज़ों के बाद भी वह पत्तल बनाने का काम करती हैं। कहीं से आर्डर आ जाये तो वह पत्तल ज़रूर से बनाती हैं।
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