महोबा जिला के निर्दलीय प्रत्याशी महेश बताते हैं, उनका चुनाव चिह्न केक है। उन्होंने कहा, वे निर्दलीय प्रत्याशी इसलिए बने क्यूंकि अगर वह अन्य पार्टी में जाते तो उन्हें बहुत सारे पैसे खर्च करने पड़ते है। वह अंबेडकर वादी हैं और संविधान सबको लड़ने का अधिकार देता है। वह महोबा विधानसभा से पहली बार विधायक पद का चुनाव लड़ रहे हैं। एक बार उन्होंने सभासद का चुनाव भी लड़ा था जिसमें उन्हें हार मिली थी।
वह आगे कहते हैं, अगर वह किसी पार्टी में जाते तो उन्हें उनके कहने पर काम करना पड़ता। निर्दलीय में सबको अपनी बात रखने का हक़ होता है। इस बार वह महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने का काम करेंगें। साथ ही वह किन्नर समुदाय के लोगों की समस्याओं को भी सुलझाने का काम करेंगे।
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महेश अपने जीवन के बारे बताते हुए कहते हैं, वह पहले समोसे बेचते थे। आज वह फेरी लगाकर कपड़े बेचते हैं। उन्होंने दो सालों तक चुनाव के लिए तैयारी की है। उन्हें जनता पर भरोसा है कि उन्हें सफलता मिलेगी क्यूंकि एक गरीब ही गरीब को उठाने का काम करता है। साथ ही वह चुनाव के ज़रिये अपनी भी एक पहचान बनाना चाहते हैं।
इसके आलावा जो लोग बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं वह उनका समर्थन करते हैं। इस समय पार्टियां कई वादें करती हैं पर निभाती नहीं है लेकिन वह अपने किये हुए वादों को पूरा करके दिखाएंगे।
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