खबर लहरिया Blog Mahakumbh 2025: महाकुम्भ का पानी स्नान लायक नहीं – केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट

Mahakumbh 2025: महाकुम्भ का पानी स्नान लायक नहीं – केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में सामने आया कि प्रयागराज महाकुम्भ में संगम का पानी स्नान के लायक नहीं है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा अधिक पाई गई। यानी वो बैक्टीरिया जो मनुष्य और पशु के मल से पैदा होते हैं। यह रिपोर्ट सीपीसीबी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को 3 फरवरी को दी थी।

महाकुम्भ में स्नान करते हुए लोगों की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

लेखन – सुचित्रा 

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने प्रयागराज में गंगा और यमुना नदी में अपशिष्ट जल (गंदे पानी) पर रोक लगाने वाले मामले पर सुनवाई की। यह सुनवाई कल सोमवार 17 फरवरी 2025 को हुई थी।

प्रयागराज महाकुम्भ में नदी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट में कहा गया है, “नदी के पानी की गुणवत्ता कई मौकों पर सभी निगरानी स्थानों पर उच्च फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) के स्तर के कारण स्नान के लिए प्राथमिक मानकों को पूरा नहीं करती है। महाकुंभ मेले के दौरान, जब बड़ी भीड़ नदी में स्नान करती है, तो मल की सांद्रता काफी बढ़ जाती है।” पानी में ‘फेकल कोलीफॉर्म’ 100 मिली लीटर पानी में 2500 यूनिट सबसे अधिक होता है जोकि महाकुम्भ की वजह से गंगा और यमुना नदी में बढ़ गया है।

महाकुम्भ के दौरान करोड़ लोगों ने संगम में स्नान किया लेकिन इसका पानी गुणवत्ता मानक पर इसके साथ ही संगम में गंदगी भी फैलाई जिसकी वजह से आज संगम का पानी नहाने लायक नहीं बचा। नदियों को भारत में पूजा जाता है जिसके बावजूद नदियां अब साफ़ नहीं रही। नदियों में सीवेज का पानी और लोगों द्वारा किए गए मल मूत्र से नदी का यह हाल चौंका देने वाला है।

अगली सुनवाई 19 फरवरी

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अदालत के निर्देशों के अनुसार एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। एनजीटी ने यूपीपीसीबी के सदस्य-सचिव को 19 फरवरी को अगली सुनवाई पर वर्चुअल रूप (वीडियो के माध्यम) से पेश होने का निर्देश दिया।

फेकल कोलीफॉर्म बैक्ट्रिया क्या है?

फेकल कोलीफॉर्म बैक्ट्रिया यानी जो मनुष्य और जानवरों के मल से निकलते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में महाकुम्भ में संगम के पानी फेकल कोलीफॉर्म बैक्ट्रिया की मात्रा अधिक पाई गई है।

फेकल कोलीफॉर्म से होने वाली बीमारी

टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की रिपोर्ट के मुताबिक फेकल कोलीफॉर्म जिस पानी में होता है उस पानी में नहाने से मनुष्य को कई तरह की बीमारी हो सकती है। जैसे कि दस्त, उल्टी और पेट में ऐंठन हो सकती है।
इसकी वजह से त्वचा और आंखों में संक्रमण हो सकता है जिसकी वजह से आँखे लाल और शरीर पर चकते और आँखों में जलन हो सकती है।
टाइफाइड और हेपेटाइटिस ए हो सकता है।
साँस से संबंधी समस्या पैदा हो सकती है।

महाकुम्भ में खुले में शौच का वीडियो वायरल

महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हुआ। इस वीडियो में साफ़ दिखाई दे रहा है कि कैसे लोगों ने घाट पर मल किया हुआ है। यह वीडियो सोशल मीडिया इन्फुलंसेर निधि चौधरी ने संगम घाट की तस्वीर दिखाते हुए कहा, ““तंबाकू और पानी की बोतलों तक तो सही है, लेकिन शौच किया हुआ है. छी यार कैसे लोग हैं…मुझे रोना आ रहा है।”

नदियों में बढ़ता प्रदूषण लोगों की समस्या को और बढ़ा देगा। इससे नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा नजर आ रहा है। जो नदियां पहले समय में इतनी साफ़ होती थी आज के समय में इतनी प्रदूषित हो गई है। इन नदियों के दूषित होने का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो नदियों पर निर्भर है। इसके साथ ही जो लोग नदी किनारे रहते हैं। अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए नदी के पानी का इस्तेमल करते हैं। नदी के दूषित होने पर नदी में रहने वाले जीवों पर भी असर पड़ता है जैसे कि मछलियां। प्रशासन की नदियों का साफ़ करने के जिम्मेदारी तो है ही, इसके साथ ही जो लोग नहाने जाते हैं उनकी भी जिम्मेदारी है कि वो नदियों में किसी भी तरह की गंदगी न फैलाएं।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke ‘ 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *