पन्ना : किसान हल-बैल से खरीफ फसलों की खेती कर रहें हैं। हल-बैल से खेती करना एक पारंपरिक क्रिया है जो किसान सालों से करते आ रहें हैं। किसान अपने खेतों को हल-बैल से जोत उसे उपजाऊ बना रहें हैं ताकि उनकी फसलें अच्छी निकल कर आयें। जिले के अजयगढ़ ब्लॉक, गांव खदरा के किसानों ने भी हल-बैल से फसलों (मूंग, उड़द) की बुआई करना शुरू कर दिया है।
अन्ना जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों ने खेत के चारों तरफ बारी भी लगा दी है ताकि जानवर उनकी फसलों को खराब न कर पाएं। किसान अरहर, मूंग आदि फसलों की बुआई कर रहें हैं।
किसान बाबूलाल कहते हैं, हल-बैल से खेती करने की बात ही कुछ और होती है। कहते हैं, भले ही मेहनत लगती है पर लेकिन इससे ज़मीन अधिक उपजाऊ होती है। उन्होंने बताया कि एक खेत को तैयार करने में तीन दिन लग जाते हैं। महंगाई की वजह से काफ़ी लोग आज भी बैल से जुताई करते हैं।
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हल-बैल से खेती करने के फायदे
– मिट्टी की पपड़ी और अधिक गहराई तक जुताई की जा सकती है
– मिट्टी कंपैक्ट (ठोस) नहीं होती है। आधुनिक खेती में बड़ी-बड़ी मशीन ट्रैक्टर का चलन है जिससे कि मिट्टी कंपैक्ट हो जाती है और पौधे की जड़ नीचे तक नहीं जा पाती हैं। वहीं बैल से जुताई करने में ऐसा नहीं होता।
– डीजल-पेट्रोल में पैसे नहीं खर्च होते
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खरीफ फसलें क्या होती है?
खरीफ की फ़सल उन फसलों को कहा जाता है जो जो जून-जुलाई के महीने में बोई जाती है। इसके साथ ही अक्टूबर व नवम्बर के महीने में काटी जाती है। इसे मानसूनी फसल भी कहा जाता है क्योंकि इसकी बुआई मानसून के समय होती है। बता दें, इस फसल की बुआई के समय ज़्यादा तापमान और कटाई के समय शुष्क वातावरण की ज़रुरत होती है।
खरीफ की फसलें कौन-सी होती है?
खरीफ की फसलों में चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, मूंगफली, जूट, गन्ना, हल्दी, दालें (जैसे उड़द दाल) आदि फसलें आती हैं।
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