खबर लहरिया जिला हम आदिवासी हैं इसलिए सरकार को हमारी परवाह नहीं होती-ग्रामीण

हम आदिवासी हैं इसलिए सरकार को हमारी परवाह नहीं होती-ग्रामीण

बुंदेलखंड में पानी की समस्या सदियों से चली आ रही है सरकार की ‘नल जल योजना’ गांव घर-घर पानी पहुंचाने का काम कर रही है। यूपी हो या एमपी, बुंदेलखंड के सभी जिलों में पानी की समस्या आज भी बनी हुई है। नल जल योजना के तहत बहुत से गांव में घर-घर पानी पहुंचाया गया है लेकिन आज भी कुछ ऐसी जगह हैं जहां पर पानी की समस्या को लेकर आज भी लोगों के मन में सवाल है। टीकमगढ़ जिले के ग्राम पंचायत खिरिया नाका के नई बस्ती में जहां आदिवासी, दलित समुदाय के लोग रहते हैं, वहां रहने वाली सानिया आदिवासी ने बताया पूरी बस्ती में लगभग 50 घर हैं सभी लोग यहां से ही पानी भरते हैं।

लोगों ने ये भी बताया अगर हैंडपंप खराब हो जाता है तो हमें इधर-उधर पानी भरने के लिए 1 किलोमीटर आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ता है वहां पर लाइन लगाना पड़ता है जब वहां के लोगों का पानी भर जाता है तभी हम वहां पानी भरते हैं। इतनी पानी की समस्या हमारे यहां आज भी बनी हुई है जबकि सरकार हर जगह सप्लाई वाला पानी पहुंचा रही है। हमारे यहां अभी भी सप्लाई का पानी नहीं आया हैंडपंप भी एक ही है जिसमें हम 2:30 से 300 लोग पानी भरते हैं। उसमें सबके घर में जानवर भी हैं जानवरों का भी पानी का काम होता है। उनको नहलाना, उनको पानी पिलाना, उनको भूसा देना उनकी जगह की साफ सफाई करना इस तरह से हमारे यहां की महिलाओं का हर दिन 2 से 3 घंटा सिर्फ पानी भरने में चला जाता है।

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जिनके यहां छोटे बच्चे हैं कोई दूसरा और नहीं है छोटे-छोटे बच्चों को घर में रोता हुआ छोड़ कर आना पड़ता है पानी भरने के लिए या फिर बच्चे पीछे पीछे रहते हैं चोट लग जाए कोई गाड़ी आ जाए एक्सीडेंट हो जाए। कुछ भी हो सकता है जानवर मार कर चला जाए पर क्या करें मजबूरी है पानी तो भरना है पानी बिना कोई भी काम नहीं होता सारे काम पानी के बिना रुके पड़े रहते हैं दिन की शुरुआत पानी से होती है रात में सोते समय भी देखना पड़ता है कि पानी के लिए है या नहीं।

लोगों ने यह भी कहा कि हम दलित और आदिवासी लोग हैं इसलिए हमारी परवाह किसी को नहीं होती है। हम कैसे रह रहे हैं हमें किस चीज की जरूरत है कोई भी नहीं देखता। अगर यहां पर ऊंची जाति के लोग रहते तो शायद यह 20 साल से पानी की समस्या जो बनी हुई है वह खत्म हो जाती इतने लोगों के बीच में कम से कम 3 हैंडपंप तो होने चाहिए थे।

खिरिया नाका प्रधान देशराज अहिरवार से बात की तो उन्होंने कहा की पानी की समस्या से मैं भी जूझ रहा हूं हमारे यहां भी पानी नहीं है मैं दलित प्रधान हूं इस वजह से मेरी इतनी सुनवाई नहीं होती मेरी चलती नहीं है फिर भी मैंने नई बस्ती में पानी की व्यवस्था करने के लिए बजट बनाया है ब्लॉक में कहां है और नल जल योजना के तहत भी पानी आएगा काम चला है जल्दी ही और हैंडपंप की व्यवस्था की जाएगी।

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