खबर लहरिया Blog मध्यप्रदेश : गोद में छोटे भाई का शव लिए घंटो सड़क किनारे बैठा रहा 8 साल का बच्चा, अस्पताल से नहीं मिली एम्बुलेंस

मध्यप्रदेश : गोद में छोटे भाई का शव लिए घंटो सड़क किनारे बैठा रहा 8 साल का बच्चा, अस्पताल से नहीं मिली एम्बुलेंस

एमपी के मोरेना जिले में जिला अस्पताल द्वारा 2 साल के बच्चे का शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं दी जाती है। इस मामले में एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ राज्य सरकार पर एम्बुलेंस की कमी को लेकर सवाल खड़ा करते हैं।

                                                                                         साभार – Times of India

एक आठ साल का बच्चा अपने 2 साल के भाई के शव को अपने गोद में लिए घंटों तक सड़क किनारे बैठा रहा। यह घटना शनिवार, 9 जुलाई 2022 मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की है। यह घटना उस समय सामने आई जब बच्चों के पिता शव को उनके पैतृक गांव ले जाने के लिए वाहन की तलाश में गए थे।

दिल को संकुचित कर देने वाली इस घटना का जिस भी व्यक्ति ने यह वीडियो देखा, उसका दिल मानों वीडियो देखने के बाद टूट-सा गया हो। कोई स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाता दिखा तो कोई सरकार पर।

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प्रदेश में एंबुलेंस की कमी क्यों – पूर्व सीएम कमलनाथ

कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर यह वीडियो शेयर की गयी और स्वास्थ्य व्यवस्था और मौजूदा सरकार पर तंज कसा गया। ट्वीट करते हुए लिखा, “ये दर्दनाक तस्वीर भावुक भी कर रही है और मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गुस्सा भी दिला रही है। मध्यप्रदेश में एक आठ साल के बच्चे की गोद में अपने छोटे भाई का शव है और पिता एम्बुलेंस खोजने निकले हैं। यही है पीएम मोदी की व्यवस्थाओं का सच! ”

 

राज्य सरकार पर हमला करते हुए, राज्य कांग्रेस प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा, “मुरैना में 8 साल का मासूम बच्चा अपने 2 साल के छोटे भाई का शव लेकर अस्पताल में बैठा रहा। उसके पिता श्री पूजाराम जाटव बेटे का शव गांव ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन उन्हें घंटों तक एंबुलेंस या शव वाहन नहीं मिला।”

आगे लिखा, “जब लोगों ने यह करुण दृश्य देखा तब सामाजिक हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने एंबुलेंस उपलब्ध कराई। मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से जानना चाहता हूं कि आखिर क्यों मध्यप्रदेश में नियमित अंतराल पर एंबुलेंस ना मिलने के मामले सामने आते रहते हैं।”

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि प्रदेश में एंबुलेंस की कमी क्यों है?

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यह है पूरी घटना

रिपोर्ट्स के अनुसार, पूजाराम जाटव, जो की मोरेना जिले के अंबाह तहसील के रहने वाले हैं अपने दो साल के बेटे को जिला अस्पताल लेकर आये थे। बच्चा एनीमिया व अन्य बीमारियों से ग्रस्त था। पूजाराम जाटव,अपने बड़े बेटे व बीमार बच्चे के साथ एम्बुलेंस से मुरैना पहुंचे जहां इलाज के दौरान 2 साल के बच्चे की जान चली गयी है।

जाटव ने बताया कि जब उसने जिला अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ को वाहन के लिए पूछा ताकि वह अपने बच्चे के शव को अपने गाँव लेकर जा सके। उन्होंने उसे यह कहकर इंकार कर दिया कि अस्पताल में कोई भी वाहन उपलब्ध नहीं है। उससे कहा गया कि वह खुद कोई वाहन किराए पर ले ले।

बाद में, एक एम्बुलेंस ड्राइवर द्वारा जाटव से शव को ले जाने के लिए 1500 रूपये मांगे जाते हैं लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं होते। जब जाटव को अस्पताल के अंदर कोई भी वाहन नहीं मिलता तो मज़बूरन उसे अपने 8 साल के बेटे को पार्क के सामने, सड़क किनारे बैठाना पड़ा। उसने अपने छोटे बेटे का शव अपने बड़े बेटे के गोद में रखा और वाहन की तलाश में निकल गया।

वीडियो में बच्चा अपने पिता के लौटने का इंतज़ार कर रहा था। छोटे भाई के शव को उसने कपड़ो से ढक रखा था ताकि उसे मखियाँ न लगे। आठ साल की उम्र में वह अपने बड़े भाई होने का फर्ज़ निभा रहा था।

घटना की जानकारी मिलने पर कोतवाली के पुलिस इंचार्ज योगेंद्र सिंह घटनास्थल पर पहुंचे। बच्चे की गोद से शव को उठाते हुए उसे जिला अस्पताल लेकर गए। थोड़ी देर बाद जब जाटव वहां पहुँचते हैं तो एम्बुलेंस की व्यवस्था की गयी और शव को लेकर जाया गया।

द ट्रिब्यून की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जाटव कहते हैं, ” मेरे चार बच्चे हैं, 3 बेटे और एक लड़की। मेरी पत्नी तीन महीने पहले अपने मायके चली गयी थी तभी से मैं अपने बच्चों का ध्यान रखा रहा हूँ।”

चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था, राज्य में एम्बुलेंस की कमी एमपी राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर एक बेहद बड़ा सवाल है। ग्रामीण वर्ग का व्यक्ति जिला अस्पताल या सरकारी अस्पताल यह सोचकर जाता है कि उसे सरकारी लाभ मिल पायेगा। लेकिन जब जिला अस्पताल तक यह कह दे कि शव ले जाने के लिए उनके पास एम्बुलेंस तक नहीं है, व्यक्ति खुद को अपने लिए व्यवस्था कर ले तो फिर जिला अस्पताल के अधिकारियों, उनकी ज़िम्मेदारियों पर प्रश्न चिन्ह लगता है। ऐसे में लोगों का गुस्सा होना, राज्य सरकार पर सवाल उठाना लाज़मी है।

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