मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेश गोनारे ने बताया कि पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। बच्चे को तेज बुखार और सर्दी की शिकायत थी। इसके बाद में पेशाब में जलन की समस्या और पेशाब करने में दिक्कत आने लगी। पहली मौत 4 सितंबर को हुई थी।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 6 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत का मामला समाने आया है। यह आंकड़ा 4 सितम्बर से लेकर 26 सितम्बर तक का है। इसकी जानकारी छिंदवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. नरेश गोन्नाडे ने मीडिया को दी। जानकारी के मुताबिक दूषित कफ सिरप पीने की वजह से बच्चों की मौत हुई। इसके बाद छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने जिले भर में Coldrif और Nextro-DS दो दवाओं पर फ़िलहाल के लिए बिक्री और इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है।
पहला मामला अगस्त में सामने आया
लल्लन टॉप की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेश गोनारे ने बताया कि पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। बच्चे को तेज बुखार और सर्दी की शिकायत थी। इसके बाद में पेशाब में जलन की समस्या और पेशाब करने में दिक्कत आने लगी। पहली मौत 4 सितंबर को हुई थी। उन्होंने बताया था कि इनकी किडनी फेल होने से मृत्यु हुई। परासिया इलाके से ही एक बच्चा नागपुर रेफर हुआ था, जिसकी नागपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में` मौत हो गई। इसके बाद दूसरी मौत परासिया के ही एक बच्चे की हुई, फिर 6 सितंबर को एक मौत हुई। इस तरह 4 सितंबर से लेकर 26 सितंबर तक परासिया क्षेत्र की कुल 6 मौत रिपोर्ट की गई।
कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल होने की आशंका
छिंदवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरेश गुन्नाडे ने कहा, “किडनी बायोप्सी से डायएथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी का पता चला, जो प्रभावित बच्चों को दी जाने वाली कफ सिरप में पाया जाने वाला एक ज़हरीला यौगिक है।”
सिंह ने कहा कि दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को इन मौतों के बारे में सूचित कर दिया गया है।
डायएथिलीन ग्लाइकॉल क्या है?
डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) एक तरह का रसायन है, जिसका उपयोग फैक्टरी में पेंट, स्याही और गाड़ियों के ब्रेक का द्रव बनाने में किया जाता है। यह मानव शरीर के लिए ज़हरीला (खतरनाक) होता है।
ग्लिसरीन, एक मीठा तरल होता है, जिसे कई दवाइयों के सिरप में मिठास लाने के लिए डाला जाता है। लेकिन कई बार गलती से या लापरवाही से, ग्लिसरीन में DEG मिल जाता है – जिसे हम “संदूषक” (contaminant) कहते हैं।
अगर DEG मिला हुआ सिरप कोई इंसान पी ले, तो इससे गंभीर बीमारियां या मौत तक हो सकती है। यही वजह है कि इसका दवाइयों में होना बहुत खतरनाक माना जाता है।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कार्रवाई
आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) की टीम ने आगे की जाँच के लिए खून और दवा के नमूने पहले ही पुणे स्थित वायरोलॉजी संस्थान को भेज दिए हैं। भोपाल स्वास्थ्य विभाग की दो सदस्यीय टीम भी परासिया, न्यूटन चिकली और आसपास के गाँवों में पहुँच गई है। अधिकारी परिवारों से पूछताछ कर रहे हैं, दवाओं के नमूने इकठ्ठा कर रहे हैं और अन्य प्रभावित बच्चों की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं।
इस तरह की खबर सामने आने पर सरकार ने बुखार के लिए सावधानी बरतने के लिए कहा है। इसके तहत अगर बच्चे को दो दिन से ज्यादा बुखार हो, तो उसे तुरंत पास के स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं। मेडिकल स्टोर से या बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा का इस्तेमाल न करने की भी सलाह दी।
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