खबर लहरिया Hindi madhya pradesh / MP News : राशन देने में गड़बड़ी, ग्रामीणों ने कोटेदार पर लगाया आरोप

madhya pradesh / MP News : राशन देने में गड़बड़ी, ग्रामीणों ने कोटेदार पर लगाया आरोप

रुखसाना बेगम कहती हैं “हम कोटेदार से इस बारे में पूछते हैं, तो वह कहता है कि लेना हो तो लो, वरना मत लो।” कभी-कभी तो हमें धमकी भी दी जाती है कि अगर ज्यादा सवाल पूछोगे या शिकायत करोगे तो राशन ही बंद कर देंगे। ऐसे में हम गरीब लोग डर के मारे चुपचाप गलत राशन लेकर चले आते हैं।”

                                                                                                                     राशन लेने पहुंचे लोगों की तस्वीर (फोटो साभार : अलीमा)

रिपोर्ट – अलीमा, लेखन – सुचित्रा 

छतरपुर जिले में स्थित ‘महिला श्रद्धा भंडार’ कोटा के माध्यम से 1 सितंबर 2025 से राशन वितरण किया जा रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन वितरण अनिवार्य है। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार द्वारा राशन का वितरण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है।

सरकार ने गरीबों के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की हैं, परंतु यदि कोटेदार ही अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाएगा, तो इन योजनाओं का लाभ ज़रूरतमंद लोगों तक कैसे पहुंचेगा? राशन कार्ड गरीब परिवारों के लिए राशन प्राप्त करने का एक मुख्य साधन है। जब उसी व्यवस्था में गड़बड़ी होने लगे, तो वे लोग अपने घर का भरण-पोषण कैसे कर पाएंगे?

राशन की मात्रा में गड़बड़ी

ग्रामीणों के अनुसार किसी को चावल अधिक मात्रा में दिया जा रहा है तो किसी को गेहूं ज्यादा दिया जा रहा है। सभी लाभार्थियों को समान मात्रा में नहीं मिल रहा है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है।

वार्ड नंबर 15 की रहने वाली कूड़ा भाई रैकवार जो कि एक विकलांग महिला हैं। वह कहती हैं कि “मैं एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर / Above Poverty Line) राशन कार्ड धारक हूं, जिसके अंतर्गत मुझे प्रति माह 35 किलो राशन मिलने का प्रावधान है। मुझे तीन महीने तक राशन नहीं मिला और अब 1 सितंबर से वितरण शुरू हुआ है। जब मैं राशन लेने कोटे पर गई, तो यह देखकर बहुत दुःख हुआ कि मुझे 15 किलो गेहूं और 25 किलो चावल दिया गया, जबकि सरकार द्वारा गेहूं और चावल बराबर मात्रा में देने का नियम है।”

उन्होंने आगे कहा “मेरी और मेरे परिवार की स्थिति ऐसी है कि हम सभी मेहनत-मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। हमारे परिवार में अधिकतर लोग शुगर (मधुमेह) के मरीज हैं, इसलिए चावल खाना हमारे लिए हानिकारक है। ऐसे में जब कोटेदार अपनी मनमानी करते हुए चावल अधिक और गेहूं कम देता है, तो हमें मजबूरी में बाजार से महंगे दामों पर गेहूं खरीदना पड़ता है। पैसे नहीं रहते तो मज़बूरी में चावल ही उबाल उबाल कर खाने पड़ते हैं।”

रुखसाना बेगम जिनकी उम्र 36 वर्ष है, उनके पास बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे / Below Poverty Line) राशन कार्ड है। वह कहती हैं कि “हमारे परिवार में कुल 8 सदस्य हैं। हमारे यहां राशन कार्ड मेरी सास के नाम से बना हुआ है, जिसके अंतर्गत हमें प्रति माह 40 किलो राशन (16 किलो चावल और 24 किलो गेहूं) मिलना चाहिए। इस बार कोटेदार द्वारा राशन वितरण में गड़बड़ी की गई है। हमें इस बार 25 किलो चावल और केवल 15 किलो गेहूं दिया गया, जबकि सरकार का नियम है कि प्रति व्यक्ति 2 किलो चावल और 3 किलो गेहूं मिलना चाहिए। इस हिसाब से हमें चावल और गेहूं समान अनुपात में मिलना चाहिए, लेकिन कोटेदार अपने मन से राशन बाँट रहा है।

सवाल करने पर कोटेदार करते हैं गुस्सा

रुखसाना बेगम कहती हैं “हम कोटेदार से इस बारे में पूछते हैं, तो वह कहता है कि लेना हो तो लो, वरना मत लो।” कभी-कभी तो हमें धमकी भी दी जाती है कि अगर ज्यादा सवाल पूछोगे या शिकायत करोगे तो राशन ही बंद कर देंगे। ऐसे में हम गरीब लोग डर के मारे चुपचाप गलत राशन लेकर चले आते हैं। मेरे पति पल्लेदारी का काम करते हैं और रोज मुश्किल से 300 कमाते हैं। उसी में बच्चों की पढ़ाई, घर खर्च और बीमारियों का इलाज होता है। अब जब कोटे से भी पूरा राशन नहीं मिलता तो हमें मजबूरी में बाजार से महंगा गेहूं खरीदना पड़ता है, जो हमारी पहुंच से बाहर होता जा रहा है।”

हर बार यही समस्या और बहाना

हरदयाल अनुरागी, जो 45 वर्ष के हैं। वह बताते हैं कि पिछली बार जब तीन महीने का राशन दिया गया था, तब भी उन्हें केवल चावल ही दिया गया था। कोटेदार ने कहा था कि गेहूं खत्म हो गया है, इसलिए चावल ले लीजिए। साथ ही यह आश्वासन भी दिया गया था कि सितंबर माह में जब गेहूं उपलब्ध होगा, तब उन्हें गेहूं दे दिया जाएगा। लेकिन इस बार जब राशन मिला, तो फिर वही स्थिति रही। उन्हें केवल 5 किलो गेहूं और 10 किलो चावल दिया गया। कुल 15 किलो राशन मिल रहा है, लेकिन चावल की मात्रा ज्यादा है। पिछली बार भी मुझे पूरे 15 किलो चावल ही दिया गया था। तब हमने मान लिया था कि शायद गेहूं सच में खत्म हो गया हो। इस बार भी वही बहाना बनाया गया, इसलिए मैंने राशन लेना ही मना कर दिया। मैंने कह दिया कि 5 किलो गेहूं तुम खुद ही रख लो, मैं बाजार से खरीद कर खा लूंगा। सरकार की इस योजना का क्या फायदा, जब कोटेदार अपनी मनमानी करेंगे? मेरे हिसाब से मुझे 8 किलो गेहूं और 7 किलो चावल मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”

कोटेदार का बयान

कोटेदार मुकेश, जो पिछले 10 वर्षों से इस क्षेत्र में कोटे का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार उनके कोटे में चावल की मात्रा अधिक और गेहूं की मात्रा कम आई है। इस कारण उन्हें सभी लाभार्थियों को समान रूप से राशन वितरित करने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा, ‘हमें सभी लोगों को राशन देना होता है, इसलिए हम इस बार चावल अधिक और गेहूं कम मात्रा में दे रहे हैं। जब हमारे कोटे में गेहूं अधिक आता है, तब हम गेहूं की मात्रा बढ़ा देते हैं और चावल कम देते हैं।’

मुकेश ने यह भी कहा कि, ‘लोग इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं। अब जब सरकार फ्री में राशन दे रही है, तो लोगों को उसे संतोषपूर्वक स्वीकार करना चाहिए। इस बार वितरण में काफी दिक्कतें आई हैं। लोग राशन ठीक से लेने भी नहीं आ रहे हैं और हमें भी कई तरह की बातें सुननी पड़ रही हैं।’

उन्होंने आगे बताया कि, ‘इस बार हमने भी नोट कर लिया है कि जब अगली बार हम अपनी रिपोर्ट और फाइल आगे भेजेंगे, तो हम सरकार से अनुरोध करेंगे कि गेहूं और चावल दोनों चीजें समान मात्रा में भेजी जाएं, ताकि लोग संतुष्ट होकर राशन ले सकें। जब हमारे पास ही समान मात्रा में अनाज नहीं आता, तो हम वितरण भी समान रूप से कैसे कर सकते हैं?’

खाद्य विभाग का बयान

जब इस बारे में छतरपुर के कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट के जिला खाद्य अधिकारी सीताराम काठेले से बात की गई तो, उन्होंने बताया कि अब तक उनके पास ऐसी कोई शिकायत लेकर नहीं आया है कि उसे राशन सही तरीके से नहीं मिल रहा।

उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन महीनों में सभी लाभार्थियों को निर्धारित मात्रा में राशन वितरित किया गया है। प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन दिया जाता है, जिसमें 2 किलो चावल और 3 किलो गेहूं शामिल होता है।’

फोटो साभार : अलीमा

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन यदि आपके माध्यम से यह जानकारी मिल रही है कि लोग राशन वितरण को लेकर संतुष्ट नहीं हैं, तो मैं इसकी जांच करवाऊंगा। मैं यह पता लगवाऊंगा कि संबंधित कोटे में कितनी मात्रा में राशन भेजा गया है और कोटेदार उसे किस प्रकार से वितरित कर रहा है। यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।’

लोगों की बातों से यह साफ़ नज़र आता है कि जब कोटेदार सही तरीके से राशन वितरण नहीं करते हैं, तो गरीब और जरूरतमंद लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ये लोग सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए जगह-जगह घूमकर राशन कार्ड बनवाते हैं, लेकिन जब समय पर और पूरा राशन नहीं मिलता, तो उनकी समस्याएं और बढ़ जाती हैं।

 

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