एमपी पंचायत चुनाव 2022 में दोबारा ग्रामीणों से आवास देने का वादा किया जा रहा है। लोग इस बार फिर यह उम्मीद कर रहें हैं कि उन्हें वादे के अनुसार आवास मिल जाए।
मध्यप्रदेश, निवाड़ी जिले के ग्राम पंचायत असाटी के निवासी अभी भी आवास की आस लगाए बैठे हुए हैं। कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को उम्मीद है कि योजना के तहत उन्हें पक्का आवास मिले। इस समय एमपी में पंचायत चुनाव की तैयारी ज़ोरों-शोरों से चल रही है। ऐसे में राज्य के अन्य क्षेत्रों में विकास की उम्मीदें फिर जागी हैं। यहाँ चुनाव लगभग 8 साल बाद हो रहें हैं। वैसे तो चुनाव हर 5 साल में होते हैं लेकिन एमपी में देरी से हुए चुनाव ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गयी हैं। लोगों के काम रुक गए हैं।
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एमपी में चुनाव होने से ग्रामीणों के मन में फिर जागी आस
असाटी गाँव के ग्रामीणों को आने वाले प्रत्याशी से कई सारी समस्यायों को हल करने की उम्मीद है। उनका कहना है कि हर बार की तरह हमें कोई बस बात करने वाला नहीं चाहिए, वह हमें आश्वासन तो खूब देते हैं मगर गांव में कोई परिवर्तन नज़र नहीं आता। इक्का-दुक्का दिखाने के लिए तो कई जगह पर काम होते हुए दिख जाते हैं लेकिन जो काम चल रहा है वह खत्म भी हो और उससे कोई लाभ भी मिले , ये ज़रूरी है।
आवास योजना को लेकर असाटी गांव के लोगो की राय
42 वर्षीय आनंद कुशवाहा ने बताया कि उन्हें इतने सालों में कोई भी लाभ नहीं मिला है। उन्होंने ऐसी कई योजनाओं जैसे इंद्रा आवास, मुख्यमंत्री आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना को आते-जाते देखा है ,लेकिन इन योजनाओं से गांव में कोई खास बदलाव नहीं आया है। इनका कहना है कि शौचालय के लिए भी कई योजनाए बनाई गई ,लेकिन इनसे भी कोई लाभ अभी तक नहीं मिला।
वह शुरू से ही कच्चे मकान में रह रहे हैं। उनसे कई बार पक्के मकान के लिए फॉर्म भरवाया गया ,लेकिन अब तक उनका माकन बन नहीं पाया है। वह कहतें, अगर उनके पास पैसे होते तो वह खुद अपना घर बना चुके होते। मजदूरी से जो पैसा मिलता है उससे वह केवल अपना पालन-पोषण ही कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि आवास की सबसे जयादा ज़रूरत हरिजन बस्ती में हैं।
आनंद का कहना है कि आवास उन्हीं लोगो को मिलना चाहिए जो अभी भी कच्चे माकन में रहते है। वहीं आवास की मांग पूरी होने से पहले यहाँ की जांच होनी चाहिए, क्यूंकि कुछ लोग इसका फायदा उठाते हैं।
60 वर्षीय आशाराम कुशवाहा का कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा आज तक अपना खुद का आवास नहीं मिल पाया हैं। हालत इतनी बुरी है कि वह कभी किसी के घर तो कभी किसी और के घर में शरण लेते हैं।
आगे कहा कि एक बार निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक अनिल जैन इनके घर आये थे और उन्होंने इनके साथ बैठ कर इनकी आवास को लेकर जो परेशानी है उनको सुना था और इनसे वादा भी किया था की वह जल्द से जल्द उनकी दुविधा को प्रशासन के सामने रखेंगे। जल्द से जल्द आवास बनवाने का आर्डर देंगे, लेकिन आज तक इस बारे में कुछ हुआ नहीं हैं।
ओमप्रकाश कुशवाहा, जो की पैर से दिव्यांग हैं उन्होंने आग्रह की थी कि वह काम करने में असमर्थ हैं। कम से कम उनके लिए आवास बनवाया जाये, लेकिन उनकी गुहार भी किसी ने नहीं सुनी। उनकी बीवी और 2 बच्चे उनके साथ रहते हैं।
उनका कहना हैं कि बरसात में उनको काफी दिक्कते आती हैं। उनके घर में पानी इतना भर जाता है। उन्हें अपने घर का सामान कहीं और रखना पड़ता हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा सुनने में आया है कि इस बार की आवास सूची में उनका नाम भी शामिल हैं, लेकिन उनके खाते में अभी तक पैसे नहीं आये हैं।
उनका बस यही कहना है कि उनका आवास जल्द से जल्द बनवा दिया जाए,ताकि वह अपने बीवी-बच्चों को किसी सुरक्षित जगह ले जा सकें।
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‘जिनके नाम लिस्ट में है उनके आवास जरूर बनेंगे’- पंचायत सचिव
असाटी गाँव के ग्राम पंचायत सचिव स्वामी प्रसाद अहिरवार से हुई बातचीत में पता चला कि गांव में लगभग 5 हज़ार आबादी हैं और तकरीबन 3 हज़ार वोटर्स यहाँ रहते हैं। 2011 की जनगणना के सर्वे के अनुसार 285 लोगो में 110 लोग पात्रता सूची में आये हैं और यह लोग हर समाज से आते हैं।
जिन लोगो को अभी तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला हैं उनके नाम आवास सूची में डाल दिये गये हैं। लगभग 400 लोगो का सूची में नाम है, जिनमें से 85 लोग पात्र हैं।
उन्होंने बताया कि 42 लोगों के खाते में पैसे आने थे, जिनमें से 28 लोगों के खाते में पैसे आ चुके हैं। कुछ लोगो के पैसे चुनाव के चलते रुक गये हैं। वह चुनाव ख़त्म होने के बाद उनके खाते में डाले जायेंगे। अगर पैसे उनके खाते में नहीं आते हैं तो फिर से सर्वे होगा और जो लोग इस योजना के योग्य हैं, उन्हें इस योजना का लाभ जरूर दिया जायेगा।
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आवास दिलाय, मनमानी न करें – ग्रामीण
ग्रामीणों की बस यही शिकयत है कि जो भी सरपंच आता है वह बस वादा करता है , लेकिन यहाँ कोई कार्य नहीं होता। जब भी चुनाव आते हैं चाहें वह पंचायत चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो। बस प्रत्याशी यहाँ आते है और वादे करके चले जाते हैं। 8 साल पहले भी सरपंच चुनाव के दौरान इनसे आवास योजना के लाभ की बात की गई थी, इन 8 सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ हैं।
उनका आरोप हैं कि प्रत्याशी वोट मांगने के दौरान जब यहाँ आते है तो खूब बड़ी-बड़ी बाते करके जाते हैं और जब वह पद जीत जाते हैं तो इस गांव में क्या हो रहा है, उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं होती। इनका कहना है कि वोट देना तो उनका अधिकार है, तो वह जो सही लगता है उस प्रत्याशी को वोट दे देते हैं। वैसे भी आम जनता की तो कोई नहीं सुनता, लेकिन इनकी भी कोई ज़िम्मेदारी बनती है कि वह गांव के लिए कुछ करे। अगर आवास योजना की बात की है तो हर परिवार को आवास दिलाने की कोशिश करें, बस अपनी मनमानी न करें ।
साल 2015 में केंद्रीय सरकार द्वारा ‘ग्रामीण आवास योजना’ की शुरुआत हुई थी और यह दावा किया गया था कि 2022 तक गांव के हर निवासी को आवास दिलाया जायेगा। साल 2022 आ चुका है और आज भी प्रत्याशी केवल आवास देने की बात ही कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों को इस योजना से कोई लाभ नहीं हुआ हैं। कुछ लोगो को पक्के घर और शौच की सुविधा मिली हैं, लेकिन बहुत से घर ऐसे हैं जिन्हें अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली हैं। यह देखना होगा कि इस बार ‘आवास योजना’ को लेकर जो प्रशासन ने लक्ष्य बनाया है, वह पूरा होता है या नहीं।
इस खबर की रिपोर्टिंग रीना द्वारा की गयी है।
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