इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके बचपन के महत्व के प्रति जागरूक करना और उन्हें यह सिखाना था
लेखन – अलीमा
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के ऑडिटोरियम में “बचपन मनाओ” नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके बचपन के महत्व के प्रति जागरूक करना और उन्हें यह सिखाना था कि बचपन को किस प्रकार खेल, शिक्षा और संस्कारों के साथ जिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत छतरपुर जिले की विधायक ललिता यादव ने रानी लक्ष्मीबाई की पूजा कर के की। उन्होंने बताया कि “बचपन मनाओ” एक महत्वपूर्ण सामाजिक अभियान है, जिसका मकसद बच्चों को बचपन से ही सही दिशा देना है। आज के समय में कई बच्चे शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में जरूरी है कि उन्हें शुरू से ही पढ़ाई और अच्छे संस्कारों के लिए प्रेरित किया जाए।
स्वच्छता अभियान पर बच्चों का नाटक
इस आयोजन में छोटे-छोटे बच्चों ने रंगारंग प्रस्तुतियाँ दीं। स्वच्छता अभियान को लेकर बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया कि जब शहर में स्वच्छता की गाड़ी आती है और “गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल” का गीत बजता है, तब हमें घर से कचरा निकाल कर बाहर रखना चाहिए। इस नाटक के माध्यम से बच्चों ने स्वच्छता का संदेश बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया।
बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज
कार्यक्रम में यह संदेश भी दिया गया कि बच्चों को मजदूरी नहीं करनी चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि छोटे-छोटे बच्चों को काम पर लगा दिया जाता है, जो उनके बचपन को छीन लेता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं ने बताया कि हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वह किसी भी बच्चे को मजदूरी करता देखे तो उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित करे।
शिक्षा और खेल का संतुलन
आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताओं ने बच्चों को प्रार्थना, पढ़ाई और खेलकूद के महत्व के बारे में सिखाया। कार्यकर्ता सोनम दीदी ने बताया कि “बचपन मनाओ” कार्यक्रम का उद्देश्य आंगनबाड़ी केंद्रों के नन्हे-मुन्ने बच्चों की प्रतिभा को सामने लाना और उन्हें एक मंच प्रदान करना है। बच्चों ने इस मंच पर नृत्य, नाटक और गीत के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया।
विधायक ललिता यादव ने बच्चों को प्रेरित करते हुए विभिन्न प्रकार के खिलौनों का वितरण भी किया। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि बच्चों का आत्म-सम्मान बढ़ाया जाए और उन्हें यह अहसास दिलाया जाए कि उनका बचपन बहुमूल्य है।
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि बचपन केवल एक जीवन की अवस्था नहीं, बल्कि एक अधिकार है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस तरह के अभियानों का उद्देश्य बच्चों को उनका खोया हुआ बचपन लौटाना है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभियान अधिक आवश्यक है, जहाँ आज भी कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
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