लखनऊ जिले की रहने वाली रित्विक दास जो कि ट्रांसमैन हैं, वह हमसफ़र महिला सहायता केंद्र के साथ 3 सालों से जुड़ी हुई हैं। वह केंद्र के मुख्य मुद्दों जैसे महिला, युवा, खासतौर पर क्वीर मुद्दों पर काम करती हैं। काफ़ी संघर्ष और मेहनत के बाद उन्होंने अपनी पहचान को समाज के सामने साबित किया है।
ये भी देखें – “हाँ किन्नर हूँ मैं, लेकिन हूँ तो इंसान ही न!”
वह चाहती हैं कि जैसे अन्य लोगों को समाज में उनके हक़ मिले हुए हैं, वैसे ही क्वीर समुदाय को भी उनके हक़ मिलने चाहिए ताकि वह सुकून से अपनी ज़िन्दगी जी सकें।
आइए जानते है उन्हीं से कि उनके समुदाय को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं।
ये भी देखें – किन्नर का दर्द, किन्नर भी नहीं समझते – मुस्कान के संघर्ष की कहानी
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’