खबर लहरिया Blog लम्बी लाइन, हफ़्तों की दौड़ और पैसे लगाने पर भी नहीं बन रहें लोगों के आधार कार्ड

लम्बी लाइन, हफ़्तों की दौड़ और पैसे लगाने पर भी नहीं बन रहें लोगों के आधार कार्ड

जिला बाँदा में लोग आधार कार्ड बनवाने के लिए सुबह से ही लम्बी लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं फिर भी उनके आधार कार्ड नहीं बनते।

                                    आधार कार्ड बनवाने के लिए लगी भीड़

जिला बांदा| आधार कार्ड बनवाने और जानकारी सही करवाने के लिए लोग उमस भरी गर्मी में बैंकों के बाहर लाइन लगाकर दिन-दिन भर खड़े रहते हैं और परेशानी का सामना करते रहते हैं। वहीं बैंकों में निर्धारित संख्या के आधार पर ही आधार कार्ड बनाए जाते हैं जबकि लोगों की भीड़ उससे दोगुनी होती। इसी वजह से यह देखा जाता है कि आधार कार्ड बनवाने और सही करवाने के लिए लोगों में बहुत ज़ायदा मारामारी होती है। पैसों की भी बहुत लूट होती है पर लोगों के लिए आधार कार्ड बनवाना भी ज़रूरी है। इसी कारण लोग घर का कामकाज छोड़ और किराया भाड़ा लगाकर आए दिन बैंकों के चक्कर लगाते रहते हैं।

दिन-भर इंतज़ार के बाद नहीं बनता आधार कार्ड

नरैनी ब्लॉक की बात करें तो यहां के इंडियन बैंक में आधार कार्ड बनवाने के लिए हर रोज़ लोगों की सुबह 9:00 बजे से ही भीड़ लग जाती है जबकि बैंक खुलने का समय 10:00 बजे है। लोग फिर भी सुबह से अपने घर का कामकाज छोड़ और किराया भाड़ा लगाकर दौड़ते हैं ताकि उनका काम समय से हो जाए। लेकिन कई बार इन लोगों को वापस जाना पड़ता है। भीड़ में कई बार झगड़े भी हो जाते हैं। लोग छोटे-छोटे बच्चों को लिए राह देखते रहते हैं कि कब उनका नंबर आयेगा पर जब शाम को वापस जाना पड़ता है तो ज़्यादा निराशा होती है।

आधार कार्ड न बनने से लोगों को होती परेशानियां

लोगों का कहना है कि वह आधार कार्ड बनवाने के लिए बहुत ज़्यादा परेशान हो रहे हैं। आज हर काम में आधार कार्ड ज़रूरी है लेकिन उनके पास आधार कार्ड नहीं है। इस वजह से उनके काम रुक जाते हैं। काम चाहे बैंक का हो, स्कूल का हो या राशन कार्ड या फिर कोई और सरकारी योजनाओं का लाभ, सब रुक जाते हैं।

– छात्रवृति में फॉर्म में दिक्कत

गोरे मऊ कला गांव के राधेश्याम बताते हैं कि उनके गांव के लगभग 30 लोग आधार कार्ड बनवाने और सही करवाने को लेकर परेशान हैं। गोरेमऊ कला गांव से नरैनी आने-जाने में लगभग 100 रुपये तक का किराया लगता है और कुछ ऊपरी खर्च भी लगता है। इसके अलावा घर के काम का नुकसान होता है। साथ ही इस समय बच्चों के छात्रवृत्ति फॉर्म का टाइम नज़दीक है। बहुत से बच्चों के आधार कार्ड गलत है जिससे वह अपने बेटे का छात्रवृत्ति का फॉर्म नहीं भर पा रहे हैं। बच्चे आधार कार्ड सही करवाने के लिए बैंक में लाइन लगाए खड़े रहते हैं लेकिन उनके आधार कार्ड नहीं बनते।

गाँव की एक लड़की जब आधार कार्ड सही करवाने के लिए गयी तो आधार कार्ड ऑपरेटर ने उससे 500 रूपये की मांग की थी जबकि इतना पैसा नहीं लगता है। नया बनवाने में तो एक भी रुपए नहीं लगता। इसी वजह से लड़की सीधे एसडीएम के पास शिकायत करने पहुँच गयी। एसडीएम ने उस आधार कार्ड ऑपरेटर को तुरंत वहां बुलवाया पर ऑपरेटर इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ कि उसने आधार कार्ड सही करने के लिए 500 रूपये की मांग की थी। जब एसडीएम ने आधार कार्ड ऑपरेटर को डांटा तब जाकर लड़की का आधार कार्ड सही हुआ।

– खेती और कॉलेज में नाम लिखवाने में दिक्कत

पडमई गांव के गौरीशंकर बताते हैं कि वह 1 हफ़्ते से आधार कार्ड बनवाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। उनका गांव नरैनी से ज़्यादा दूर नहीं है फिर भी आने-जाने का 30 रूपये किराया खर्च हो ही जाता है। पूरे दिन के खेती किसानी और घर के काम का नुकसान होता है। उनके चार जानवर है जिनके लिए चारा-भूसा की ज़रुरत पड़ती है। खेतों में भी अन्ना जानवरों के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं जिनकी रखवाली रातों-दिन करनी पड़ती है। यह सब काम छोड़कर वह आधार कार्ड के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

उनके बेटे का आधार कार्ड गलत है जिसको रिन्यूअल कराने की जरूरत है। आधार कार्ड गलत होने से उनके राशन कार्ड से यूनिट कट गये हैं। अब कॉलेज में भी छात्रवृत्ति का फॉर्म भरने के लिए आधार कार्ड मांगा जा रहा है। उन्होंने अपने बेटे का नाम इस साल नाइंथ में राजकुमार इंटर कॉलेज में लिखवाया है। वहां से अध्यापक रोज़ आधार कार्ड मांग रहे हैं इसलिए वह काफ़ी परेशान हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते उसका आधार कार्ड नहीं सुधरा तो जैसे यूनिट कटने पर राशन नहीं मिल रहा, वह अपने बेटे के लिए छात्रवृत्ति का फॉर्म भी नहीं भर पाएंगे।

वह आगे कहते हैं कि सरकार ने आधार कार्ड के नाम पर लोगों को लाइन में लगवा दिया है। लोग अपने घर का कामकाज नहीं करवा पा रहे हैं। पहले ही सुकून था कि इस तरह का झंझट नहीं होता था और लाइन में नहीं लगना पड़ता था। लेकिन जब से आधार कार्ड का चलन हुआ तब से पहचान पत्र और भी जो कागज़ात होते हैं उनकी कोई कीमत नहीं रह गई है। सिर्फ आधार कार्ड ही हर जगह मांगा जा रहा है इसलिए उनकी मजबूरी है। वह कहते हैं कि अगर वह खेतों की रखवाली नहीं करते हैं तो जानवर पूरी फसल चौपट कर देंगे। साल भर के खाने के लिए वह तरस जाएंगे। एक हफ़्ते से वह बराबर आधार कार्ड सही करवाने के लिए दौड़ रहे हैं। इतने दिन में जाने कितनी ही फसल अन्ना जानवरों ने बर्बाद कर दी होगी पर क्या करें वह मज़बूर है।

– योजनाओं से वंचित, देने पड़ते हैं दुगने पैसे

हडहा गांव की करिश्मा और शबनम बताती हैं कि वह तो आधार कार्ड रिन्यूअल कराने के लिए 15 दिन से चक्कर काट रही हैं। सुबह 9:00 बजे ही वह आधार कार्ड बनवाने के लिए पहुँच जाती हैं। हडहा गांव नरैनी से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर है। हर रोज़ 50 रूपये का किराया-भाड़ा लगता है। वह घर में छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर आती हैं तो उनकी भी चिन्ता लगी रहती है।

करिश्मा बताती हैं कि उनके आधार कार्ड में नाम गलत है। शबनम कहती हैं कि उसे अपने बच्चे का आधार कार्ड नया बनवाना है। बच्चे की उम्र 5 साल हो गई है। इसके पहले बनवा रहे थे तो बन नहीं रहा था। यह था कि उम्र कम है। अब बच्चा स्कूल जाने लायक हो गया है तो स्कूल में आधार कार्ड नाम लिखवाने के पहले ही मांगते हैं। राशन कार्ड में राशन भी नहीं देते हैं इसलिए वह चाहती हैं कि उनका आधार कार्ड जल्द से जल्द बन जाए ताकि ये दिक्कतें दूर हो जाएं।

आधार कार्ड न बनने से वह किसी भी योजना का लाभ पाने से वंचित हैं। सरकार ने आधार कार्ड तो चला दिया और उसके बगैर कोई काम नहीं हो सकता। यहां पर लोगों को आधार कार्ड के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है और दुगना-तिगना पैसा देना पड़ता है। अगर नया आधार कार्ड निःशुल्क है तो फिर यहां 100 रूपये क्यों लिए जाते हैं। अगर लोग पैसा देने से मना करते हैं तो उन्हें हफ़्तों तक लटकाया जाता है और उनका आधार कार्ड नहीं बनाया जाता। इस वजह से उन्हें मजबूरी में पैसा देना पड़ रहा है। वैसे भी वह आधार कार्ड के लिए 10 दिन से दौड़ रही हैं तो रोज़ 50 रूपये के हिसाब से जोड़ हो तो 10 दिन का 500 रूपये होता है।

शबनम ने मजबूरी में 100 रूपये दिए और कहा है कि आधार कार्ड जल्द से जल्द बना दें। उसने अब आधार कार्ड का फॉर्म भर लिया है पैसे भी जमा हो गए हैं लेकिन अभी नंबर नहीं आया है। करिश्मा बताती हैं कि आधार कार्ड रिनुअल कराने के लिए उससे भी 200 रूपये लिए गए हैं तब जाकर उसका आधार कार्ड सही किया गया है। अब एक हफ़्ते बाद जब नेट पर उनका आधार कार्ड आ जाएगा तो 100- 50 रूपये में आधार कार्ड निकालेंगे। वह कहती हैं कि अगर डाक द्वारा आधार कार्ड के आने का इंतज़ार करेंगे तो महीनों लग जाएंगे।

जिनका आधार कार्ड नहीं बनता वह लगाते हैं आरोप – आधार कार्ड ऑपरेटर

मामले को लेकर खबर लहरिया ने आधार कार्ड ऑपरेटर अजय कुमार से बात की। उनका कहना है कि किसी से भी गलत पैसे नहीं लिए जाते। लोग सुबह से ही भीड़ लगा लेते हैं। आधार कार्ड बनने का समय सुबह 10 से शाम 4 बजे तक है। भीड़ में इतने लोगों का वह नहीं बना सकते हैं। नियम के आधार पर काम हो पाता है। जिसमें हर रोज़ 20 से 25 लोगों का 10:00 से 4:00 के बीच में आधार कार्ड बन पाता है। जो लोग रह जाते हैं और जिन्हें उनको लौटना पड़ता है वह लोग इस तरह की झूठी शिकायतें करते हैं। वह आगे कहते हैं कि रिनुअल का जरूर पैसा लगता है लेकिन नया बनवाने का कोई शुल्क नहीं है।

जैसे की डेमो ग्राफो का 50 रूपये लगता है। बायो मैट्रिक का 100 रूपये लगता है। नया आधार कार्ड बनवाने का कोई शुल्क नहीं है। लोग कुछ भी बोले वह क्या कर सकते हैं उनको तो अपने काम से मतलब है जो वह कर रहे हैं।

भारत सरकार द्वारा आधार कार्ड को हर काम के लिए महत्व दिया गया है। वहीं आज भी लोगों को आधार कार्ड बनवाने में परेशानियां आ रही हैं। उन्हें हफ़्तों तक दौड़ना पड़ता है। किराया-भाड़े के आलावा आधार कार्ड के लिए ज़रूरत से ज़्यादा पैसे देने पड़ते हैं। यहां सवाल यह है कि आखिर अब भी सभी लोगों के आधार कार्ड क्यों नहीं बने हैं? जब सरकार सभी कामों को आधार कार्ड से जोड़ रही है तो क्या सरकार को यह निश्चित नहीं करना चाहिए की सभी लोगों के आधार कार्ड बने हैं या नहीं ? इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? जब एक बहुत बड़ी आबादी के आधार कार्ड नहीं बने हैं तो क्या सरकार फिर से आधार कार्ड बनवाने और सही करवाने के लिए जगह-जगह कैंप नहीं लगवा सकती?

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

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