खबर लहरिया Blog Loksabha Discussion: ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर राजनीतिक पार्टियों का लोकसभा में चर्चा और वाद-विवाद 

Loksabha Discussion: ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर राजनीतिक पार्टियों का लोकसभा में चर्चा और वाद-विवाद 

पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संसद में विशेष चर्चा हुई। इस चर्चा में पक्ष-विपक्ष दोनों की बयानबाजी भी हुई। 

Photo of political leaders present in Lok Sabha

लोकसभा में मौजूद राजनीतिक नेताओं की तस्वीर (फोटो साभार: हिंदुजा)

​​ऑपरेशन सिंदूर क्या था 

 22 अप्रैल को पहलगाम मे हुए हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। भारत ने इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया। इंडियन आर्मी ने बताया कि भारत ने उन आतंकी ढांचों को निशाना बनाया जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें अंजाम दिया गया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा मुरीदके भी शामिल हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

 28 जुलाई 2025 को संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा हुई जिसकी शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा चर्चा शुरू की गई। ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस के दौरान, सिंह ने कहा, “मैं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।”

राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा, “पहलगाम हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों को पहलगाम हमले का जवाब देने की पूरी आजादी दी थी। हमारी सेना ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने से पहले सभी पहलुओं का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया। इसका उद्देश्य आतंकवादी बुनियादी ढांचे को बेअसर करना था और साथ ही यह सुनिश्चित करना था कि पाकिस्तान में नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। सुव्यवस्थित हमलों में, हमारे सशस्त्र बलों ने नौ आतंकवादी बुनियादी ढांचे स्थलों को सटीक रूप से निशाना बनाया। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े उनके प्रशिक्षकों सहित 100 से अधिक आतंकवादियों को निशाना बनाया गया। हमने आतंकवादियों को उनके घरों में घुसकर मार गिराया। हमने अपनी माताओं और बहनों के ‘सिंदूर’ का बदला लिया।”

उन्होंने बाकी राजनीतिक दलों के ऊपर निशाना साधते हुए आगे कहा “पहलगाम का बदला लेने के लिए नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किए। सात ठिकाने पूरी तरह नष्ट हुए। ऑपरेशन 22 मिनट चला। पाकिस्तान हमारी किसी अहम संपत्ति को नुक़सान नहीं पहुंचा पाया है। विपक्ष पूछता है कि कितने विमान गिरे। ये क्यों नहीं पूछते कि कितने दुश्मन मार गिराए। परीक्षा में अच्छे मार्क्स आए तो यह नहीं देखते कि परीक्षा में कितनी पेंसिल टूटी या कितने पेन खो गए। 

राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, इसे रोक दिया गया है। अगर पाकिस्तान कोई दुस्साहस करता है तो हम फिर से हमले शुरू करेंगे। “हमारी सरकार ने भी पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। लेकिन बाद में, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से, हमने शांति स्थापित करने के लिए एक अलग रास्ता अपनाया है। नरेंद्र मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है – बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते…”

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई

  लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस पूरे अभियान में पारदर्शिता की कमी है और जनता को पूरी सच्चाई नहीं बताई जा रही है। गोगोई ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से साफ-साफ पूछा कि इस ऑपरेशन में कितने भारतीय लड़ाकू विमान दुश्मन ने गिराए। उन्होंने कहा कि यह जानकारी सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि हमारे सैनिकों के साथ भी साझा की जानी चाहिए, क्योंकि उन्हें भी अधूरी या गलत जानकारी दी जा रही है।

गौरव गोगोई ने 10 मई को अचानक युद्धविराम की घोषणा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष और पूरा देश ऑपरेशन के समय प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ा था, लेकिन बिना किसी ठोस जानकारी के अचानक अभियान रोक देने से कई सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या भारत ने युद्धविराम पर फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति के दबाव में लिया, क्योंकि अमेरिका ने कई बार दावा किया है कि उन्होंने इस समझौते में मध्यस्थता की है। गोगोई ने कहा कि देश को सच्चाई जानने का हक है और सरकार को पूरी जानकारी साफ-साफ सामने रखनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि ट्रम्प ने 26 बार कहा है कि उन्होंने युद्धविराम करवाया है। पीएम ने किसके सामने आत्मसमर्पण किया? पीएम ने उरी और पुलवामा के बाद कहा था कि आतंकी ढाँचा नष्ट कर दिया। अब भी वही कह रहे हैं। पांच से छह जेट गिरने का दावा है। देश में 35 रफ़ाल है। कुछ गिरे हैं तो, बड़ा नुक़सान है। देश में सच सुनने का साहस है। रक्षा मंत्री बताएँ कितने जेट गिरें। जनता ही नहीं जवानों को भी बताना होगा। उनसे भी झूठ बोला जा रहा है। 

एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी

 लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सवाल किया कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने की इजाज़त आखिर कैसे दी जा रही है।

ओवैसी ने कहा, “भारत सरकार की अंतरात्मा कैसे मंजूरी दे सकती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हो?” उन्होंने पूछा कि जब सीमा पर तनाव है और हमारे जवान शहीद हो रहे हैं, तब ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के साथ खेल को कैसे सही ठहराया जा सकता है? 

उन्होंने आगे कहा कि “पहलगाम हमले की जिम्मेदारी कौन लेगा? चार चूहे देश में कैसे घुसे? जब पाकिस्तानी विमान और नाव हमारे क्षेत्र में नहीं आ सकते। आप कहते हैं खून और पानी एक साथ नहीं बह बहेंगे फिर क्रिकेट क्यों खेल रहे हैं?” 

एनसीपी की सांसद सुप्रिया

लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने शहीद असावरी जगदाले की भावनाएं सदन में रखीं। असावरी के पिता पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए थे।

सुले ने बताया कि असावरी बार-बार यही सवाल करती है कि उसके पिता को कब इंसाफ मिलेगा और हमले के पीछे जिम्मेदार आतंकियों को कब सज़ा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले जो कश्मीर असावरी और उसकी माँ के लिए स्वर्ग था, अब वो दर्द और सदमे की जगह बन गया है। सुले ने कहा कि जब तक पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ा नहीं जाता, तब तक ऑपरेशन सिंदूर पूरा नहीं माना जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ राजनीतिक बहसों से शहीद परिवारों को न्याय नहीं मिलेगा। सुले ने भारत के युद्धविराम के फैसले की तारीफ की और कहा कि इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई, लेकिन भारत की सेना की कार्रवाई पर ज़्यादा चर्चा नहीं हुई, जो जरूरी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की एक साक्षात्कार में की गई टिप्पणी पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। इस साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि पहलगाम आतंकी हमले में “घरेलू आतंकवादी” शामिल हो सकते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या सबूत है कि हत्यारे पाकिस्तान से आए थे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 

ऑपरेशन सिंदूर पर आज फिर से संसद में बहस जारी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा, “निर्दोष नागरिकों को उनके परिवारों के सामने उनका धर्म पूछकर मार दिया गया। मैं इस बर्बर कृत्य की निंदा करता हूं। मैं उन परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है।” अमित शाह ने कहा कि हमने पहलगाम के आतंकियों को मार गिराया है। इतना ही नहीं शाह ने कहा, “कल के ऑपरेशन में तीनों आतंकवादी – सुलेमान, अफगान और जिबरान मारे गए। जो लोग उन्हें खाना पहुंचाते थे” उन्हें पहले ही हिरासत में ले लिया गया था। जब इन आतंकवादियों के शव श्रीनगर लाए गए, तो हमारी एजेंसियों द्वारा हिरासत में रखे गए लोगों ने उनकी पहचान की।’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार के पास सबूत हैं और उन्हें पूरा यकीन है कि पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकवादी पाकिस्तान से थे। उन्होंने कहा “हमारे पास दो आतंकवादियों के वोटर आईडी हैं। हमारे पास हमले में इस्तेमाल की गई राइफलें भी हैं।

गृह मंत्री ने अपने भाषण के अंत में कहा, “आप कहते हैं कि आतंकवादी देश में घुस आए, लेकिन जब आपकी सरकार थी, तब उन्हें घुसने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी, आप तो उन्हें वीजा देकर बुलाते थे। जिन लोगों ने पोटा (आतंकवाद विरोधी कानून) को खत्म किया था, उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अच्छी नहीं लगेगी। लेकिन हमारी मोदी सरकार आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करती।”

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव 

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा कि “उस वक्त मीडिया देखकर लगा जैसे कराची, लाहौर और पीओके भी हमारे हो जाएंगे, लेकिन सरकार बाद में पीछे क्यों हट गई, यह सवाल बना हुआ है। उन्होंने सीजफायर पर भी सवाल उठाया कि सरकार ने खुद घोषणा क्यों नहीं की और अपने मित्र देश से ही क्यों करवाया। सत्ता पक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वे उत्तेजित भाषा बोलते हैं और जनता की भावनाओं का फायदा उठाते हैं। पहलगाम हमले को लेकर उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था की चूक पर सवाल उठाए और कहा कि आम लोगों को सुरक्षा नहीं मिलती, लेकिन कुछ लोगों को पूरी सुरक्षा दी जाती है, जो बाद में ठग निकलते हैं। गृह मंत्री द्वारा इसे खुफिया विफलता बताने के बाद भी उन्होंने पूछा कि चूक क्यों हुई और कौन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि एक तरफ आजादी की बातें होती हैं, और दूसरी तरफ हमारी सीमाओं पर अतिक्रमण हो रहा है। उन्होंने चीन को बड़ा खतरा बताया और कहा कि सरकार को अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और आर्थिक मोर्चे पर सरकार पूरी तरह असफल हो रही है।

प्रियंका गांधी

लोकसभा में प्रियंका गांधी ने कहा “सरकार से पूछा कि 22 अप्रैल 2025 को बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों को उनके परिवार के सामने कैसे मार दिया गया? उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार दावा कर रही थी कि कश्मीर में शांति है, तो आतंकी वहां खुलेआम कैसे घूम रहे थे? उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। प्रियंका ने टीआरएफ जैसे आतंकी संगठन को लेकर भी सरकार को घेरा और पूछा कि इतने हमलों के बाद भी उसे 2023 में ही आतंकी संगठन क्यों घोषित किया गया? क्या किसी अधिकारी ने जिम्मेदारी ली? क्या गृह मंत्री ने इस्तीफा दिया? उन्होंने कहा कि सरकार बस तारीफें लेती है, लेकिन जवाबदेही से बचती है। ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय प्रधानमंत्री लेते हैं, लेकिन जंग रोकने की जिम्मेदारी नहीं लेते। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा युद्ध रोकने की घोषणा पर सवाल उठाया और कहा कि यह हमारी कूटनीति की हार है। प्रियंका गांधी ने भावुक होकर कहा कि जब उनके पिता को आतंकवादियों ने मार डाला था, तब उनकी मां के आंसू सबने देखे थे, इसलिए वो पीड़ा को समझती हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम में 26 परिवार उजड़ गए, लेकिन वहां कोई सुरक्षा नहीं थी। उन्होंने कहा कि संसद में सबको सुरक्षा मिलती है, लेकिन आम जनता के लिए कुछ नहीं किया गया। सरकार सिर्फ प्रचार में व्यस्त है और असली मुद्दों से भाग रही है।

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर ज़ोरदार बहस हुई जिसमें सभी दलों ने अपनी-अपनी राय रखी। सरकार ने कहा कि सेना ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। वहीं विपक्ष ने सवाल उठाया कि हमला कैसे हुआ, सुरक्षा में चूक क्यों हुई और अचानक युद्धविराम क्यों किया गया। कुछ नेताओं ने सरकार पर पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही से बचने का आरोप लगाया तो कुछ ने शहीदों के परिवारों की पीड़ा और जनता की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। यह चर्चा बताती है कि देश की सुरक्षा पर राजनीति से ऊपर उठकर ईमानदारी से बात और काम होना जरुरी है ताकि जनता का भरोसा बना रहे। 

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our   premium product KL Hatke