जिला ललितपुर ब्लाक बिरधा में फूलों की खेती और बिक्री का मौसमी खेल
बिरधा गांव खेतों की नाम की कमला देवी का कहना है कि आज से 30 साल पहले की हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति यह थी कि हमारे परिवार में हमारे बच्चों के लिए खाने पीने के लिए राशन भी नहीं होता था जहां पर कि हम लोग अपनी मजदूरी से करके अपने बच्चों का भरण पोषण कर पाते थे
हम चाहते थे तो हमारे बच्चों के लिए पढ़ाई लिखाई के लिए पैसे भी नहीं होते थे इसको लेकर कि हम बहुत परेशान थे और जो हमारे पति थे उनको काफी बीमारी थी बीमारी के लिए पैसे भी नहीं थे इलाज कराने के लिए जहां पर कि गांव में कोई पांच रो पर देने के लिए भी तैयार नहीं था इस तरह की आर्थिक स्थिति थी हमारी जब हमारा बच्चा 14 साल का होगा तो वह ललितपुर गाया गया और उसने फूलों की जहां पर फूल व्यक्ति थी वहां खड़ा हुआ था वह देख रहा था कि किस तरह से फूल बिक रहे हैं
उसके दिमाग में बात बैठ गई तो उसमें घर आकर अपनी मां और पिता से कहा तो छोटी सी लगाई पहले आप फिर ऐसे से धीरे-धीरे लगाता रहा जहां तक कि वह बाजार में बेचने के लिए ले जाया करता था इसी प्रकार से उसके बहुत बड़ी खेती होने लगी आज की स्थिति में एकड़ में फूलों की खेती हो रही है और इसका कहना है कि ललितपुर टीकमगढ़ सागर इंदौर हर जगह हमारे यहां से फूल जाता है पर हम लोग वहां देने के लिए नहीं आ जाते हैं
मिर्च की खेती से बदली किसानों की जिन्दगी
हम लोगों को ऑर्डर आ जाता है तो ऑर्डर पर हम लोग फूल बेचते हैं जहां पर के अनाज की दो फसलें होती हैं उसी में कई प्रकार के गिरवा तुषार कई प्रकार की औलाद द्रष्टि भी हो जाती है उसमें नुकसान हो जाता है फूलों की खेती है तो इससे चार बार फूलों की खेती करके फसलें उगाते हैं कि 1000 की आय होती है तो इससे हम मानते हैं कि यही हमारी शॉप है क्योंकि हम लोग तो बेरोजगार हैं कोई जॉब भी नहीं इसको लेकर के हम लोग फूलों की खेती ही जो अपमान रहे हैं तो इसको लेकर के हम 3 एकड़ की खेती में फूलों की खेती कर रहे हैं और जितने भी हमारे परिवार में लोग हैं वह सारे लोग उसी में जुड़े हुए हैं सारे दिन सुबह से शाम तक उसकी गुड़ाई नींद आई होती रहती हैं और जब सुबह 6:00 बजे फूल तोड़ने जाते हैं तो कम से कम 1 कुंटल या 50 किलो का आर्डर आता है
तो सुबह से 12:00 बजे तक छोड़ते हैं इसके बाद में फिर भी शाम के 4:00 बजे से 6:00 बजे तक फिर से फूल तोड़ने के लिए चले जाते हैं तो शाम 6:00 बजे तक आते हैं इसको लेकर के हम सारा दिन उसी फूलों की खेती में लगे हुए हैं तो आज की स्थिति हमारी इनकम से करीब हमारा परिवार इतना सक्सेस हो चुका है कि परिवार में हमारे 22 ट्रैक्टर 22 गाड़ियां और काफी सक्सेस हो गए हैं तो हम यही प्रार्थना कर रहे हैं कि एक तो हमारी आए भी है पहले की और हमारी फूलों की खेती से उन्नति भी ज्यादा हो रही है तो इसी के करके हमारे गांव में काफी लोग फूलों की खेती कर रहे हैं करीब आज हम 20 साल से फूलों की खेती करते आ रहे हैं और उसी से हमारे परिवार का भरण-पोषण हो रहा है