जिला छतरपुर ब्लॉक छतरपुर वार्ड नंबर 37 मोहल्ला बीडी कॉलोनी में आज दिनांक 16 दिसंबर को हमने बीड़ी बनाने वाली महिलाओं को देखा हुई दिखी मैंने यहां पर जाकर जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोगों के साथ पति भी होते हैं जो बीड़ी बनाने में मदद करते हैं |
सुबह से पत्ते काटते हैं फिर जाकर बड़ी बनाते हैं यह बड़ी 1 दिन में एक साथ खड़ा नहीं बन पाती हम लोग रोज बनाते हैं कभी कभी सब पूरा घर एक साथ मिलकर जब यह बड़ी बनाता है तो एक सैकड़ा बन जाती हैं उसके बाद उसको टूट कर लगाकर बंडल बनाकर वह ₹100 की बिकती है और कुछ पटेल भी निकल जाती है तो हम लोगों को ₹80 मिलते हैं जिससे हम लोगों का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है इन महिलाओं ने बताया कि बीड़ी बनाने में इतना टाइम हो जाता है कि हमारे बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं और हमारे पास इतना पैसा भी नहीं है कि हम अपने बच्चों को पढ़ा सकें इन महिलाओं की पति पल्लेदार करते हैं और बच्चों का खाने-पीने का इंतजाम करते हैं महिलाएं अपने घर में बीड़ी बनाकर बच्चों का पेट भर्ती हैं और जो बच्चियां हैंचित्रकूट जिले में बीडीओ लोगों को खोजकर दे रहे हैं काम, फिर भी दस साल से बेरोजगार हैं मजदूर
वह भी अपनी माताओं के साथ बीड़ी बनाने में मदद करती हैं जो कि पढ़ने नहीं जा पाती पूरा दिन मेहनत करती हैं उसके बाद ₹100 मिलते हैं जब 5 लोग मिलकर एक सैकड़ा भी नहीं बनाएंगे उसके बाद ₹100 नसीब होता है महिलाओं का कहना है कि हम लोग काफी बार शिकायत कर चुके कोई सुनवाई नहीं हुई यहां तक कि हम लोगों ने जुलूस तक निकाल डाला तब भी कोई सुनवाई नहीं हुई इस बी कॉलोनी में बहुत सी बूढ़ी बुजुर्ग महिलाएं भी इस उमर में बीड़ी बनाकर अपना भरण-पोषण कर रही हैं जिन महिलाओं की उम्र बैठकर खाने की है वह महिलाएं इस उम्र में बड़ी बनाकर अपने बच्चों का पेट पाल रही हैं यह व्रत और विधवा महिलाएं जिनके पति भी नहीं है वह इस उमर में सुबह 4:00 बजे से उठकर पत्ती काटती हैं उसके बाद घर का कामकाज कर कर बीड़ी बनाने बैठ जाती हैं जिनकी उम्र अभी साथ 70 साल है वह लोग बड़ी बनाकरअपने परिवार का भरण पोषण करती हैं और घर में जवान बेटियों की शादी का भी इसी बीड़ी बनाकर पैसा जोड़कर इंतजाम करती हैं वृद्ध महिलाओं का कहना है कि हमें सरकार की तरफ से कुछ और काम मिल जाए तो हम लोग इस उम्र में बीड़ी नहीं बनाएं वीडियो बनाते बनाते इन लोगों की आंखें भी कमजोर हो गई है फिर भी अपने पेट पालने के लिए यह लोग इतना मेहनत करती हैंकुछ लड़कियों से बात की तो उन लोगों ने बताया कि हम लोग पढ़ना चाहते हैं लेकिन हम लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि हम लोग पढ़ सके या फिर किताबें ना सके इसलिए हम लोग बीड़ी बनाकर सिर्फ दो वक्त की खाने का इंतजाम बस कर लेते हैंप्रशासन से कभी भारत शिकायत भी की कि हम लोगों की या तो कैसे बढ़ाए जाएं या हम लोगों को कोई और काम दिया जाए लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई इसलिए हम लोग इतने ही में गुजर-बसर कर कर खुश रहते हैं