नागरिकता संशोधन बिल पर क्यों विरोध प्रदर्शन, सुनिए बुंदेलखंड के लोगों के विचार
विधेयक के जरिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना समुचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।
वैसे देखा जाये तो एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं क्योंकि जहां एक ओर नागरिकता संशोधन विधेयक में भारतीय जनता पार्टी धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने पर विचार कर रही हैं वहीं एनआरसी में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, असम गण परिषद और तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक के विरोध में हैं।
नागरिकता संशोधन बिल को मध्य प्रदेश में रोके जाने पर लोगों ने किया प्रदर्शन
के विरोध में देश के पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के कोने कोने से विरोध प्रदर्शन जारी है। लोगों का मानना है कि अगर यह बिल आया तो कई कई पीढ़ियों से रहने वाले लोग नागरिकता प्रूफ देने में असफल रहे तो उनका क्या होगा। इस तरह से इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब, दलित, अनपढ़ और मुस्लिम लोग होंगे। 13 दिसंबर को बांदा शहर में स्थानीय लोगों ने इस कानून के खिलाफ जुलूस निकाला. शहर की जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम वर्ग ने हाथों में तख्ती और झंडे-बैनर लेकर नए कानून के प्रति विरोध जताया.
बांदा में हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतरे और कैब को काला कानून बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता नारेबाजी कर रहे थे। इस कानून को लेकर बांदा और चित्रकूट जिले के कुछ लोगों से हमने विचार जाने। प्रेम सिंह का कहना है कि इससे कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है। हिन्दू मुश्लिम एकता की मिशन के लिए हमारे बुन्देलखंड समेत पूरा हिंदुस्तान में मिशाल कायम है। वह कभी न टूटेगी। चाहे सरकार इस एकता को तोड़ने के लिए कोई भी उपाय कर ले पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। इसी तरह और लोगों ने यही स्थिति बताई है।