जिला महोबा के ऑफीसर कॉलोनी मोहल्ला के रहने वाली 25 साल की पूनम विश्वकर्मा काफी बार संगीत दिवस में भाग ले चुकी हैं। ये कहती है की इन्हे बचपन से ही गाना गाने का शौक था इन्हे लगा की इनके अंदर एक टैलेंट भी है तो क्यों न प्रयास किया जाए l लगभग 7 सालों से गाने को गाती है पूनम को पहले संगीत दिवस कार्यक्रम के बाद से ही उसे अलग-अलग प्रोग्रामों में बुलाया जाने लगा। उसके लिए 4 दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती है। बुंलेखंड में कही पर भी ऑडिशन होती है तो वह जाती है l दो या तीन बार तो दे ही दिया है ऑडिशन मुझे एक ऑवार्ड भी मिला है l
वह कहती हैं कि बिना मेहनत के संगीत के लिए समय देना बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही परिवार का साथ होना भी ज़रूरी है। वह बचपन से ही संगीत सीख रही हैं। आज उन्हें संगीत कलाकार माना जाता है। उनका यही लक्ष्य है कि उनके संगीत से उनके गाँव और उनके क्षेत्र का नाम रोशन हो। वह कहती हैं कि वह आय के लिए संगीत नहीं गाती बल्कि संगीत उनका शौक है।
वह कहती हैं कि लता जी के काभी सुनती है और अगर किसी को सीखना हो तो उसे सिखाने की ज़रूरत नहीं होती। वह अपने मन की ऊर्जा से ही सीख जाते हैं। वह बताती हैं कि उन्होंने महोबा में रहने वाले बाबला सर से संगीत सीखा है। वह उनके गुरु हैं। वह कहती हैं कि यूँ तो महिला संगीतकार को इस क्षेत्र में नहीं देखा जाता। लेकिन उन्होंने कभी समाज की बात ही नहीं सुनी इसलिए वह आगे निकल पायीं।
पूनम को सबसे ज़्यादा लता मंगेष्कर के गाने पसंद है, वह उसे ही गाती हैं। जब भी संगीत दिवस आता है तो वह चार दिन पहले से ही तैयारी करना शुरू कर देती हैं। वह कहती हैं कि उन्हें संगीत दिवस में सम्मानित भी किया जा चुका है। सबसे पहले उन्हें महुआ क्षेत्र में सम्मानित किया गया था। वह हर संगीत दिवस में ज़रूर शामिल होती हैं।
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