बिहार में शराबबंदी को लेकर एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। पुलिस के मुताबिक, साल 2025 में अगस्त तक हर महीने औसतन 77,000 लीटर से ज्यादा शराब जब्त की गई है। यह मात्रा पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है।
बिहार में 1 अप्रैल, 2016 से नीतीश कुमार की सरकार ने पूरी तरह से शराब पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद भी बिहार के कई जिलों और गांव में शराब का सेवन किया जाता है और चोरी से शराब बेची भी जाती है। शराब की वजह से घरेलू हिंसा, मारपीट, झगड़ा, बलात्कार और छेड़छाड़ जैसी घटनाएँ बढ़ती जा रही है। यहां तक की जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत भी हो जाती है।
बिहार में जब्त शराब को लेकर खुलासा
हाल ही में बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (मद्यनिषेध) डॉक्टर अमित कुमार जैन ने जानकारी देते हुए बिहार में जब्त की गई शराब के आंकड़ों का खुलासा किया। यह खुलासा उन्होंने सोमवार 22 सितम्बर 2025 को किया। उन्होंने कहा कि “मद्यनिषेध इकाई द्वारा अगस्त 2025 तक कुल 6 लाख 20 हजार 322 लीटर शराब जब्त की गई। इसमें देशी शराब करीब 12 हज़ार 515 लीटर और विदेशी शराब मुख्यत: 5 लाख 74 हज़ार 526 लीटर है। इसकी अनुमानित कीमत 72 करोड़ 64 लाख 66 हज़ार 700 रुपए है। इस साल औसतन प्रत्येक माह 77 हज़ार 450 लीटर शराब जब्त की गई, जो पिछले वर्ष 2024 के अगस्त तक जब्त की गई शराब की मात्रा से 16 प्रतिशत अधिक है।” आप बिहार पुलिस द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो में सुन सकते हैं।
मद्यनिषेध इकाई द्वारा वर्ष 2025 में माह अगस्त तक 6.20 लाख लीटर से अधिक शराब बरामद की गई जिसकी कीमत करीब 72.64 करोड़ रुपया है। (1/3)
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शराब के संदेह में निर्दोष की जान गई
बिहार में शराब को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसके बावजूद सरकार पूरी तरह से इस काम में सफल होती नज़र नहीं आ रही है। खबर लहरिया की जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार पटना जिले के मसौढ़ी ब्लॉक के देभत्ता गांव में रविवार सुबह प्रशासन की कार्रवाई के दौरान एक युवक की संदिग्ध मौत हो गई। मद्यनिषेध प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम शराब और जुए के खिलाफ अभियान चला रही थी। इसी क्रम में उपेंद्र बिंद नामक युवक को पकड़ने के प्रयास में पुलिस ने कथित रूप से उसे पीटा और नाले में धकेल दिया, जिससे उसकी डूबकर मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि उपेंद्र एक किसान था और भिंडी तोड़ने निकला था। इस घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया।
बिहार में शराब को लेकर इतना बड़ा आंकड़ा सामने आना सरकार पर सवाल खड़े करता है। शराबबंदी के बावजूद भी कैसे बिहार में शराब की देशी और विदेशी शराब सप्लाई होती है। यह प्रशासन की लापरवाही को भी दिखाता है। शराब का इस तरह से चोरी से बिक्री और खरीद के पीछे कहीं न कहीं पुलिस का भी हाथ भी हो सकता है, जिसकी वजह से शराब पर अब तक सिर्फ कहने को रोक लगी है वास्तव में सच्चाई कुछ और है।
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