हर कोई पटाखा और दूसरी आतिशबाजी के द्वारा उत्पन्न होने वाले शानदार रंगो और आकृतियों से प्यार करता हैं। यहीं कारण है कि यह अक्सर त्योहारों, मेलों और शादियों जैसे कार्यों के जश्न में उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, आतिशबाजी के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण में भी वृद्धि होती हैं जोकि बहुत हानिकारक हो सकती हैं।
गड्ढे में मूर्ति विसर्जन कर लोगों ने मनाई प्रदूषण मुक्त नवरात्रदिवाली भारतीयों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और हमारे लिए लगभग कोई भी त्योहार आतिशबाजी के बिना पूरा नही माना जाता है। लोग पटाखों और आतिशबाजी को लेकर इतने उत्सुक होते हैं कि वह दिवाली के एक दिन पहले से ही पटाखे फोड़ना शुरु कर देते हैं और कई बार तो लोग हफ्तों पहले ही पटाखे फोड़ना शुरु कर देते है। भले ही पटाखे आकर्षक रंग और कलाकृतियां उत्पन्न करते हो पर यह कई प्रकार के रसायनों का मिश्रण होते हैं, जिनके जलने के कारण कई प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न होते है। तो इस साल एक अलग चीज़ देखने को मिली उत्तर प्रदेश की वाराणसी जिले में
जिला वाराणासी में सिगरा मार्कट अबकी बार बारूद मुक्त पटाखों की बहार मार्केट में ईको फ्रेंडली इलेक्ट्रॉनिक पटाखे पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए इस बार मार्केट में ईको फ्रेंडली पटाखों की मांग बढ़ी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इस बार मार्केट में इको फ्रेंडली पटाखे नजर आ रहे हैं यह पटाखा इलेक्ट्रॉनिक हैं। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पटाखों का प्रचार प्रसार में लगे हैं रिटायर्ड गोरखा रेजीमेंट के जवान जो हाथों में पटाखा लेकर आने जाने वाले राहगीरों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पटाखे के बारे में बता रहे हैं। वातावरण पर पड़ते खराब प्रभाव को देखते हुए आम जनता भी जागरूक हो रही और अपनी दिवाली को मानाने के लिए बिजली से जलने वाले पटाखा को ही खोज लिया |